यह कहना है कंगना रनोट के वकील का जो इस राज से पर्दा उठाते हैं कि इन दिनों कंगना से जुड़ी जो झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं वह सब मीडिया और लोगों का ध्यान सच से भटकाने के लिए किया जा रहा है. सिर्फ यही नहीं उन्होंने यह भी बताया कि तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता रही कंगना रनोट से पुलिस ने उनका लैपटॉप अपने कब्जे में लेने की जो बात कही है वह भी सरासर बेबुनियाद है.
कंगना के वकील ने इस बात की पुष्टि की है कि कुछ लोग हैं जो झूठी खबरें फैलाकर मीडिया को बहका रहे हैं. उनके अनुसार यह महज उनकी चालें हैं जो इस मुद्दे को मीडिया ट्रायल बनाकर बिना किसी सबूत के आधार पर फैसला अपने हक में सुनना चाहते हैं. इससे पता चलता है की रितिक रोशन की टीम के पास अब आइडियाज की कमी हो गई है जिससे वह कानूनन लड़ सकें. यह भी कह सकते हैं कि सही मुद्दे को झुठला कर उससे सबका ध्यान हटाने की यह एक सोची समझी चाल है.
एडवोकेट रिजवान सिद्दीकी का कहना है, 'बजाय इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट फाइल करने के पुलिस ए, बी या सी की समरी रिपोर्ट लिख रही है. मैं इस बात से भी काफी चकित हूं कि किस बूते पर मीडिया ने यह खबर छापी कि मेरे क्लाइंट कंगना के पास एक लैपटॉप है जिसकी डिमांड पुलिस ने उनसे की है. मैं बता दूं कि अब तक इस तरह की ऐसी कोई डिमांड पुलिस की तरफ से नहीं आई है और ना ही कोई जेनेरिक नोटिस आया है, जो विशेष रूप से लैपटॉप, कम्प्यूटर या फोन के लिए सबसे पहले सायबर क्राइम के तहत मिलता है. इस तरह के झूठे आरोप पूरी तरह असामाजिक हैं और सीआरपीसी की धारा 160 के तहत उन्हें मेरे क्लाईंट को एक प्रार्थना पत्र भेजना चाहिए.
कंगना के वकील ने यह भी कहा, 'एफआईआर में दोषी दिखाए गए मेरे क्लाइंट ने कभी पुलिस के सामने अपने स्टेटमेंट को रिकॉर्ड करने में असहमति नहीं दिखाई. इसके अलावा कानून के नियमों के तहत मेरी क्लाइंट यह जरूर जानना चाहती थी कि उनके खिलाफ लिखी गई एफआइआर रिपोर्ट और पुलिस के सामने लिए गए रितिक रोशन के स्टेटमेंट में क्या है, जिसमें उनकी बहन का भी नाम शामिल है. अपनी बहन के नाम के इस्तेमाल की वजह को वह जरूर जानना चाहती हैं.