Javed Akhtar Birthday special हिंदी सिनेमा में गीतकार जावेद अख्तर का योगदान यादगार है. 17 जनवरी 1945 को ग्वालियर में जन्मे जावेद अख्तर 74 साल के हो गए हैं. भले ही आज जावेद अख्तर का नाम फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गजों में शामिल है. लेकिन इस सफलता को पाने के लिए उन्होंने सालों संघर्ष किया है.
जावेद अख्तर के संघर्ष के बारे में एक बार उनके बेटे फरहान ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में बताया था. फरहान ने कहा, मेरी फिल्म भाग मिल्खा भाग को देखकर पापा रो पड़े थे. "फिल्म को देखकर पापा को शायद अपने संघर्ष के दिन याद आ गए. मिल्खा सिंह को जिस तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा था और तमाम चुनौतियों को पछाड़ते हुए उन्होंने जिस तरह से जीत हासिल की, उस जज़्बे ने, उनकी लड़ाई ने पापा की आंखों में आंसू ला दिए."
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जावेद अख्तर ने अपनी किताब तरकश में अपने जीवन के संघर्ष के बारे में लिखा है. शुरुआती दिनों में जब वो मुंबई आए थे तो आर्थिक हालत ठीक नहीं थे. जावेद अख्तर ने बताया कि वो डायरेक्टर कमाल अमरोही के स्टूडियो में रहते थे. उन्हें उस दौरान कमाल अमरोही के स्टूडियो के कमरे में रखी अलमारी में कई पोशाकें और कुछ फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिले. वो अवॉर्ड मीना कुमारी के थे. उन्होंने आइने के सामने खड़े होकर कहा कि एक दिन वो भी ऐसे ही ट्रॉफी जीतेंगे. आगे उन्होंने तमाम अवॉर्ड अपने नाम किए.
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हालांकि जावेद अख्तर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वो एक दफा स्क्रिप्ट लेकर किसी प्रोड्यूसर के पास गए. प्रोड्यूसर को उनकी लेखनी इतनी बुरी लगी कि उस प्रोड्यूसर ने उनके मुंह पर कागज फेंक कर कहा, तुम जिंदगी में कभी लेखक नहीं बन सकते. 1965 में अपने करियर की शुरुआत करने वाले जावेद अख्तर ने अपने करियर में शानदार फिल्में दी हैं. उनके लिखे गीत आज भी यादगार हैं.