हिंदी सिनेमा में जब भी किसी महिला के निगेटिव रोल्स का जिक्र आता है तो एक ही चेहरा जेहन में आता है. वो है ललिता पवार का. ललिता पवार इंडस्ट्री में हमेशा से पॉपुलर रही हैं और उन्होंने कई दशकों तक फिल्मों में काम किया है. करियर के शुरुआती दौर में ही ललिता के साथ एक फिल्म की शूटिंग के दौरान हादसा हुआ और उनकी आंख खराब हो गई. मगर करियर में इसका उन्हें खूब फायदा मिला. जन्मदिन के मौके पर बता रहे हैं रामायण में मंथरा का किरदार निभाने वाली ललिता पवार के बारे में कुछ खास बातें.
ललिता पवार का जन्म 18 अप्रैल, 1916 को नासिक में हुआ था. ये बात साल 1942 की है. वे फिल्म 'जंग-ए-आजादी' की शूटिंग कर रही थीं. इस दौरान उनके साथ एक ऐसा हादसा हो गया कि उनकी पूरी जिंदगी ही बदल गई. दरअसल फिल्म 'जंग-ए-आजादी' में ललिता पवार को अभिनेता भगवान दादा के साथ एक थप्पड़ का सीन शूट करना था. सीन में भगवान दादा को ललिता पवार को एक थप्पड़ मारना था. इस सीन को करने के दौरान भगवान दादा ने ललिता को इतनी जोर से थप्पड़ मारा कि वह गिर गईं और उनके कान से खून बहने लगा. इसका असर ये हुआ कि दुर्भाग्यवश ललिता पवार के शरीर के दाहिने हिस्से को लकवा मार गया. उनकी दाहिनी आंख पूरी तरह सिकुड़ गई और चेहरा खराब हो गया.
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ट्रेंडसेटर साबित हुए ललिता पवार के रोल्स
इसके बाद ललिता पवार लंबे समय तक मनोरंजन की दुनिया से दूर हो गईं. कुछ समय के लिए उन्हें फिल्मों में भी खास काम नहीं मिला. उन्होंने अपने हौसले को कभी मरने नहीं दिया और अपनी सेहत में सुधार करने के बाद ललिता पवार ने एक बार फिर से साल 1948 में पर्दे पर वापसी की. उन्हें निगेटिव रोल मिलने शुरू हो गए. जैसे की किसी फिल्म में कड़क सास का किरदार. ये उनका ट्रेडमार्क बन गया. और हिंदी सिनेमा के लिए एक ट्रेंडसेटर भी साबित हुआ. इसके बाद सिर्फ इसी जॉनर का रोल कर के कई सारी एक्ट्रेस का करियर संवरा.