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मंथन 2017 में रिचा चड्ढा ने कहा- डिजिटल से है फिल्मों को खतरा

मुंबई मंथन के 'सास, बहू से डिजिटल तक' सेशन में एक्ट्रेस रिचा चड्ढा, प्रोड्यूसर गुल खान, एक्टर नकुल मेहता और सुमित व्यास ने शिरकत की. सबने भारत में बढ़ते बेव सीरीज के क्रेज पर बात की.

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रिचा चड्ढा
रिचा चड्ढा

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मुंबई मंथन के 'सास, बहू से डिजिटल तक' सेशन में एक्ट्रेस रिचा चड्ढा, प्रोड्यूसर गुल खान, एक्टर नकुल मेहता और सुमित व्यास ने शिरकत की. सबने भारत में बढ़ते बेव सीरीज के क्रेज पर बात की.

रिचा वेब सीरीज 'इनसाइड ऐज' में दिखाई दे रही हैं. उन्होंने कहा कि फिल्मों का मॉडल अब काम नहीं कर रहा. अगर आज 3 करोड़ में फिल्म बने तो 5 करोड़ रिलीज पर लगाने होंगे. कई फिल्में रिलीज पर अटक जाती हैं. अगर मैं मसूरी में रहती हूं तो 'मसान' जैसी फिल्म देखने के लिए देहारदून जाना होगा. डिस्ट्रीब्यूशन का पंगा है. इसलिए छोटी बजट की फिल्में पिट जाती हैं.

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वेब सीरीज के प्रेशर के बारे में उन्होंने कहा कि प्रेशर तो बहुत है. 'इनसाइड ऐज' में मेहनत ज्यादा थी और इसीलिए पैसे मैंने फिल्म वाले ही लिए थे. वेब सीरीज लोग अपने पेस पर धीरे-धीरे देखते रहते हैं.

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हमारे पेरेंट्स के समय टीवी पर 'नुक्कड़', 'बुनियाद' जैसे अच्छे शोज आते थे. अब टीवी के दर्शक भी बदल गए. 'बुनियाद' वाले दर्शक शायद नए सीरियल्स से कम रिलेट कर पाते हैं. जो लोग हॉलीवुड टीवी शोज देखते हैं उन्हें हमारा शो उतना अच्छा नहीं लगता. डिजिटल फ्यूचर नहीं, प्रेजेंट है.

उन्होंने कहा कि मैंने डिजिटल पर बकवास चीजें भी देखी हैं. लोग जबरदस्ती गाली देते हैं. यह फ्रीडम का मिसयूज है. थोड़े दिन में इसमें भी सेंसरशिप आ जाएगी.

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हालंकि टीवी के शोज को लोग डिजिटल पर भी देखते हैं. कंटेंट दोनों जगह पर देखा जा रहा है. रिचा का मानना है कि सिनेमा को डिजिटल से खतरा है. छोटी फिल्में देखने ज्यादा ऑडियंस नहीं आते.

प्रोड्यूसर गुल खान ने 'तनाहाइयां' वेब सीरीज बनाई है. वो करीब 15 साल से टीवी पर सक्रिय है. उन्होंने 'इश्कबाज', 'कबूल है' जैसे शोज बनाए हैं. कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा- वेब सीरीज हमारे पर्सनल च्वाइस पर निर्भर नहीं है. यह दुनिया की मांग है. इसमें डिस्ट्रीब्यूशन की समस्या नहीं है. लोगों की लगता था टीवी छोटा मीडियम है. लोग फिल्में करना चाहते थे, लेकिन अब समय बदल गया है. वेब सीरीज में आप एक ऐसा शो बना सकते हैं, जो सिर्फ घर का लड़का देखें. एक शो ऐसा बन सकता है जो सिर्फ सास देखे.

