फिल्म- मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी
कलाकार- कंगना रनौत, अंकिता लोखंडे, जिस्सू सेनगुप्ता, डैनी डेन्जोंगपा, मोहम्मद जीशान अयूब, सुरेश ओबेरॉय, कुलभूषण खरबंदा अन्य
निर्देशक- कंगना और कृष
रेटिंग- 3
आनंद एल राय के निर्देशन में बनी फिल्म 'तनु वेड्स मनु' और 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' में एक्ट्रेस कंगना रनौत ने सभी को खूब एंटरटेन किया था. फिल्म 'क्वीन' में भी कंगना की एक्टिंग की जमकर तारीफ हुई थी. कंगना अपने दम पर फिल्म हिट कराने की गारंटी रखती हैं. हंसाने, रुलाने के बाद कंगना का दमदार एक्शन स्किल सामने आया है जो कि आपको फिल्म 'मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी' में देखने को मिलता है. झांसी की रानी का जिक्र है तो बात वीरता की होगी ही और कंगना ने इस किरदार में जोश भरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. फिल्म का निर्देशन खुद कंगना और कृष ने मिलकर किया है. आइए जानते हैं कैसी बन पड़ी है फिल्म...
क्या है फिल्म की कहानी?
मणिकर्णिका एक पीरियड ड्रामा है. फिल्म की कहानी मणिकर्णिका (कंगना रनौत) के जन्म से शुरू होती है. कंगना बचपन से शस्त्र चलाने में बेहद ही निपुण हैं. उनकी इसी योग्यता को देखकर झांसी के राजा गंगाधर राव (जिस्सू सेनगुप्ता) का रिश्ता आता है और उनकी शादी हो जाती है. शादी के बाद उनका नाम 'लक्ष्मीबाई' हो जाता है. सबकुछ ठीक चलता है. रानी लक्ष्मीबाई झांसी को उसका उत्तराधिकारी देती है, जिसका नाम होता है 'दामोदर दास राव'. लेकिन मात्र 4 महीने की उम्र में उनका निधन हो जाता है. इसके बाद गंभीर बीमारी से उनके पति का भी निधन हो जाता है. बच्चे और पति के निधन होने की वजह से अंग्रेज झांसी को हड़पने की कोशिश करते हैं. अपने राज्य को बचाने के लिए रानी लक्ष्मीबाई झांसी के गद्दी पर बैठती हैं और ऐलान करती हैं कि झांसी किसी को नहीं देंगी. इसके बाद रानी लक्ष्मीबाई कैसे युद्ध लड़ती हैं और कैसे अपनी मातृभूमि के लिए शहीद होती हैं, इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी. वैसे विस्तार से फिल्म की कहानी आपको देखने-सुनने के बाद ही समझ आएगी.
क्यों देखें फिल्म?
पीरियड फिल्मों में दिलचस्पी रखने वालों के लिए फिल्म फरफेक्ट है. फिल्म में भरपूर मात्रा में एक्शन है. कंगना का रौद्र रूप देखने को मिला. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक बेहद ही शानदार है, जिसकी वजह से एक्शन सीन्स में जान आती है. कंगना पूरी फिल्म में जोश से भरी हुई नजर आईं. मूवी का कैमरा और वीएफएक्स अच्छा है. फिल्म इंस्पायरिंग है.
सबसे ज्यादा फिल्म में किसी चीज पर फोकस किया गया है तो वो है कंगना के लुक्स. उनकी फिल्म में एंट्री से लेकर और खत्म होने तक कंगना गजब की खूबसूरत लगती हैं. डैनी डेन्जोंगपा और मोहम्मद जीसान अयूब ने गजब की अदाकारी की है. फिल्म के संवाद देशभक्ति के जज्बे भरे हैं और डायलॉग भी अच्छे हैं. फिल्म के सेट्स पर काफी काम किया गया है. डायेरक्शन के लिहाज से कंगना ने बेहतरीन काम किया है.
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क्यों ना देखें
फिल्म की लेंथ बहुत बड़ी है. इसके कारण कई बार ध्यान भटकाव सा भी महसूस हो सकता है. वहीं फिल्म में डायलॉग तो कई हैं लेकिन उनमें पंच नहीं है. बनावटी से भी लगते हैं. फिल्म के सेकंड हाफ में जबरदस्ती का फन एलिमेंट लाने की कोशिश की गई है, जो कि अखरता है. वहीं कंगना में जोश तो भरपूर मात्रा में दिखा है लेकिन उनकी आवाज में फर्क साफ दिख रहा था. तकनीक के इस्तेमाल के बावजूद फिल्म में उनकी आवाज में दो तरह का अंतर नजर आता है. अंकिता लोखंडे भी अपनी डेब्यू फिल्म में खास कमाल नहीं दिखा पाई. फिल्म में उनकी मौजूदगी कम रही. ऐसा भी लगता है कि अंकिता छोटे पर्दे वाले फ्रेम से अभी निकल नहीं पाई हैं.
फिल्म ऐसी नहीं है जिसमें एक साथ सभी पहलुओं ने अपनी मौजूदगी दिखाई हो. कहीं एक्शन है तो मुख्य किरदार की आवाज दमदार नहीं, कहीं किरदारों की एंट्री अच्छी है तो वो फिल्म के बीच में कहां खो जाते हैं, पता ही नहीं चलता. किरदारों को पेश करने से पहले उन्हें स्थापित नहीं किया गया.
बॉक्स ऑफिस
कंगना की इस फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर नवाजुद्दीन की ठाकरे से टक्कर है. मणिकर्णिका के फर्स्ट डे बॉक्स ऑफिस पर 13 से 15 करोड़ कमाने की उम्मीद है. लेकिन नवाज की ठाकरे से इसे नुकसान उठाना पड़ सकता है. 26 जनवरी को देखते हुए, देशभक्ति के माहौल में शुरुआती दिनों में फिल्म को दर्शक मिल सकते हैं, पर उनका आगमन आगे के दिनों में होगा ये निश्चित नहीं है.
बेवजह सा है विवाद
फिल्म का विरोध करने वाले संगठनों की ओर से झांसी की रानी के रोमांस, डांस आदि पर सवाल उठाया है. पर आपको फिल्म देखते हुए ये विवाद बेमानी लगेंगे.