बॉलीवुड अभिनेता जॉन अब्राहम कहते हैं कि भूमिका धारदार होनी चाहिए. जॉन ने फिल्म ‘जिस्म’ से बॉलीवुड में शुरुआत की थी. एक दशक तक फिल्म जगत में जॉन ने विभिन्न तरह के किरदार निभाए हैं. उनका मानना है कि मध्यमवर्गीय परिवार से होने के कारण ही वह अपनी व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी में सामंजस्य बिठा पाते हैं.
जॉन ने बताया, ‘मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार में पला बढ़ा हूं. मेरे उसूल और मेरी जीवनशैली इसी वजह से इतनी नियमित है.’
जब फिल्म में भूमिका चुनने की बात आती है तो जॉन को साधारण और रूमानी भूमिकाएं पसंद नहीं आती हैं. उनका कहना है कि भूमिका धारदार होनी चाहिए.
जॉन कहते हें कि वह दर्शकों की पसंद अच्छी तरह समझते हैं. उन्हें मालूम है किसी किरदार को ज्यादा रुचिकर कैसे बनाना है. वह कहते हैं किरदार में धार लाने की कला उन्हें आती है.
फिल्म ‘विक्की डोनर’ से फिल्म निर्माता बने जॉन अब्राहम कहते हैं कि वह हास्य फिल्मों में ही अटककर नहीं रह जाना चाहते. उनकी अगली फिल्म ‘मद्रास कैफे’ जैसी राजनीतिक फिल्म हो सकती है या ‘हमारा बजाज’ जैसी सामाजिक फिल्म हो सकती है.
पेश है जॉन अब्राहम से बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:
नकारात्मक किरदार?
जॉनः मेरी ज्यादातर फिल्मों में मैंने नकारात्मक किरदार किए हैं. ‘जिस्म’, ‘न्यूयार्क’, ‘जिंदा’, ‘धूम’, ‘रेस 2’, ‘शूट आऊट एट वडाला’ ऐसी ही फिल्में हैं. मुझे साधारण और रूमानी भूमिकाएं बहुत ज्यादा पसंद नहीं हैं. भूमिका धारदार होनी चाहिए.
दस सालों में व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी में कितनी प्रगति की?
जॉनः एक व्यक्ति के तौर पर ज्यादा प्रगति की. मैं समझदार और मानसिक रूप से स्थिर हो चुका हूं. अभिनेता के रूप में भी मैंने तरक्की की है. एक्शन हीरो के किरदार के रूप में मुझमें ज्यादा समझदारी आई है.
एक फिल्मी हस्ती होने का पक्ष और विपक्ष?
जॉनः एक फिल्मी हस्ती होने के नाते आलोचनाएं झेलनी पड़ती हैं. पर मैं उनको सकारात्मक तरीके से लेता हूं और खुद को सुधारने का प्रयास करता हूं, यही अच्छा पक्ष है.
मध्यमवर्गीय परिवार से होने के फायदे?
जॉनः यह स्वभाविक सी बात है कि स्टार हमेशा स्टार नहीं रहता. मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूं तो मेरे उसूल, मेरी जीवनशैली नियमित और साधारण है. मैं स्टार रहूं न रहूं मैं एक साधारण जिंदगी जी सकूंगा, मेरी जिंदगी हमेशा ऐसे ही चलेगी.
बॉलीवुड में दोस्ती?
जॉनः मैं हमेशा फिल्म बिरादरी से कटा रहा हूं. सबको पता है कि मैं पार्टियों में बहुत ज्यादा शामिल नहीं होता हूं. फिल्म जगत में सिर्फ तीन दोस्त हैं, करन जौहर, अभिषेक बच्चन और अक्षय कुमार जिनसे मैं कभी-कभार बात कर लेता हूं.