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#SouthConclave17: बंगलुरु केस पर निकला तमन्ना भाटिया का गुस्सा

साउथ की ब्यूटीज को अगर लटके-झटके वाले किरदारों के लिए जाना जाता है तो इंडिया टुडे कॉनक्लेव साउथ में 'बाहुबली' फेम तमन्ना भाटिया के साथ आईं श्रेया सरन, अमायरा दस्तूर और मंजू वारियर की इन बातों को आपको जरूर सुनना चाहिए...

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तमन्ना भाटिया
तमन्ना भाटिया

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चेन्नई में इंडिया टुडे कॉनक्लेव साउथ चल रहा है. इस प्रोग्राम में एक खास सेशन 'यूनिवर्सल ब्यूटी' पर रखा गया था जिसमें 'बाहुबली' फेम तमन्ना भाटिया के साथ श्रेया सरन, अमायरा दस्तूर और मंजू वारियर पहुंचीं.

ये चारों की साउथ के सिनेमा की जानी-पहचानी अभिनेत्रियां हैं. तमन्ना भाटिया, श्रेया सरन और अमायरा दस्तूर बॉलीवुड की फिल्में भी कर चुकी हैं. जबकि मंजू मलयालम सिनेमा का बड़ा नाम हैं. जब ये एक्ट्रेस इंडिया टुडे कॉनक्लेव साउथ के लिए आईं, तो खूबसूरती समेत महिलाओं से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा हुई. इनमें बंगलुरु में नए साल के मौके पर हुई छेड़छाड़ की घटना भी शामिल है.

तमन्ना भाटिया: लड़कों को ऐसा करना गलत नहीं लगता
बेंगलुरु केस पर 'बाहुबली' फेम एक्ट्रेस का कहना था कि लोगों में लड़कियों को लेकर कमेंट करने की आदत है. यह उनकी सोच में बसा है और दुख की बात है कि इसमें उनको कुछ गलत भी नहीं लगता.

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'दंगल' देखते हुए मेरे एक डायरेक्टर ने कमेंट किया था कि एक्ट्रेस कितनी लंबी स्कर्ट पहनेगी, यह वो तय करेगा. जब मैंने इसका विरोध किया तो उसने कहा कि इस बात में कुछ गलत नहीं है. लोग को लड़कियों पर कमेंट करना उनको अधिकार लगता है.

यह माइंडसेट ही बदलना पड़ेगा. एक्ट्रेस होने के बावजूद हमें भी डर लगता है. हालांकि 'बाहुबली' से मैंने सीखा है कि बहादुर बनना चाहिए और खुद की सुरक्षा के लिए मजबूत सोच रखनी चाहिए. वहीं महिलाओं की खूबसूरती पर तमन्ना का कहना था कि साउथ ब्यूटी की कोई डेफिनेशन नहीं है, हम सभी अलग हैं और सभी खूबसूरत हैं.

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श्र‍ेया सरन : समाज और कानून में महिलाओं की सुनवाई नहीं
'दृश्यम' में अजय देवगन के साथ दिखीं श्रेया सरन का कहना है कि बंगलुरु जैसे मामले बार-बार होते हैं. हद इस बात की है कि काली पूजा करने वाले लोग ही छेड़छाड़ करते हैं. इसके बाद हम हमेशा कहते हैं कि वह लड़की भी किसी की बहन-बेटी हो सकती है. लेकिन कोई एक लड़की को उसकी पहचान के साथ नहीं देखता. फिर कानून का डर भी नहीं है.

समय पर फैसला नहीं होता. निर्भया कांड के आरोपी बेल पर बाहर थे, तो इससे भी लड़कों की हिम्मत बंधती है. दूसरा लोग भी मदद के लिए भी आगे नहीं आते. दिल्ली में कॉलेज में पढ़ाई के दौरान एक बार एक लड़का बिना कपड़ों के मेरी ओर आ रहा था. मुझे उससे डर नहीं लगा लेकिन यह सोच कर डर लगा कि कोई मेरी मदद के लिए आगे नहीं आएगा.

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अगर इसी बात को इंडस्ट्री से जोड़ें तो हमें यह मान लेना चाहिए कि यह मेल डोमिनेटेड इंडस्ट्री है. महिला प्रधान फिल्में बदलाव ला सकती हैं. अगर विमेन डायरेक्टर और डिस्ट्रीब्यूटर्स आगे आएंगी तो इससे फायदा होगा.

अमायरा दस्तूर: नेताओं की सोच भी है जिम्मेदार
'इश्क' में प्रतीक बब्बर के साथ आईं अमायरा दस्तूर का कहना है कि आज भी शॉर्ट ड्रेस पहनने वाली लड़की के बारे में लड़के अलग ही सोच रखते हैं. फिर हमारे यहां नेता भी पिछड़ी सोच रखते हैं. उनकी बयानबाजी से भी गलत हरकतों को बढ़ावा मिलता है. पांच साल की बच्ची रेप होता है तो क्या वो भी ड्रेस की गलती है!

मुझे लगता है कि छोटी उम्र से ही सिखाना चाहिए कि लड़के-लड़की बराबर होते हैं. लड़कियों को सीख देने की जगह लड़कों को बताना चाहिए कि वे उनकी इज्जत करें.

मंजू वारियर: फिल्में कोई उपाय नहीं हैं 


बंगलुरु कांड वाकई शर्मनाक है और मुझे नहीं लगता कि महिला प्रधान फिल्में बनाना इस समस्या का समाधान है. जरूरत मानसिकता बदलने की है. हमें लड़कों को सिखाना होगा कि वे गर्ल्स को बराबर की इज्जत दें. इसके लिए बड़े बदलाव की जरूरत है.

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