बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता, बेहतरीन डायलॉग राइटर और निर्देशक कादर खान का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उम्रदराज एक्टर का कनाडा में इलाज चल रहा था. नए साल पर कादर खान के निधन की खबर से उनके प्रशंसक सदमे में हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर 1935 में काबुल में हुआ था. उन्हें ऊर्दू, हिंदी, अंग्रेजी और पास्तो भाषाएं आती थीं. कादर ने अपने बेटों की कभी किसी से सिफारिश नहीं की. उनके बेटों ने ये किस्सा एक इंटरव्यू में साझा किया था. इसे नीचे पढ़ सकते हैं.
कादर खान ने बॉलीवुड में करीब 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. जब कादर एक साल के थे तो उनका परिवार मुंबई आकर बस गया था. उन्होंने इस्माइल युसुफ कॉलेज से ग्रैजुएशन किया. एमएच सिद्दीक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी रहे. इसके बाद कादर ने फिल्मी दुनिया में खूब नाम कमाया.
कादर खान ने अजरा खान से शादी की थी. उनके तीन बेटे कुद्दूस खान, सरफराज और शाहनवाज खान हैं. कादर खान के सबसे बड़े बेटे कुद्दूस खान कनाडा में ही सेटल हैं. एयरपोर्ट में सिक्यॉरिटी ऑफिसर के पद पर तैनात हैं. कादर खान के बाकी दो बेटे सरफराज खान और शाहनवाज खान अभिनय करते हैं.
सरफराज खान प्रोड्यूसर भी हैं. उन्होंने कई सफल फिल्मों में अभिनय भी किया है. सरफराज ने 2003 में आई सलमान खान की फिल्म 'तेरे नाम' में और 2009 में आई फिल्म 'वान्टेड' में एक्टिंग की थी. सरफराज के भाई शाहनवाज खान भी एक्टर हैं. 2012 में सरफराज ने अपने पिता और भाई के साथ मिलकर 'कल के कलाकार इंटरनैशनल थिएटर' की स्थापना की.
इसके अलावा, सरफराज ने शतरंज धर्म (1993), क्या यही प्यार है (2002), मैंने दिल तुझको दिया (2002), बाजार (2004), वादा (2005), किसान (2009), मिलेंगे-मिलेंगे (2010), वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई दोबारा (2013) और रमैया वस्तावैया (2013) जैसी फिल्मों में भी अभिनय किया है.वहीं, कादर खान के बेटे शाहनवाज ने 'मिलेंगे मिलेंगे' और 'वादा' फिल्मों में डायरेक्टर सतीश कौशिक को और राज कंवर को फिल्म 'हमको तुम से प्यार है' में असिस्ट भी किया है. शाहनवाज ने फिल्म शराबी नवाब से डेब्यू किया था. इसके अलावा, ताश के पत्ते, सौभाग्यवती फिल्मों के प्रोड्यूसर और बड़ी देर की मेहरबान आते आते, लोकल ट्रेन, बेस्ट ऑफ लक फिल्मों में बतौर डायरेक्टर काम किया है.
हमें फिल्में क्या, मैग्जीन पढ़ने की भी मनाही थी
एक इंटरव्यू में पिता कादर खान के बारे में सरफराज ने बताया था, "हम बचपन में सेट पर बहुत ज्यादा नहीं जाते थे. मेरे पिता नहीं चाहते थे कि हम पढ़ाई छोड़कर फिल्मों में जाएं इसलिए हमें पढ़ाई पूरी करने के लिए कहा था. यहां तक कि हमें मैग्जीन पढ़ने की भी इजाजत नहीं थी."
"मैं हमेशा अभिनय करना चाहता था. बचपन में जब मैं टीवी देखता था तो मन करता था कि मैं भी वो करूं जो वे (अभिनेता) कर रहे हैं. बाद में मैंने देखा कि मेरे पिता भी टीवी पर आते हैं. मेरे पिता सप्ताह में 5 दिन शूट में व्यस्त रहते थे और मां हम लोगों की देखभाल करती थीं. मैं ये नहीं कहूंगा कि हमारे बचपन में हमारे पिता गायब थे, हमें जब भी जरूरत हुई, वो हमारे लिए खड़े होते थे. अगर वह हमारे साथ 5 मिनट भी साथ रहते तो वह काफी अच्छा वक्त होता था."
