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25 पैसे की कोकाकोला खरीदना भी संभव नहीं था: अमिताभ

आज खरबपति बन चुके मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने अभाव के वह दिन भी देखे हैं जब उनके पास 25 पैसे की कोकाकोला की बोतल और मसाले वाला खीरा खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हुआ करते थे.

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अमिताभ बच्चन
अमिताभ बच्चन

आज खरबपति बन चुके मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने अभाव के वह दिन भी देखे हैं जब उनके पास 25 पैसे की कोकाकोला की बोतल और मसाले वाला खीरा खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हुआ करते थे. नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में वह सिर्फ इसलिए नहीं जा पाए थे क्योंकि उनके पास अच्छे कपड़े नहीं थे.

अमिताभ ने अपने ब्लाग में अपने परिवार के अभाव भरे दिनों का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि उनके माता पिता सीमित आय में बहुत मुश्किल से अपने बच्चों की जरूरतें पूरी कर पाते थे. स्कूल के दिनों में क्रिकेट क्लब की फीस दो रुपये थी और मां के उन्हें देने के लिए दो रुपये भी नहीं थे. इस बेबसी से निराश अमिताभ तब रो पड़े थे.

उन्होंने लिखा है कि उनके मित्रों के जन्मदिन की पार्टियों में उनके सभी साथी शोफर ड्रिवन कारों में आते थे जबकि अमिताभ इन पार्टियों में साइकिल से जाते थे. उनके घर पर अन्य दोस्तों के घरों की तरह एअरकंडीशनर नहीं था. उनके पास केवल दो जींस पैंट और दो कमीजें थीं जिन्हें वह हर मौके पर पहनते थे.

बालीवुड के इस मेगास्टार के लिए उन दिनों विश्वविद्यालय के बाहर खड़े ठेले वाले से 25 पैसे की कोकाकोला की बोतल और मसाले वाला खीरा खरीदना संभव नहीं था.

बिग बी के अनुसार नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में हर्बट वोन करांजन ने विएना फिलहार्मोनिक आर्केस्‍ट्रा आयोजित किया था लेकिन समारोह में अमिताभ केवल इसलिए नहीं जा सके थे क्योंकि उनके पास अच्छे कपड़े नहीं थे और जो कपड़े थे उन्हें ड्राइक्लीन कराने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे.

उन्होंने लिखा है कि जब वह अपने पैरों पर खड़े हुए और उनकी आर्थिक समस्या दूर हुई तो वह अपने अभिभावकों की हर कमी दूर करना चाहते थे. अमिताभ अपनी यह इच्छा अपने माता पिता के सामने जाहिर भी करते थे. लेकिन उनके माता पिता उनसे कुछ नहीं लेते थे.

बिग बी ने लिखा है वह सिर्फ इतना चाहते थे कि हम उनके पास बैठें और बताएं कि आज हमारा दिन कैसा गुजरा. उनकी चाह हमारे साथ बेहद नितांत निजी पल बिताने की होती थी.

उन्होंने अपने प्रशंसकों को अभिभावकों के साथ समय बिताने की नसीहत देते हुए ब्लाग में लिखा है मैं आज अपने अभिभावकों को खो चुका हूं लेकिन आप में से कितने लोग अपने अभिभावकों के लिए समय निकाल पाते हैं उनके साथ बैठ कर बातें करते हैं. 

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