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Kader Khan Unknown Facts: जन्म से लेकर फिल्मी करियर तक, जानें सबकुछ

Kader Khan dies at 81 लंबी बीमारी के बाद हिंदी सिनेमा के दिग्गज कलाकार कादर खान का कनाडा में निधन हो गया. उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. आइए जानते हैं कॉमेडियन-एक्टर से जुड़ी कुछ अनुसनी बातें...

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कादर खान
कादर खान

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कादर खान, जो 80 और 90 के दशक में कॉमेडी के बादशाह थे, अब इस दुनिया में नहीं रहे. कादर खान ने सोमवार शाम को कनाडा के अस्पताल में अंतिम सांस ली. इस खबर की पुष्टि कादर के बेटे सरफराज खान ने की. उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. आइए जानते हैं कॉमेडियन-एक्टर से जुड़ी कुछ अनुसनी बातें...

कादर खान ने 70 के दशक से डायलॉग लिखने से लेकर फिल्मों में एक्टिंग तक खूब नाम कमाया. कादर खान ने अमिताभ के रोल को संवारने में भी अहम भूमिका निभाई. हालांकि, उनकी शुरुआती जिंदगी काफी संघर्ष भरी रही.

क्यों काबुल से भारत आया था कादर खान का परिवार?

कादर खान का जन्म अफगान‍िस्तान के काबुल में हुआ था. कई इंटरव्यू में कादर खान बता चुके हैं, 'मुझसे पहले मां के तीन बेटे हुए, लेकिन तीनों की मौत तकरीबन 8 साल की उम्र तक आते आते हो गई. उसके बाद चौथे नंबर पर मेरी पैदाइश हुई. मेरे जन्म के बाद मेरी मां ने मेरे वाल‍िद से कहा कि ये सरजमीं मेरे बच्चों को रास नहीं आ रही है. मां ने मेरे वाल‍िद को फोर्स किया और हमारा परिवार ह‍िंदुस्तान, मुंबई आ गया."

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गरीबी में गुजरा बचपन

जल्द ही उनके माता-पिता का तलाक हो गया और सौतेले पिता के साथ बचपन गरीबी में निकला. इतनी परेशानियों का सामना करते हुए उन्होंने मुंबई में सीविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इसके बाद वो बच्चों को पढ़ाने लगे.

कॉलेज नाटक ने संवारी जिंदगी

कॉलेज में एक बार नाटक प्रतियोगिता में उन्हें बेस्ट एक्टर और राइटर का खिताब मिला. साथ ही एक फिल्म के लिए संवाद लिखने का मौका भी मिल गया. नरेंद्र बेदी कामिनी कौशल ने उस नाटक को जज किया. उस वक्त उन्हें 1500 रुपये सैलेरी मिलती थी. इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया.

कादर खान की अनसुनी दास्तां, क्यों काबुल से भारत आया था परिवार?

इस फिल्म ने बदल दी जिंदगी

उनके फिल्मी करियर में बड़ा मोड़ तब आया जब 1974 में मनमोहन देसाई और राजेश खन्ना के साथ फिल्म रोटी में काम करने का मौका मिला. मनमोहन देसाई को उन पर कुछ खास भरोसा नहीं था. लेकिन जब कादर डायलॉग लिखकर लाए तो मनमोहन देसाई बेहद खुश हो गए और उन्होंने एक्टर को इनाम दे दिया. पहली बार उन्हें संवाद लिखने के लिए 1 लाख फीस मिली. यहीं से उनकी जिंदगी बदल गई. इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक डायलॉग लिखे. 

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इस फिल्म से किया डेब्यू

कादर खान ने 1973 में फिल्म दाग से बॉलीवुड में डेब्यू किया. इस फिल्म में वो एक वकील के मामूली से रोल में नजर आए थे. इसके बाद तो खून पसीना और शराबी जैसी कई फिल्मों की झड़ी लग गई. बता दें कि कादर खान लिप रीडिंग भी कर सकते थे.

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