सेंसर बोर्ड के रिलीज प्रमाणपत्र से वंचित फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माई बुरखा' फिल्म ने ग्लासगो फिल्मोत्सव में दर्शक पुरस्कार जीता है. फिल्मोत्सव के समापन समारोह के दौरान फिल्म की निर्देशक अलंकृता श्रीवास्तव को डॉक्टर हू के स्टार डेविड टेनेंट ने यह पुरस्कार प्रदान किया.
इस फिल्म में रत्ना पाठक शाह और कोंकणा सेन शर्मा अहम किरदारों में हैं. फिल्म चार भारतीय महिलाओं के जीवन के ईद-गिर्द घूमती है जो सामान्य पारिवारिक जीवन से कुछ ज्यादा चाहती हैं.
श्रीवास्तव ने एक बयान में कहा, 'लिपस्टिक अंडर माई बुरखा' ने ग्लासगो फिल्मोत्सव में स्कॉटरेल ऑडियंस अवॉर्ड मिला, इससे मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रही हूं. उन्होंने कहा, अब जब इस फिल्म को भारत में प्रदर्शन के लिए प्रमाणपत्र देने से मना कर दिया गया है क्योंकि यह महिलाओं के दृष्टिकोण वाली महिला केंद्रित फिल्म है, तो मैं समझती हूं कि यह पुरस्कार इससे अधिक समयोचित नहीं हो सकता था.
फिल्मकार ने कहा, यह तथ्य है कि ग्लासगो के लोगों ने इस फिल्म को पसंद किया, विभिन्न संस्कृतियों और राष्ट्रों में इस फिल्म की प्रासंगिकता की पुष्टि है. यह इस तथ्य की पुष्टि है कि महिलाओं की कहानियां महिलाओं के दृष्टिकोण से कहे जाने की जरूरत है. यह पुरस्कार मुझे आशा प्रदान करता है, यह मुझे साहस देता है. उन्होंने कहा, यह मेरे अंदर विश्वास जगाता है कि बतौर महिला हमें अपनी कहानियां बताना जारी रखना चाहिए तथा उन लोगों से विचलित नहीं होना चाहिए जो हमें मौन कर देना चाहते हैं.
फिल्म को बताया 'असंस्कारी'
'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' पर असंस्कारी होने का ठप्पा लगाने से CBFC के अध्यक्ष पहलाज निहलानी का नाम फिर सुर्खियों में है. CBFC ने फिल्म प्रोड्यूसर प्रकाश झा को एक चिट्ठी भेजकर कारण साफ किया है कि क्यों फिल्म को प्रमाणित नहीं किया गया है.