फैन्स के बीच शोले वाले अपने सूरमा भोपाली वाले किरदार से मशहूर हुए जगदीप का असली नाम सैय्यद इश्तियाक अहमद जाफरी था. हालांकि ज्यादातर लोग उन्हें उनके स्टेज नाम से ही जाना करते थे. जगदीप का सफर हिंदी सिनेमा में काफी लंबा रहा है. संभव है कि इस नए दौर में ज्यादातर लोग उन्हें कुछ ही किरदारों के लिए जानते होंगे लेकिन हकीकत ये है कि जगदीप ने 400 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया है.
शोले में सूरमा भोपाली के किरदार के अलावा जगदीप ने फिल्म पुराना मंदिर में मच्छर का और अंदाज अपना अपना में सलमान खान के पिता का किरदार निभाया था. ये दोनों ही किरदार न सिर्फ काफी पसंद किए गए बल्कि ये आज भी लोगों के लिए यादगार हैं. जगदीप ने अपने करियर की शुरुआत बीआर चोपड़ा की फिल्म अफसाना से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट की थी.
Om Shanti..keep entertaining the Gods, Surma Bhopali ji#Jagdeep pic.twitter.com/erQutymyhb
— Hindu King Account😈🎭 (@KingKhadoos) July 8, 2020
शोले से पहले जगदीप तकरीबन 25 फिल्मों में काम कर चुके थे. उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका था और उन्हें लोग उनके नाम से जानने लगे थे. हालांकि बहुत से लोग ये नहीं जानते कि आखिर जगदीप को सूरमा भोपाली का किरदार मिला कैसे था. तो चलिए आपको बताते हैं कि किस तरह उन्हें ये किरदार मिला जिसने उन्हें बेहद मशहूर बना दिया.
खुद के सूरमा भोपाली बनने का किस्सा शेयर करते हुए उन्होंने एक बार बताया था कि सलीम-जावेद की एक फिल्म थी सरहदी लुटेरा जिसमें मैं कॉमेडियन था. मेरे डायलॉग बहुत बड़े थे. मैं फिल्म के डायरेक्टर के पास गया तो उन्होंने कहा और उन्हें बताया कि डायलॉग बहुत बड़े हैं. तो उन्होंने कहा कि जावेद बैठा है, उससे कह दो. जगदीश ने आगे कहा- मैं जावेद के पास गया तो उन्होंने बड़ी ही आसानी से डायलॉग को पांच लाइन में समेट दिया. मैंने कहा कमाल है, यार तुम इतने अच्छे राइटर हो.
Legendary actor Jagdeep dies at 81.
Soorma Bhopali would live foreover 🙏#Jagdeep #Rip #Bollywood pic.twitter.com/QX3ilE6Q7F
— Rare Classics (@ClassicsRare) July 8, 2020
जगदीप ने बताया, "इसके बाद हम शाम के समय बैठे किस्से और कहानियों का दौर चल रहा था. उसी बीच उसने बीच में एक लहजा बोला. क्या जाने किधर कहां-कहां से आ जाते हैं. मैंने पूछा- अरे यह क्या कहां से लाए हो तो वह बोले कि भोपाल का लहजा है. मैंने कहा भोपाल से यहां कौन है. मैंने तो यह कभी नहीं सुना. इस पर उन्होंने कहा कि यह भोपाल की औरतों का लहजा है. वह ऐसे ही बात करती हैं."
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ऐसे बने सूरमा भोपाली
उन्होंने बताया कि 20 साल बाद फिल्म शोले शुरू हुई. मुझे लगा मुझे शूटिंग के लिए बुलाया जाएगा लेकिन किसी ने मुझे नहीं बुलाया. फिर एक दिन रमेश सिप्पी का मेरे पास फोन आया. उन्होंने कहा- तुम्हें शोले में काम करना है. मैंने कहा शूटिंग तो खत्म हो गई. तब उन्होंने कहा- नहीं-नहीं यह सीन असली है. इसकी शूटिंग अभी बाकी है. बस यहीं से जगदीप के सूरमा भोपाली बनने का सफर शुरू हुआ और उनकी पहचान सूरमा भोपाली के रूप में बन गई.