scorecardresearch
 

SoS Bihar: लोग कहते थे बिहारी होकर डांसर कैसे हो सकती हो: शोवना

इंडिया टुडे SoS Bihar के अहम सत्र सांस्कृतिक पुनर्जागरण: सिनेमा और कला में कथक डांसर शोवना नारायण, युवा ड‍िजाइनर सामंत चौहान, राइटर-डायरेक्टर अमिताभ वर्मा और डॉ. अजीत प्रधान ने शिरकत की.

Advertisement
X
कथक डांसर शोवना नारायण
कथक डांसर शोवना नारायण

Advertisement

इंडिया टुडे SoS Bihar के अहम सत्र सांस्कृतिक पुनर्जागरण: सिनेमा और कला में शोवना नारायण, युवा ड‍िजाइनर सामंत चौहान, राइटर-डायरेक्टर अमिताभ वर्मा और डॉ. अजीत प्रधान ने शिरकत की.

कथक नृत्यांगना शोवना ने कहा- "मुझे कई बार लोगों की इस सोच का सामना करना पड़ा कि आप बिहार की होकर क्लासिकल सिंगर कैसे हो सकती हो.सब आश्चर्य करते हैं. मैं सोचती थी कि क्या मैं बिहारी हूं, इसलिए डांसर नहीं हो सकती? जबकि पुराने समय की बात करें तो जितने भी क्लासिकल डांसर हुई हैं, वे बिहार से ही थीं. चाहे आम्रपाली हो या सालवती." 

शोवना ने कहा- मैं इस तरह के परिवार से आती हूं, जहां डांसिंग का कोई बैकग्राउंड नहीं था, लेकिन फिर भी मेरे परिवार ने डांस को पेशे के रूप में चुनने में मेरी मदद की. 50 के दशक में ऐसा सोचना बड़ी बात थी. लेकिन समाज इसके उल्टा सोचता था. कैसे एक बिहारी डांस को प्रोफेशन चुन सकता है, लेकिन जब एक बार मैंने साबित कर दिया तो लोगों ने स्वीकार करना शुरू कर दिया.

Advertisement

शोवना ने कहा- बहुत कम लोग हैं जो बिहार की संस्कृति को समझते हैं. हर चीज की दो तस्वीरें होती हैं, लेकिन बिहार की हमेशा बुरी तस्वीर दिखाई जाती है.

इस सेशन में बिहार के फेमस फैशन डिजाइनर सामंत चौहान ने भी शिरकत की. अधिकतर भोजपुरी फिल्मों में सामंत ने ही कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग की है. सामंत का कहना है कि उनके पिता रेलवे में थे और उन्होंने कहा था कि कुछ भी करना पर कभी 9 से 5 की नौकरी मत करना. वे मुझे राइटर, आर्टिस्ट या एक्टर जैसा कुछ बनाना चाहते थे. फिर मैंने NIFT का सिलेबस देखा, उसमें वह सब कुछ था, जो मैं करना चाहता था.

सामंत ने कहा- शुरू में मुझे भी इस बात सामना करना पड़ा कि बिहारी होकर ये डिजाइनर कैसे हो सकता है. लेकिन बाद में जब लोग मेरा काम समझने लगे तो सम्मान मिलने लगा.

सेशन में स्क्रीनराइटर और डायरेक्टर अमिताभ वर्मा भी शामिल हुए. उन्होंने कहा- मुझे फिल्मकार प्रकाश झा से काफी शिकायत है. उन्होंने हमेशा अपनी फिल्मों में बिहार की बुरी तस्वीर ही दिखाई, जबकि बिहार का एक उजला पक्ष भी है. मैं एक फिल्म बनाना चाहता हूं, जो लव स्टोरी होगी, लेकिन उसमें बिहार की असली संस्कृति दिखेगी. लोगों को बिहारी होने पर गर्व होगा.

Advertisement

डॉ. अजीत प्रधान ने कहा-  बिहार के अच्छे कल्चर के बारे में बहुत कम लोगों को पता है. इसलिए कम बात होती है. जबकि ये शायरी और साहित्य का शहर है. पटना अद्भुत तहजीब का केंद्र रहा है. यहां सरकार यदि संगीत का शैक्षणिक संस्थान खोलना चाहिए. यहां नहीं खुलेगा तो कहां खुलेगा.

Advertisement
Advertisement