सोनाली बेंद्रे ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 18वें संस्करण में दूसरे दिन शिरकत की. सेशन The Empress of Maladies: How I beat cancer. What it taught me में सीनियर जर्नलिस्ट शोमा चौधरी से बातचीत के दौरान एक्ट्रेस ने बताया कि कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान कब उन्हें सबसे ज्यादा तकलीफ हुई. सोनाली का कहना है कि कैंसर से जंग में उन्हें शारीरिक दर्द से कहीं ज्यादा मानसिक दर्द हुआ.
एक्ट्रेस ने कहा, ''ऐसा नहीं था कि मेरी पूरी कैंसर जर्नी सनसाइन से भरी थी. ये काफी दर्दभरा भी था. कीमोथैरेपी मुश्किल रही थी. लेकिन सबसे ज्यादा मुश्किल सर्जरी थी. डॉक्टर ने मुझे बताया कि मेरी बॉडी में कैंसर बहुत ज्यादा फैल चुका है. इसलिए उन्हें सर्जरी करनी पड़ी. मेरी मिडरिफ में 20 इंच बड़ा निशान है. अपने शरीर पर निशान को लेकर मैं बहुत संकोची रहती हूं. सर्जरी से पहले मैं बहुत डरी हुई थी.''
''सर्जरी पर जाते वक्त मेरी बहन में मुझे गले लगाया. तो मैंने उसे कहा, तुम ड्रामा मत करो, मैं वापस आने वाली हूं. लेकिन वे हिस्सा पेनफुल था. वो सोच कि मैं अपने परिवार और बेटे के लिए नहीं रहूंगी, दर्दनाक था. मुझे खुशी हुई जब मैं अस्पताल से बाहर आईं और मैंने कहा- हां, मैं जिंदा हूं.''
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सोनाली बेंद्रे ने कहा, ''मुझे लगा था पता नहीं मैं वापस आ भी पाऊंगी या नहीं. वापस ना आने का ख्याल सबसे ज्यादा पेनफुल था. मानसिक पीड़ा ज्यादा दर्दनाक होती है. ये सच है कि आपकी सोच, दिमाग आपका दर्द बढ़ा भी सकता है और घटा भी.''
परिवार से ना छुपाएं बीमारी की बात
सोनाली का मानना है कि कैंसर से जूझ रहे लोग अक्सर अपने परिवारवालों या बच्चों से बीमारी के बारे में छुपाते हैं. लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. बकौल सोनाली- ''पता नहीं लोग कैंसर को क्यों छुपाते हैं. मुझे लगता है कि इस बीमारी के बारे में बताने पर मुझे लोगों से बहुत प्यार मिला. कभी नहीं लगा था कि मुझे इतना प्यार मिलेगा. मैं कहना चाहूंगी कि इसके बारे में सभी को बताओ फिर देखना आपकी मुश्किल जर्नी कैसे आसान हो जाएगी.''