दूरदर्शन के बाद अब कलर्स पर बी.आर.चोपड़ा की महाभारत काफी चर्चा में है. इस लॉकडाउन में भी कभी-कभी दर्शक काफी व्यस्त हो जाते हैं, जिसके कारण समय पर वे शो देख नहीं पाते. इसीलिए हम लेकर आए हैं महाभारत का लिखित अपडेट जिसे आप जब चाहें पढ़कर महाभारत की कहानी कहां तक पहुंची, ये जान सकते हैं. तो आइये जानते हैं महाभारत के कल के एपिसोड में क्या हुआ ?
कंस के कारागृह में देवकी अपने आठवें पुत्र के लिए बिलख रह होती है और उधर गोकुल में यशोदा अपने लाडले कान्हा को लोरी सुनाकर सुलाती है. धीरे-धीरे समय निकलता गया और कृष्ण भी समय के साथ बड़े होने लगे और बालावस्था में आ गए. उसकी नटखट लीलाओं ने सभी का मन मोह रखा था. एक दिन वो मिट्टी खाते हुए पकड़े गए, यशोदा ने कान्हा को मुंह खोलने के लिए कहा और उन्हें कान्हा के मुंह में मिट्टी के बजाय पूरा ब्रह्माण्ड दिखा. ये देख यशोदा बेहोश हो गईं और जब होश आया तो उन्हें कुछ भी याद नहीं रहा. समय का पहिया और आगे बढ़ा, पुरे बृजवासियों का कान्हा पर दुलार बरसता रहा.
कान्हा की माखन चोरी और सुदामा से दोस्ती
कान्हा अपने दोस्त सुदामा और बाकी सखाओं संग घर-घर से माखन चोरी करके खाते और सबको अपनी लीलाएं दिखाते. एक दिन कान्हा अपने सखाओं संग मालती काकी के यहां माखन चोरी करके खा रहे थे कि तभी वहां पहुंच गईं यशोदा और उन्हें पकड़ लिया. नाराज होकर वो अपने घर की ओरे चली और कान्हा भी 'मैय्या, मोरी मैं नहीं माखन खाओ' गाते हुए यशोदा मैय्या को मनाने लगे.
एक दिन कान्हा अपने सखाओं संग खेल रहे थे, लेकिन खेल-खेल में बलराम, सुदामा और सभी सखाओं ने कान्हा को सांवला कहकर छेड़ना शुरू कर दिया. इसपर कान्हा नाराज होकर अपने घर आ गए और रोते हुए बलराम दाऊ की शिकायत की. साथ ही अपने सांवले होने का कारण भी पूछा. कान्हा के इन सवालों पर यशोदा हंसी और उस पर अपना लाड़ जताया.
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कान्हा ने किया कालिया नाग के घमंड को चूर
नंद गांव के ग्वाले कालिया नाग से बेहद परेशान थे, क्यूंकि जब भी उनकी गायें नदी किनारे पानी पीने जाती तो कालिया नाग उन्हें खा जाता. ग्वालों ने नंदराय के सामने अपनी ये परेशानी रखी. ये बात कान्हा ने सुन ली और नदी किनारे खेलने के लिए चल दिए. बलराम भी कान्हा संग खेलने नदी किनारे आ गए और खेल-खेल में कान्हा ने सुदामा की गेंद यमुना नदी में फेंक दी. इस पर सुदामा ने कहा कि कान्हा को उसकी गेंद वापस ला कर दे. इसीलिए कान्हा नदी की ओर चल दिए. सभी दोस्तों ने कान्हा को जाने से रोका भी लेकिन कान्हा ने उस नदी में छलांग लगा दी, जिसमें कालिया नाग ने अपना कहर बरपाया था.
यहां नदी के अंदर कान्हा कालिया नाग के साथ खेलने लगए. कालिया नाग को बहुत गुस्सा आया और कृष्ण को एक साधारण बालक समझकर अपनी कुंडली में दबोच लिया. उन पर भयंकर विष की फुफकारें छोड़ने लगा, कालेकिन लिया को बड़ा आश्चर्य हुआ, क्यूंकि कान्हा पर उसके विष का कोई प्रभाव ही नहीं हुआ. उधर सुदामा दौड़े-दौड़े कान्हा के घर आए और रोते बिलखते यशोदा मैय्या को कन्हैया के नदी में कूदने की बात बताई. यह सुनते ही यशोदा डर गईं और फूट-फूट कर रोने लगीं.
