फिल्म अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ने बुधवार को कहा कि उन्होंने राजनीति में जाने के बारे में अभी नहीं सोचा है. माधुरी अपनी फिल्म गुलाब गैंग के प्रचार के दौरान बात कर रही थीं. उनसे पूछा गया कि लोकसभा के चुनाव आने वाले हैं, क्या कोई राजनैतिक दल उन्हें टिकट देने की बात कर रहा है. इस पर उनका जवाब था, मैंने अभी ऐसा कुछ सोचा नहीं है और मतदान हमेशा गोपनीय होता है, तो इसे भी गोपनीय ही रहने दें.
फिल्मों में भी राजनीति की तरह अच्छे बुरे लोग
राजनीति में खराब चेहरों के आने पर पूछे गए सवाल पर माधुरी ने कहा कि हर व्यवसाय में कुछ अच्छे लोग होते हैं और कुछ खराब. फिल्मी दुनिया और राजनीति भी इससे अछूती नहीं है. फिल्म गुलाब गैंग में माधुरी रज्जो की भूमिका अदा कर रही है और इस फिल्म में उनके चरित्र को एक आदमी को जोर से तमाचा लगाते हुए और पुरूषों को डंडे से पीटते हुए भी दिखाया गया है. इस पर माधुरी ने कहा,मैंने ऐसे कभी कोई थप्पड़ नहीं मारा है. उन्होंने कहा कि इस फिल्म में रज्जो उन सब औरतों का प्रतीक है, जो महिलाओं के लिए कुछ कर रही हैं.
काल्पनिक है गुलाब गैंग की कहानी
बिग बॉस में हिस्सा ले चुकी समाजसेवी संपत पाल की जिंदगी से प्रभावित बताई जा रही इस फिल्म में केंद्रीय किरदार निभा रही माधुरी ने कहा, रज्जो की कहानी काल्पनिक है. इसमें वह गाने के साथ-साथ डांस, फाइट और मनोरंजन भी कर रही है. इस फिल्म का संदेश है कि इस दुनिया में बहुत सी ऐसी औरतें हैं, जो अपनी जान को भी दांव पर लगाकर दूसरों के लिए काम करती हैं. माधुरी ने बताया कि वह ऐसे सब औरतों को सलाम करती हैं, जो दूसरी महिलाओं या समाज के लिए काम कर रही हैं। फिल्म में गाली-गलौज और अपशब्द शब्दों के प्रयोग पर उन्होंने कहा, हमने फिल्म में कोई गाली तो नहीं दी हैं. हां एक दो जगह हैं, क्योंकि वहां पर रोमांटिक होना था और आवश्यक था कि मैं ऐसा कुछ कहूं, जो लोगों को लगे कि इसने क्या कह दिया.
ट्विटर के लिखे पर गुस्सा नहीं आता
एक अन्य सवाल के जबाव में फिल्म अभिनेत्री ने कहा कि उन्हें निजी जीवन में भी गुस्सा आता है, लेकिन ट्विटर पर किसी ने कुछ लिख दिया, तो उसमें उसे गुस्सा नहीं आता है. माधुरी ने कहा, फिल्म गुलाब गैंग में बहुत अच्छा अनुभव रहा.यह फिल्म महिलाओं को सशक्त बनाने की बात करती हैं, ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी रहे, स्वतंत्र रह सकें और उसे आत्मसम्मान मिले. माधुरी बोलीं. मुझे लगा कि रज्जो की भूमिका करनी चाहिए, क्योंकि देश में 75 प्रतिशत लोग गांवों में रहते हैं.