क्या होगा अगर एक ही क्लास में स्कूल के टॉपर और फेलियर को साथ-साथ बैठा दिया जाए? ये जानने के लिए आपको कुछ खास इंतजार नहीं करना पड़ेगा. डायरेक्टर निखिल आडवाणी और प्रोड्यूसर सिद्धार्थ रॉय कपूर से आज देश भर की जनता सिर्फ एक ही सवाल कर रही है, कि उन्होंने अपनी आने वाली फिल्म 'कट्टी बट्टी' में बॉलीवुड की क्वीन कंगना रनोट और लगातार फेल हो रहे इमरान खान की जोड़ी क्या सोचकर बनाई.
प्रॉब्लम:
मासूम और चॉकलेटी बॉय इमरान खान के करियर में 'लव स्टोरीज' की रेखा पर राहु, केतु और शनि बैठे हैं और ऊपर से मंगल भारी है. लोगों ने तो अब
यहां तक कहना शुरू कर दिया है कि इमरान को अगर एक्सप्रेशंस देने नहीं आते और डांस करना नहीं आता , तो वो मॉडलिंग में अच्छा करियर बना सकते
थे. लेकिन अब फिल्म इंडस्ट्री में अगर आ गए हैं तो कुछ नया एक्सपेरिमेंट क्यों नहीं करते? हर फिल्म की एक ही टिपिकल लव स्टोरी की कुल्फी, उस
स्टोरी की कुल्फी के ठेले (लड़की) के पीछे बच्चों की तरह भागते इमरान, और आखिर में वही ढाक के तीन पात! हर फिल्म में इमरान ही लड़की के पीछे
पगलाए रहते हैं, और लड़की उन्हें भाव नहीं देती. फिल्म रिलीज होने के बाद पता चलता है कि सारी फुटेज भी हीरोइन ले गई. इमरान का करियर वैसे का
वैसा.
करियर में चान्स:
1988 में 'कयामत से कयामत तक' और 1992 में 'जो जीता वही सिकंदर' में इमरान ने चाइल्ड आर्टिस्ट के रोल किए. उसके बाद 2008 में 'जाने तू या
जाने ना' से डेब्यू कर फिल्मफेयर अवॉर्ड फॉर बेस्ट न्यू कमर से भी नवाजे गए. चौतरफा गूंज हो गई कि आमिर खान का भांजा आया है. सबको हिलाकर
रख देगा. किसे पता था कि सब हिलने की बजाय थिएटर में अपने बाल नोंचते नजर आएंगे?
'किडनैप', 'लक', 'एक मैं और एक तू', 'मटरू की बिजली का मनडोला', 'वन्स अपॉन ए टाइम इन मुम्बई दोबारा' और 'गोरी तेरे प्यार में' ऐसे न जाने कितने मौके मिले इमरान को, पर पिक्चरें सारी फ्लॉप. 'आई हेट लव स्टोरीज', 'ब्रेक के बाद', 'मेरे ब्रदर की दुल्हन' और 'डेल्ही बैली' जैसी कुछ चुनिंदा हिट्स भी आईं. लेकिन अधिकतर फिल्मों में हीरोइन ही सारी फुटेज खा गईं. एक समय तो ऐसा आया जब फिल्मों में सोनम कपूर से लेकर करीना कपूर और दीपिका पादुकोण तक हर एक्ट्रेस ने उन्हें लट्टू की तरह नचाया और अपना अपना करियर सेट कर लिया.
अब सितंबर 2015 में 'कट्टी बट्टी' में कंगना से भी सब ऐसी ही उम्मीद कर रहे हैं. कोई फैन इमरान का बुरा नहीं चाहता. लेकिन वो ऐसी ही फिल्में क्यों साइन करते हैं जिनमें उन्हें समझाया जा रहा होता है कि, 'भाई, वो लड़की तेरे लिए सही नहीं है. वो सिर्फ तेरे साथ टाइमपास कर तुझे बेवकूफ बना रही है.' इमरान के और सगे संबंधी या हितैषी लोग उन्हें ये बात क्यों नहीं समझाते? क्यों इमरान हमेशा ऐसी ही फिल्में साइन करते हैं जिसमें उन्हें लड़की के पीछे भागता दिखाया गया हो? उन्हें कॉमेडी, एक्शन वगैरह से परहेज क्यों है? क्या कोई ऐसी फिल्म आएगी जिसे इमरान अपने दम पर हिट साबित करेंगे?
कहने को तो इमरान ने लॉस ऐंजेलिस स्थित 'न्यूयॉर्क फिल्म अकादमी' से फिल्म मेकिंग का कोर्स भी किया. लेकिन उसका भी कोई फायदा यहां नहीं दिखता. लेयर शॉट डीओड्रेन्ट में कोई गैस नहीं है, यह बात इमरान साबित कर चुके हैं. बस अब एक आखिरी छोटा सा काम बचा है अपना फिल्मी करियर बचाना. सो सॉरी इमरान!!