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'ऐ दिल...' की मुश्किल इस फिल्मी फैन को सपने में यूं नजर आई...

एक फिल्मी फैन को ये चिंता थी कि 'ऐ दिल है मुश्किल' की रिलीज को लेकर और कितनी मुश्किलें आएंगी. सपने भी उसे फिल्मों के आते थे तो आंख लगने पर उसने फिल्म को लेकर जो देखा, उसे आप जरूर जानें...

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ऐ दिल है मुश्किल का पोस्टर
ऐ दिल है मुश्किल का पोस्टर

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करण जौहर की फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' की रिलीज को लेकर मुश्किल ये है कि इसमें पाकिस्तान के एक्टर फवाद खान का भी रोल है. अब कभी इसी नाम को हमने खूब चढ़ाया है.

मैं भी इसी उधेड़बुन में हूं कि इस फिल्म के साथ क्या होगा... हालांकि करण ने आमी वेलफेयर में पैसा डाल दिया है लेकिन फिर भी फिल्म को लेकर मेरी टेंशन बनी हुई है. यही सोचते-सोचते मुझे नींद नहीं आ गई और मैंने सपने में ये देखा...

पिछले दिनों ऐ दिल है मुश्किल को लेकर कुछ ज्यादा ही हंगामा हो गया. कुछ लोग तो फिल्म की रिलीज रोकने के लिए अपनी जी जान लगाए हुए थे. आखिर इस फिल्म पर इतना हंगामा क्यों हो रहा है ? सिर्फ इसलिए कि इसमें पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान हैं.

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फिल्म की रिलीज पर लटकी तलवार को देखते हुए करण जौहर को एक वीडियो जारी करके अपने ही देश में अपनी देशभक्ति सिद्ध करनी पड़ी और फिल्म की रिलीज के लिए गुहार लगानी पड़ी. तमाशा अपने उफान पर था, और इन सभी बातों के बीच कब मेरी आंख लग गई, पता ही नहीं चला.

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कहते हैं जो सारे दिन दिमाग में जो रहता है, वही सपने में भी आ जाता है. मेरे साथ भी यही हुआ. मैं सीधे नॉर्थ दिल्ली के एक सिनेमाघर में जा पहुंचा. तारीख थी 28 अक्टूबर. मौका 'ऐ दिल है मुश्किल' का पहला दिन, पहला शो. यहां भी कुछ राष्ट्रवादी फवाद खान की वजह से फिल्म के शो को बिगाड़ने की तैयारी में थे. लेकिन दूसरी तरफ शो को सुचारू ढंग से चलाने के लिए पुलिस और प्रशासन दुरुस्त भी था.

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सिनेमाघर पर भीड़ कुछ ज्यादा नहीं थी क्योंकि फिल्म के निर्माता यह समझ ही नहीं पाए कि फिल्म किसके नाम पर बेची जाए? शुरू में जहां यह रणबीर, अनुष्का और ऐश्वर्या का लव ट्रायंगल लग रही थी, वहीं रिलीज की तारीख आने तक अनुष्का को साइडलाइन करके रणबीर कपूर और ऐश्वर्या राय के बीच इंटीमेट सीन्स पर फोकस किया जाने लगा.

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मैं टिकट खरीदकर अंदर पहुंचा तो हॉल में सभी उम्र के ऑडियंस दिखे. हॉल में लगभग 40 फीसदी ऑक्युपेंसी थी. कुल मिलाकर फिल्म शुरू हुई. लोग शांति के साथ फिल्म देखने लगे. गाने ठीक-ठाक लग रहे थे, और ऐसा कुछ भी नहीं था कि सीटियां बजतीं.

रणबीर को लेकर जनता में ज्यादा क्रेज नहीं
रणबीर को लेकर कुछ क्रेज जनता में नहीं दिखा रहा था, हालांकि जब फवाद स्क्रीन पर आए तो कुछ लोग खड़े होकर चिल्लाने लगे. भी पीछे से कॉलेज की लड़कियों ने बिंदास अंदाज में कहा, 'अरे, भैया शोर क्यों मचा रहे हो!!' राष्ट्रवादी लहर में जकड़े ये बांके जब भी फवाद स्क्रीन पर आता तो भारत माता की जय के नारे लगाते...

फवाद का स्क्रीन पर आना कोई हटकर नहीं था. बिल्कुल एक सामान्य-सा लगा. यह बात भी मानने वाली है कि फिल्म में ऐश्वर्या के हॉट अंदाज पर फवाद का अंदाज हावी पड़ता दिखा और कुछ देर शोर मचाने के बाद भी हॉल में उन हंगामाबाजों को कोई समर्थन नहीं मिला. टॉर्चमैन के शांत कराने पर शांत हो गए और ऐश्वर्या और रणबीर की अनयुजूअल जोड़ी को देखने में बिजी हो गए.

फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं दिखा जिसकी वजह से परदे फाड़े जाते या हॉल को आग लगाई जाती. परदे पर जो फवाद नजर आया वह एक कलाकार था, और वह सिर्फ फिल्म में अपना किरदार निभा रहा था. वह किरदार जो उसे उस समय मिला था जब भारत और पाकिस्तान के बीच माहौल इतना तनाव भरा नहीं था. उन्हें जो काम मिला उसको उन्होंने बखूबी निभाया, और जब भी वे स्क्रीन पर आते तो कॉलेज की लड़कियों की सीटियां बजना बंद नहीं होतीं. हालांकि वे अधेड़ उम्र वाले जोड़े में से एक की पत्नी ने भी खड़े होकर फवाद के आने पर तालियां बजाईं और उनके मियां सिर्फ मुस्काराकर रह गए.

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हॉल से बाहर निकलती भीड़ की जुबान पर कुल मिलाकर फवाद का ही नाम था. यह कहना गलत ना होगा कि भारत में सिनेमा एक जश्न की तरह है, और इस जश्न के दौरान हम यह भूल ही गए कि ये कलाकार किस देश के हैं और कौन क्या है. यह पहला दिन पहला शो था, शायद राष्ट्रवादी लोगों के निकलने का समय दूसरे शो से शुरू होगा, तब कुछ गतिविधियां देशभक्ति के नाम पर अंजाम दी जाएंगी. चलिए मैंने तो फिल्म देख ली और सूफी शायर बुल्ले शाह की ये लाइनें गुनगुनाते हुए हॉल से बाहर निकला, बुल्ला शाह है दोहीं जहानीं/ कोई ना दिसदा गैर…

इतने में ही मेरी नींद खुल गई. फवाद की मीठी-सी मुस्कान एकदम से आंखों के घूम गई, वह मुस्कान फवाद की थी, एक एक्टर की न कि किसी पाकिस्तानी आतंकी की...

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