फिरोज खान. रुपहले पर्दे पर पौरुष, आकर्षण, संरक्षण और सौम्यता का एक नवाचार शुरू करने वाला शख्स. एक्टर. डायरेक्टर, प्रॉड्यूसर. फैशन आइकन, पूरब का क्लिंट ईस्टवुड. आज फिरोज खान साहब का जन्मदिन है. जानिए इस रौबीली आवाज, खूबसूरत अंदाज वाले एक्टर के बारे में 21 बातें...
1. 25 सितंबर 1939 को अफगानिस्तान से विस्थापित होकर आए एक पठान परिवार में जन्म. जगह, कर्नाटक का बेंगलुरु. उनका खानदान गजनी का रहने वाला था. मां ईरानी थीं.
2. शुरुआती पढ़ाई हुई बिशप कॉटन स्कूल में. पांचों भाइयों की. संजय खान (टीपू सुल्तान फेम), अकबर खान (अकबर फेम, शाहरुख शाह अली खान और समीर खान. उनकी एक बहन भी थी, दिलशाद बीवी.
3. पढ़ाई पूरी कर तब की बंबई गए. हीरो बनने. पहला मौका मिला 1960 में फिल्म दीदी में. सेकंड लीड के तौर पर.
फिरोज खान के पांच बेहतरीन गाने...
4. जल्द ही उन्होंने एक इंग्लिश फिल्म भी साइन कर ली. इसका टाइटल था टारजन गोज टु इंडिया. इसमें उनके अपोजिट सिमी ग्रेवाल थी. 1962 पर आई ये फिल्म ठंडी रही. इसमें फिरोज प्रिंस रघु कुमार बने थे.
5. पहली हिट फिल्म थी ऊंचे लोग. डेब्यू के पांच साल बाद उन्हें हिट नसीब हुई. इसमें वह राज कुमार और अशोक कुमार जैसे कद्दावर अभिनेताओँ के साथ नजर आए.
6. इसके बाद उन्होंने कई स्मॉल बजट फिल्में कीं. इसमें सिर्फ एक सपेरा एक लुटेरा का ही जिक्र किया जा सकता है. इसके हिट गाने हम तुमसे जुदा होके के चलते.
7. 1969 में आई फिरोज खान की आदमी और इंसान. इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला.
8. फिरोज खान के भाई संजय खान भी इंडस्ट्री में हीरो बनने आ गए थे. दोनों उपासना, मेला और नागिन जैसी हिट फिल्मों में साथ नजर आए.
9. फिरोज खान को जल्द ही समझ आ गया कि फिल्मी किस्मत में प्रॉड्यूसर का रोल अहम होता है. नतीजतन, 1971 में उन्होंने फिल्में प्रॉड्यूस करना शुरू कर दिया. पहली फिल्म थी अपराध. इसमें जर्मनी में होने वाली कार रेसिंग के सीन दिखाए गए. फिल्म में उनके साथ थीं मुमताज.
10. 1975 में आई धर्मात्मा. इसने फिरोज का बतौर प्रॉड्यूसर सिक्का जमा दिया. फिल्म के लीड हीरो भी वही थे और डायरेक्टर भी. यह पहली ऐसी फिल्म थी, जो पूरी तरह अफगानिस्तान में शूट हुई. इसमें उनके साथ रेखा, हेमा मालिनी, प्रेमनाथ और डैनी थे. फिल्म द गॉडफादर से प्रभावित थी.
11. करियर के पीक के दौरान ही फिरोज खान ने भाषाई सिनेमा के प्रति अपने लगाव को जताते हुए एक पंजाबी फिल्म में भी काम किया. इसका नाम था भगत धन्ना जाट.
12. 1980 में आई फिरोज खान की सबसे बड़ी हिट- कुर्बानी. इसमें जीमत अमान के अलावा विनोद खन्ना भी लीड रोल में थे उनके साथ. इस फिल्म ने पाकिस्तानी पॉप सिंगर नाजिया हसन को भी स्थापित किया. उनका गाया आप जैसा कोई मेरी जिंदगी में आए, तो बात बन जाए धूम मचा गया.
13. 1986 में फिरोज खान की फिल्म जाबांज आई. इसमें उनके साथ थीं श्रीदेवी. अनिल कपूर और डिंपल कपाड़िया भी फिल्म का हिस्सा थे. कई आलोचक इसे फिरोज की सबसे बेहतर फिल्म बताते हैं.
14. फिरोज खान ने फिल्म बनाई यलगार. इसमें संजय दत्त और नगमा पर शूट हुआ गाना, आखिर तुम्हें गाना है हिट रहा. फिल्म में मनीषा कोईराला भी थीं. इस फिल्म के बाद फिरोज ने 11 साल का एक्टिंग ब्रेक लिया.
15. 1988 में फिरोज ने अपने बेटे फरदीन खान को लॉन्च करने के लिए फिल्म बनाई प्रेम अगन. फरदीन के अपोजिट थीं मेघना कोठारी. फिल्म फ्लॉप रही. सांत्वना बस इतनी कि बेटे को बेस्ट मेल डेब्यू की फिल्मफेयर ट्रॉफी मिल गई.
16. बेटे को स्थापित करने की एक और कोशिश के तहत फिरोज ने बनाई जानशीं. 2003 में आई इस फिल्म को उन्होंने डायरेक्ट भी किया और खुद एक्ट भी.
17. 2007 में आई वेलकम आखिरी फिल्म थी, जिसमें फिरोज खान बतौर एक्टर नजर आए. फिल्म सुपरहिट रही.
18. खबर है कि 2006 में फिरोज खान के पाकिस्तान आने पर पाबंदी लगा दी गई थी. किस्सा कुछ यूं है कि फिरोज अपने भाई अकबर खान की फिल्म ताज महल के प्रमोशन के लिए पाकिस्तान गए थे. वहां पर एक महफिल में दारूबाजी के दौरान उनकी पाकिस्तानी सिंगर और एंकर फख्र ए आलम से कहासुनी हो गई. कहा जाता है कि फिरोज ने हिंदुस्तान की तारीफ करते हुए कह दिया कि हमारे यहां हर कौम तरक्की कर रही है. और इस्लाम के नाम पर बना पाकिस्तान पिछड़ रहा है. इसके बाद पाकिस्तानी हाई कमिश्नर को निर्देश दिया गया कि इस शख्स को पाकिस्तान का वीजा न दिया जाए.
19. 1965 में फिरोज खान ने सुंदरी खान से शादी की. दोनों की पहली मुलाकात एक पार्टी में हुई थी. पांच साल डेट करने के बाद शादी हुई. पहला बच्चा हुए एक बेटी, लैला खान और फिर एक बेटा, फरदीन खान. फिरोज और सुंदरी का 1985 में डिवोर्स हो गया.
20. फिरोज खान और मुमताज कई फिल्मों में साथ नजर आए. फिर फिरोज के बेटे फरदीन ने मुमताज की बेटी नताशा माधवानी से शादी की.
21. जिंदगी के आखिरी वक्त में फिरोज खान ने मुंबई का मोह छोड़ अपने बेंगलुरु के बाहरी हिस्से में बने फॉर्म हाउस में वक्त बिताना शुरू कर दिया. उन्हें कैंसर डायगनोस हुआ. लंबे वक्त तक मुंबई में इलाज चला. फिर जब डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए तो फिरोज आखिरी वक्त सुकून का पाने अपने फॉर्म हाउस लौट गए. यहीं 27 अप्रैल, 2009 को उनका निधन हुआ. 69 वर्ष की उम्र में.