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गुंजन सक्सेना-द करगिल गर्ल रिव्यू: शानदार कहानी-बेहतरीन अदाकारी

Gunjan Saxena- The Kargil Girl Review: गुंजन सक्सेना फिल्म में करगिल युद्ध की नारेबाजी नहीं है बल्कि एक महिला अफसर की परेशानी और उससे कैसे बिना भाषण बाज़ी के निपटकर गुंजन के सफल होने की कहानी है .

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जाह्नवी कपूर
जाह्नवी कपूर

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बायोपिक्स आजकल चलन में है और 'शकुंतला देवी ' के बाद बारी है फिल्म 'गुंजन सक्सेना -द करगिल गर्ल ' की .. जो कहानी है भारत की पहली एयरफोर्स पायलट गुंजन की. जिन्होंने भारत पाकिस्तान के 1999 युद्ध में बहुतों की जान बचायी थी. फिल्म की ख़ास बात है कि बाकी युद्ध पर आधारित फिल्मों की तरह देश भक्ति का नारा नहीं लगाया गया है और ना ही गुंजन के प्रेम प्रसंग दिखाए गए हैं. अब तक शादी ब्याह , रोमांस, युवाओं और विदेश में बसे भारतीयों पर फिल्में बनाने वाले करण जोहर इस फिल्म के प्रोड्यूसर है. इस बार उनकी कंपनी और टीम ने कुछ हटके बनाने की पुरजोर कोशिश की ह.

सिनेमाघर के लिए बनी ये फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज होने वाली है. बिना किसी ड्रामे और मिर्च-मसाले के ये फिल्म गुंजन के पायलट बनने की कहानी और इस दौरान किस तरह की परेशानी को वो हैंडल करती है, उस पर फिल्म प्रकाश डालती है. हॉलीवुड की बात करें तो एयरफोर्स पर बहुत फिल्में बनीं है. हिंदी फिल्मों में जहां आर्मी पर बहुत फिल्में बनीं हैं. एयरफोर्स पर चुनिंदा फिल्में ही बनी हैं जैसे हिंदुस्तान की कसम , विजेता ,अग्निपंख और मौस.

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गुंजन सक्सेना -द करगिल गर्ल ' ...कुछ -कुछ शशि कपूर और रेखा की 1982 में बनीं फिल्म 'विजेता 'और ऋतिक रोशन की 2004 की फिल्म 'लक्ष्य ' की याद दिलाती है. फिल्म ने करगिल युद्ध की नारेबाजी नहीं है बल्कि एक महिला अफसर की परेशानी और उससे कैसे बिना भाषण बाज़ी के निपटकर गुंजन के सफल होने की कहानी है .

बिन भाषणबाज़ी युद्ध की कहानी

निर्देशक शरन शर्मा की ये पहली फिल्म है और फिल्म की कहानी को उन्होंने रोचक अंदाज़ में परोसा है. हवाई युद्ध के सीक्वेंसेस को काफी अलसियत के साथ दिखाया गया है . आम फिल्मों के वॉर सीक्वेंसेस से हटकर इस फिल्म में एयरफोर्स के काम को बहुत बारीकी लेकिन सहज अंदाज़ में दिखाया गया है.

जाह्नवी कपूर की आंखों का अभिनय

जाह्नवी कपूर ने फिल्म में अपनी आंखों से अभिनय किया है . श्रीदेवी अगर आज ज़िंदा होती तो अपनी बेटी पर फक्र करती . गुंजन की परेशानी , हिचकिचाहट लेकिन दृढ व्यक्तित्व को पेश करने में कामयाब रही हैं. जाह्नवी के डायलॉग बहुत कम है और बहुत कम बोलकर ही वो फिल्म की कहानी कहती हैं.

परदे पर बाप - बेटी का अनोखा रिश्ता

एक फिल्म में एक बाप और बेटी के ख़ास रिश्ते को परदे पर दिखाने में कामयाब रही है ये फिल्म . अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने अपने सहज अभिनय से गुंजन के पिता और एक आर्मी अफसर के रोल को यादगार बना दिया . जैसे एक सीन है जहां गुंजन को एयरफोर्स का एग्जाम पास करने के लिए वजन घटाना होता है और पंकज यानी गुंजन के पिता अभिनेत्री रेखा को उसकी प्रेरणा बनाते हैं. जब गुंजन हताश होकर घर आती है तो लेक्चर देने की बजाय वो उसे रसोई में ले जाकर ज़िन्दगी के आटे दाल का भाव बताते हैं .

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रक्षा सेना में महिलाओं को लेकर सोच पर चोट करती फिल्म

गुंजन की मां का रोल उभर कर नहीं आया . वहीं पर गुंजन के भाई यानी अंगद बेदी के किरदार की गुंजन को न समझने की विचारधारा .. समाज सोच को बताती है. उस सोच को दिखलाती है कि क्यों महिलाएं रक्षा सेना में कामयाब नहीं हो पाती थी? घर की लड़ाई लड़कर जब गुंजन एयरफोर्स अकादमी उधमपुर जाती है . वहां उससे लड़नी पड़ती है अपनी महिला होने की लड़ाई . लेकिन उसका सपना उसे हर मुश्किल से लड़ने की ताकत देता है.

कहानी सपने को पूरा करने की बाधाओं की

कहानी चंद शब्दों में कही जाये तो लखनऊ के एक आर्मी परिवार की बेटी की है जो बचपन से एक पायलट बनना चाहती है . उसके इस सपने में केवल उसके पिता ही उसका साथ देते हैं. पायलट वो बन नहीं पाती तो वो एयरफोर्स में अप्लाई करती है . सिलेक्शन में काफी रुकावट आती है लेकिन गुंजन सब पार करते पहुंच जाती है अकादमी ट्रेनिंग के लिए . यहां पर भी अपने सीनियर्स और पुरुष सहकर्मियों की उपेक्षा का सामना करके वो युद्ध के मैदान में पहुंचती है . करगिल युद्ध के दौरान फंसे हुए सैनिकों को सूझ बूझ और साहस से लाकर गुंजन को लेकर सबका दृष्टिकोण बदल जाता है .

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गुंजन की जीवनी की संवेदनशीलता

गुंजन सक्सेना की जीवनी फिल्म में आप महसूस करते हैं . जहां शकुंतला देवी फिल्म में कहानी नौटंकी में बदल गयी थी . गुंजन सक्सेना में फिल्म के लेखक आउट निर्देशक ने इस संवेदनशीलका को कहीं जाने नहीं दिया है . जाह्नवी के एयरफोर्स अफसर बनने के सफर में अभिनेता विनीत कुमार सिंह और मानव विज ने भी अपने किरदारों ने साथ न्याय किया है .

कुल मिलकर गुंजन सक्सेना एक साफ़ सुथरी फिल्म है .. जहां पर महिला के संघर्ष और करगिल युद्ध में भारत की महिला एयरफोर्स अफसर की जांबाज़ी को मनोरंजक अंदाज़ में पेश किया गया है .

वैसे इस साल गुंजन सक्सेना बाद जल्द ही एयर फाॅर्स ऑफिसर्स की ज़िन्दगी पर और फिल्म आ रही है . एक है विजय कार्णिक की ज़िन्दगी पर आधारित अजय देवगन की 'भुज दा प्राइड ऑफ़ इंडिया '...तो वहीं पर करण जौहर भी कप्तान विक्रम मल्होत्रा के जीवन पर आधारित 'शेरशाह' लेकर आएंगे.

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