स्कूल में कोई नहीं जानता था कि हम कादर खान के बेटे हैं
सरफराज ने बताया था, "हमने स्कूल में कभी किसी को नहीं बताया कि हम कादर खान के बेटे हैं. हम स्कूल में अलग तरह का ट्रीटमेंट नहीं चाहते थे, हम नहीं चाहते थे कि हमें स्टार किड्स के तौर पर जाना जाए, हमारे पिता ने हमें यही सिखाया था. मैं दो बार ऊंटी गया था, तब वहां मेरे पापा शूटिंग कर रहे थे और हमारी छुट्टियां चल रही थीं. मेरे पिता को क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था इसलिए जब भी वह शूटिंग से फ्री होते तो कहते चलो क्रिकेट खेलते हैं."
बेटे को लताड़ा था- तुम अमिताभ बच्चन हो क्या?
"मैंने अपने पिता को ऐक्टिंग करने की इच्छा के बारे में तब तक नहीं बताया जब तक मैंने अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर ली. मैंने यूके से होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया और उसके बाद पिता को बताया कि मैं अभिनय करना चाहता हूं. उन्होंने मुझसे पूछा कि फिल्म बनाने के लिए कितने पैसों की जरूरत पड़ेगी तो मैंने जवाब दिया था- करोड़ों. उन्होंने मुझसे सवाल किया कि क्या मैं चाहता हूं कि वह मेरे लिए फिल्म बनाएं? मैंने इसका जवाब ना में दिया."
"उन्होंने (कादर खान) कहा, अगर मैं तुम्हारा पिता होते हुए तुम्हारे ऊपर पैसा लगाने से पहले दो बार सोचता हूं तो कोई ऐसा क्यों करेगा? क्या तुम अमिताभ बच्चन हो? जाओ पहले इसका जवाब ढूंढो और फिर मेरे पास आओ."
फिल्मों के लिए खुद करना पड़ा संघर्ष
अभिनेता कादर खान केवल अभिनय में ही नहीं बल्कि अपने उसूलों को लेकर भी बड़े पक्के थे. उन्होंने अपने बेटों को बॉलीवुड में लॉन्च करने के लिए कभी किसी को फोन नहीं किया. उनके बेटे सरफराज ने बताया था- "मेरी पहली फिल्म 'क्या यही प्यार है' थी. मैं मॉरीशस में छुट्टियां मना रहा था और फिल्म के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर वहां रेकी के लिए मौजूद थे. अमजद खान के बेटे शादाब को फिल्म में एक किरदार निभाना था, लेकिन उनका ऐक्सीडेंट हो गया और फिर सोहेल भाई (सोहेल खान) की मदद से मुझे वह रोल मिल गया."
"यह फिल्म देखने के बाद सलमान खान ने मुझे 'तेरे नाम' के लिए बुलाया था. मुझे कभी किसी फिल्म में अपने पिता की वजह से काम नहीं मिला. वह कभी किसी को कॉल नहीं करते थे. मुझे अपने लिए खुद संघर्ष करना पड़ा. यहां तक कि वह मेरी फिल्में देखने के लिए थियेटर भी नहीं जाते थे. जब मेरी फिल्में टीवी पर आती थीं, तभी वो देखते थे. हालांकि, उन्होंने अपनी फिल्में भी कभी थियेटर में जाकर नहीं देखी थी. एक दिन टीवी पर तेरे नाम फिल्म आ रही थी और मेरी मां ने उन्हें बताया तो उन्होंने फिल्म देखी. मैं उन्हें पीछे से देख रहा था, वह मेरी ऐक्टिंग देखकर खुश हो रहे थे. खासकर उस सीन में जहां सलमान भाई और मेरी फाइट होती है."
पिता से बहुत डर लगता था
कादर खान के बेटे शाहनवाज ने भी अपने पिता को सख्त पिता बताया था. शाहनवाज ने एक इंटरव्यू में कहा था, "हमारे घर में बिल्कुल फिल्मी माहौल नहीं था. वह घर पर बहुत सीरियस होते थे और हमसे हमारी पढ़ाई के बारे में बात करते थे. यहां तक कि हम छुट्टियों में भी पढ़ाई करते थे. जब मैं बच्चा था तो मुझे उनसे डर लगता था. मैंने उनकी एक फिल्म वर्दी देखी थी जिसमें उनका डबल रोल था- लालचंद और बालकृष्णन. उनका विलेन कैरेक्टर लालचंद था. जब मेरे पिता नाराज हो जाते थे तो मुझे लगता था कि अब वह लालचंद बन जाएंगे."
शाहनवाज ने टोरंटो में डायरेक्शन, एडिटिंग और ग्राफिक डिजाइनिंग की पढ़ाई की. शाहनवाज ने अपने पिता कादर खान के साथ कुछ नाटकों में भी काम किया है.