प्रख्यात गीतकार जावेद अख्तर अलगाव की राजनीति पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि आजकल जिस तरह की बहस खड़ी की जा रही है वह गलत है. राजनीति में कुछ लोगों ने अपने आप को ही राष्ट्र समझ लिया है.
शनिवार को साहित्य आजतक के एक सत्र में अपनी बात रखते हुए जावेद अख्तर ने कहा, 'कुछ लोग खुद को ही राष्ट्र समझ बैठे हैं. विरोध करिए तो आप एंटी नेशनल हैं. ये नेता हमेशा रहने वाले नहीं है. बदल जाएंगे. देश हमेशा रहेगा. अगर कोई नेता यह समझ रहा है कि वही देश है तो वो गलत है.' अपनी बात पूरी करने के लिए उन्होंने इस शेर का सहारा लिया - 'तुमसे पहले जो एक शख्स यहां तख़्तनशीं था, उसकों भी अपने खुदा होने का इतना यकीं था'
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नई नहीं ये बहस, पहले भी हुआ ऐसा
जावेद अख्तर ने कहा, 'आप इतिहास देखेंगे तो ऐसा अक्सर हुआ है कि एक पार्टी, एक विचारधरा और एक नेता अपने आप को कंट्री से कन्फ्यूज करने लगता है कि मैं कंट्री हूं मैं ही देश हूं. वो गलत है. हमारा कमिटमेंट देश से है.' कहा- 'देश और स्टेट में फर्क है. हो सकता है मेरा कमिटमेंट सरकार से ना हो. ये एक अलग टॉपिक है. देश से कभी कमिटमेंट नहीं बदला जा सकता. वो स्थायी है.'
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अकबर महान, उसे विदेशी बताने वाले जाहिल
ताजमहल को लेकर जारी विवाद और सडकों के नाम बदलने पर कहा, 'इस मुल्क में जो बहुत बड़े-बड़े लोग पैदा हुए हैं, उनकी लिस्ट बनाएं तो बगैर अकबर के कोई भी लिस्ट पूरी नहीं हो सकती. वो बड़ा आदमी था. जो 500 साल पहले दूर तक देख रहा था. तब जब यूरोप ने सेकुलरिज्म को समझा भी नहीं था भारत में एक आदमी (अकबर) न सिर्फ उसे समझ रहा था बल्कि उस पर अमल भी कर रहा था. ये लोग (अकबर का विरोध करने वाले) जाहिल हैं उसे कभी नहीं समझ सकते. जब आप इतिहास पढ़ेंगे, उसकी डिटेल पढेंगे तो आप को नाज होगा कि आप उस देश में पैदा हुए जिस देश में अकबर पैदा हुआ. कमाल की बात है. देखिए ये लोग बोलते हैं अकबर, जहांगीर, शाहजहां बाहर के थे.'
अंग्रेज और मुगलों में फर्क है
उन्होंने कहा, 'अरे बाहर का तो ओबामा नहीं था अमेरिका में. ओबामा का बाप केन्या का था, मां अमेरिकन थी और ओबामा- अमेरिका में पैदा हुआ. बावजूद इसके कि बहुमत से उसका रंग भी अलग था. वो उस मुल्क (अमेरिका) का प्रेसिडेंट भी बना. यहां शाहजहां की पिछली पांच पीढ़ियां हिंदुस्तान में थीं. उसका बाप, उसका दादा हिंदुस्तान में पैदा हुए. शाहजहां हिंदुस्तान में पैदा हुआ. इनमें तो कई हिंदुस्तान से बाहर ही नहीं गए, यहीं पैदा हुए यहीं मरे. अंग्रेज और मुगलों में फर्क यह भी है कि अंग्रेज हिंदुस्तान की दौलत लेकर इग्लैंड गए.' जावेद ने सवाल किया, 'ये मुगल कहां ले जाते थे? इनके दौर में 300 साल तक भारत में कोई सिलिल वार नहीं हुई. मुगलों के दौर में भारत दुनिया के अमीर देशों में शामिल था.'
मुगल तो इत्तेफाकन मुसलमान थे
जावेद अख्तर ने कहा, ताजमहल तो दुनिया में आर्किटेकचर का बेहतरीन नमूना है. जैसे मिश्र के पिरामिड हैं. ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर गुलामों ने पत्थर ढोकर इसे बनाया है. कोड़े मार-मारकर इसे बनवाया गया होगा. पर ये दूसरी बात है. ताजमहल स्थापत्य का एक अजूबा है, दुनिया मानती है इसे. तहजीब, खान पान ये कहां से है? दिल्ली के स्थापत्य पर मुगल प्रभाव दिखता है हर जगह. आप कोई चीज ले लो- कपड़ा, खाना, म्यूजिक. ये सारी चीजें मुगलों के दरबार में विकसित हुईं. कथक मुगल दरबार में डेवलप हुआ.
कहा- ये तो इत्तेफाक से मुसलमान थे. वर्ना भले लोग थे. शराब पीते थे, डांस में रुचि थी. साहित्य कविता में रुचि थी. उनमें कवि भी थे. इस्लाम में ह्यूमन या एनिमल फिगर बनाना मना है. बाकी जगहों पर देखेंगे तमाम चीजें नहीं होंगी, लेकिन मुगल पेंटिग देखिए. उसमें ये चीजें हैं. हिन्दुस्तानी संगीत इन्हीं लोगों की वजहों से डेवलप हुई.
साहित्य आजतक 2017 दिल्ली में आयोजित है.