23 साल की आजादी के लिए लड़ रहा हूं. आखिरकार वो दिन आ ही गया, इस भावना को मैं बयां नहीं कर सकता मैं आज कितना खुश हूं, सच कहूं तो मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि मैं आजाद हो गया हूं....संजय दत्त ने रिहाई के बाद मीडिया से अपनी इस आजादी को इस अंदाज में बयां किया.
संजय दत्त जैसे ही मुंबई पहुंचे वह पहले सिद्धीविनायक मंदिर में माथा टेकने पहुंचे और फिर अपनी मां की कब्र पर गए. इसके बाद बांद्रा पहुंच कर संजय मीडिया से मुखतिब हुए. संजय दत्त ने अपनी इस आजादी पर क्या कहा आइए जानते हैं:
अपने पिता को बहुत मिस कर रहा हूं
संजय से जब यह पूछा गया कि वह रिहा होने के बाद कैसा फील कर रहे हैं तो उन्होंने कहा, सच कहूं तो मुझे
अपनी आजादी पर विश्वास नहीं हो रहा. मुझे अभी भी ऐसा लग रहा है कि मैं जैसे पैरोल पर बाहर आया हूं. अपनी आजादी के लिए खुद को मनाने में
कुछ वक्त लगेगा अभी लगेगा मुझे क्योंकि पिछले 23 साल से मैं इस आजादी के तरसा हूं. मैं आज अपने पिता को बहुत मिस कर रहा हूं. क्योंकि उनकी
लड़ाई मुझे जेल रिहा कराने की थी. आज मैं उन्हें बताना चाहता था कि देखो मैं आजाद हूं.
4 दिन से ना कुछ खाया और ना ही कल रात सोया
संजय दत्त ने जेल में बिताए गए अपने आखिरी दिनों के बारे में बात करते हुए कहा कि वह
अपनी रिहाई के लिए इतने उत्साहित थे कि उन्होंने चार दिन से कुछ नहीं खाया है और कल रात सोए भी नहीं हैं. उन्होंने जेल में बिताए गए अपने पलों
के बारे में बताया कि उन्होंने वहां कई दोस्त बनाए. जब संजय दत्त से एक मीडियाकर्मी द्वारा यह सवाल पूछा गया कि क्या जेल में आपने पेपर बैग्स भी
बनाए, तो उन्होंने कहा अगर आपके पास पेपर है तो मैं आपको अभी पेपर बैग बनाकर दे सकता हूं. मुझे अब यह बहुत अच्छे से बनाना आता है.
जेल की कमाई एक अच्छे पति की तरह मान्यता को दी
जेल में मेहनत कर कमाए गए पैसे के सवाल पर जब संजय से पूछा गया तो उन्होंने कहा
, मैंने जो भी पैसे कमाए वो मैंने एक अच्छे पति की तरह मान्यता को दे दिए. संजय दत्त ने यह भी कहा कि उन्हें जेल में रहते हुए शायद उन्हें उतना
स्ट्रग्ल नहीं करना पड़ा जितना कि उनकी मान्यता ने अकेले बच्चों के साथ अकेले स्ट्रग्ल किया. उन्होंने कहा कि मान्यता मेरी हिम्मत बनी, जब भी मैं
कमजोर पड़ा उन्होंने मुझे हौसला दिया. संजय ने कहा कि मान्या मेरी बेटर हाफ नहीं बल्कि बेस्ट हॉफ हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मान्यता संजय के सवाल
पर भावुक हो गईं.
मेरा नाम 1993 बम धमाकों से ना जोड़ें
संजय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वह अब अपने परिवार संग अच्छा वक्त बिताना चाहते हैं. इसके
अलावा उन्होंने मीडिया से गुजारिश की कि उनके नाम का प्रयोग 1993 के बम धमाकों के केस में ना करें क्योंकि मैं मेरा अब इस केस से कुछ लेना देना
नहीं है. उन्होंने कहा, मुझे अदालत ने टाडा के आरोपों से बरी किया है. और उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि उनके लिए इस मामले में सबसे अच्छा
तब लगा जब उन्हे अदालत में सुनने को मिला कि वह आतंकी नहीं हैं.