धीरे-धीरे पूरे गोकुल धाम वासियों को यह बात पता लगी और सब यमुना नदी किनारे दौड़े चले आए. यशोदा रो रोकर बेहोश हो गईं. वहां नदी के नीचे कालिया नाग भी कृष्ण से हार गए, उनकी पत्नियों ने आकर कृष्ण से क्षमा मांगी और कालिया नाग भी अपने असली रूप में आ गए और कृष्ण से माफी मांगी. कृष्ण ने कालिया नाग को अभयदान(भय से बचाने का वचन देने की क्रिया) दिया और साथ ही आदेश भी दिया की वो और उसका परिवार यमुना के इस तट से दूर चला जाए.
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कालिया नाग को गरुड़ से भय था इसीलिए कृष्ण उनके फनों पर चढ़ गए ताकि उनके चरण के निशान देखकर गरुड़ उनपर कोई प्रहार ना करें. इसके बाद कालिया नाग श्री कृष्ण को अपने फन पर उठाकर यमुना नदी से बाहर आ गया, जहां कान्हा उनके फन पर खूब नाचे. कृष्ण को सही सलामत वापस पाकर सभी बहुत खुश हुए और गोकुल में उत्सव मनाया गया.कृष्ण और राधा रानी का प्रेम
जो सबको अपनी उंगलियों पर नचाता है, वो राधा को रिझाने के लिए बांसुरी बजाता है. कृष्ण की मुरली सुन राधा और बृज की सभी गोपियां मंत्र मुग्ध हो जाती हैं. समय गुजरता गया और राधा-कृष्ण युवावस्था में पहुंच गए. अब कृष्ण सखाओं के साथ काम और बृज में अधिक समय गुजरने लगे हैं. यहां कृष्ण जब-जब अपनी मुरली बजाते, राधा रानी खींची चली आती है और मुरली की धुन पर खूब नाचती है.
वहां कंस ने अब तक देवकी और वासुदेव को बांधकर रखा हुआ है. रोहिणी उन्हें मिलने आती है और उनके आठवें पुत्र कृष्ण की लीलाओं और किस्सों के बारे में बताती हैं. वो बताती है कि कैसे कृष्ण ने नदी में नहा रही गोपियों के वस्त्र चुराए, जिसे सुनकर देवकी और वासुदेव खुश होते हैं.
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राक्षस धेनुकासुर-प्रलम्बासुर का वध
नन्द गांव के वासी कर के रूप में माखन लेकर कंस के पास मथुरा की ओर जा रहे ही थे कि कृष्ण ने आकर उन्हें रोक लिया और कहा, ''आज से हमारा माखन मथुरा नहीं जाएगा. ये भी अच्छी रही की, गइयों की सेवा करें हम, दुहे हम, माखन निकाले हम और खाएं मथुरा नरेश, ये कहां का न्याय है."
नन्दवासी ये शिकायत लेकर नंदराय के पास पहुंचे और वहां पर भी कृष्ण नहीं माने. जब ये समाचार मथुरा नरेश कंस के पास पहुंचा तो उसने सेना को नंदगांव की सारी गइयों को लाने का आदेश दिया. सेना सभी गइयों को लेकर जा ही रही थी की कृष्ण ने अपनी बंसी बजानी शुरू कर दी, जिसे सुनकर सारी गाय ने कंस की सेनाओं को भगा दिया.
ये समाचार सुनकर कंस ने राक्षस धेनुकासुर और प्रलम्बासुर को बुलाया और नंदगांव को जलाकर भस्म करने का आदेश दिया. दोनों राक्षस मिलकर पूरे गांव में त्राहिमाम मचा रहे थे, तो सुदामा दौड़कर गए कृष्ण और बलराम के पास गए और ये सुचना उन्हें दी. कृष्ण ने अपने तेज से और बलराम ने अपने बल से दोनों राक्षसों का वध कर दिया.
इनपुट: साधना