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टीवी पर शूट बहुत लंबी चलती हैं. वेब सीरीज की शूटिंग बहुत जल्दी खत्म हो जाती है. हमनें 'तनहाइयां' हॉट स्टार के लिए बनाई थी. टीवी और डिजिटल की ऑडियंस एक जैसी है. गुल का मानना है कि हम टीवी का जितना भी हम मजाक उड़ा, लेकिन ये खत्म नहीं होगा. 89 प्रतिशत वेब के ऑडियंस टीवी भी देखते हैं.

उन्होंने आगे कहा- नागिन, डायन के शो पता नहीं कैसे चल रहे हैं. सीरियल में दिखाया जाता है लड़की सुबह उठती है, पूजा करती है, सबकी समस्याएं सुलझाती हैं, लेकिन मैं अपने शोज में लड़कियों को ऐसे नहीं दिखाना चाहती थी. हालांकि सुपरनैचुरल एलिमेंट हॉलीवुड में भी है. लोग नई चीजें अपनाना नहीं चाहते. टीवी का मजाक उड़ाना आसान है.

'इश्कबाज' शो में नजर आने वाले नकुल मेहता ने 'आइ डोन्ट वॉच टीवी' नाम की वेब सीरीज भी बनाई थी. उन्होंने कहा- मैं बहुत दिनों से अपना कंटेंट बनाने की सोच रहा था. हम एक्टर्स लेखकों पर निर्भर रहते हैं. टीवी की दुनिया बहुत अतरंगी है. तीन साल पहले जब मैं वेब सीरीज का आइडिया लेकर लोगों के पास गया तो लोगों ने कहा फोन में बना लो. रॉनी स्क्रूवाला को मेरा आइडिया पसंद आया. कंटेंट पर निर्भर करता है कि लोग क्या देखना पसंद करेंगे.

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उन्होंने कहा कि वेब सीरीज के एक्टर्स भी बहुत पॉपुलर होते हैं. सुमित व्यास (परमानेंट रुममेंट्स फेम) बहुत फेमस हैं. टीवी में पॉपुलैरिटी आसान है, लेकिन वेब सीरीज के एक्टर्स भी पॉपुलर होते हैं. हम चाहते हैं कि हम जो भी काम करे उसे दर्शक देखें.

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'परमानेंट रुममेट्स' के मिकेश यानी सुमित व्यास ने भी वेब सीरीज पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा- 2017 में 'परमानेंट रुममेट्स' की थी. उसके बाद बहुत बदलाव आया. अगर मैं इंटरनेट पर कुछ करना चाहता था तो प्रोड्यूसर्स को लगता था कि ये हमारी हॉबी है, हम सीरियस नहीं है. लेकिन हम सीरियसली काम करते थे. हमारे पास उस समय पैसा नहीं था. उस समय टीवी पर ऐसे शोज आते थे, जिसमें दिखाया जाता था कि 50 साल पहले क्या हुआ होगा. फिल्मों में भी अजीब चीजें (गाड़ियां उड़ाना) दिखाया जा रहा था. रोजमर्रा की जिंदगी नहीं दिखाई जा रही थी.

जब उनसे पूछा गया कि क्या टीवी और फिल्मों में लोग पैसे और फेम के लिए ही आते हैं. इस पर उन्होंने कहा- मुझे नहीं लगता कि सब पैसे कमाने और फेम के लिए ही आते हैं. कुछ लोग कहानी बताने भी आते हैं. उन्हें मौका मिलता है कि वो अपनी तरह से कहानी सुना सकें.

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उन्होंने बताया कि वेब सीरीज की कमाई ब्रैंड्स से होती है. कहानी में ब्रैंड्स को दिखाया जाता है. 'ट्रिपलिंग' में 'टाटा टीएगो' दिखाया गया था. अगर ब्रैंड कहानी का हिस्सा बन जाता है तो वो उतना बुरा नहीं लगता.

वेब सीरीज में सेंसरशिप पर उन्होंने कहा- ऑडियंस समझदार है. उन्हें पता है कि उन्हें क्या देखना है. वेब माध्यम में आपको जबरदस्ती चीज नहीं दिखाई जा रही है. आप खुद मोबाइल या लैपटॉप में खोल कर वेब सीरीज देखते हैं.

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