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Mulk Movie Review: ऋषि का उम्दा रोल, एक्टिंग के लिए याद की जाएगी फिल्म

ऋषि कपूर और तापसी पन्नू स्टारर 'मुल्क' की कहानी सच्ची घटनाओं से प्रेरित है. इसमें दिखाया गया है कि कैसे मुसलमानों को धार्मिक आधार पर सामाजिक-प्रशासनिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है. रिलीज से पहले ही ये फिल्म चर्चाओं में है.

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मुल्क के पोस्टर में ऋषि कपूर
मुल्क के पोस्टर में ऋषि कपूर

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फिल्म का नाम : मुल्क

डायरेक्टर: अनुभव सिन्हा

स्टार कास्ट: ऋषि कपूर, तापसी पन्नू, प्रतीक बब्बर, मनोज पाहवा, आशुतोष राणा, नीना गुप्ता, कुमुद मिश्रा, रजत कपूर

अवधि: 2 घंटा 20 मिनट

सर्टिफिकेट: U/A

रेटिंग:  4 स्टार

तुम बिन, रा-1, दस और तथास्तु जैसी फिल्में बना चुके निर्देशक अनुभव सिन्हा इस बार असल जिंदगी की कहानी पर आधारित फिल्म 'मुल्क' ले कर के आए हैं. ट्रेलर आने के साथ ही फिल्म का बज काफी बढ़ गया था. आइए जानते हैं आखिर कैसी बनी है यह फिल्म.

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कहानी :

फिल्म की कहानी उत्तर प्रदेश के बनारस में रहने वाली एक मुस्लिम परिवार की है जिसके मुखिया मुराद अली मोहम्मद (ऋषि कपूर) हैं. कुछ ऐसी परिस्थितियां आती हैं जिसमें उनका बेटा शाहिद मोहम्मद (प्रतीक बब्बर) आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है. इसकी वजह से पूरे परिवार को समाज हेय दृष्टि से देखने लगता है. इस गलत व्यवहार की वजह से मुराद अली की बहू आरती मल्होत्रा (तापसी पन्नू), जिनका विवाह शाहिद के बड़े भाई से किया जाता है, वह परिवार के सम्मान के लिए कोर्ट में केस लड़ती हैं.

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कोर्ट में आरती का सामना मशहूर वकील संतोष आनंद (आशुतोष राणा) से होता है. कहानी में बहुत सारे उतार-चढ़ाव आते हैं और अंततः एक ऐसे नोट पर वह खत्म होती है जो कि काफी दिलचस्प है. वह बिंदु क्या है इसका पता आपको फिल्म देख कर ही चल पाएगा.

जानिए आखिर फिल्म को क्यों देख सकते हैं:

अनुभव सिन्हा ने फिल्म की कहानी लिखी है जो काफी जोरदार है. समाज की सोच के अनुसार ही फिल्म का स्क्रीनप्ले भी लिखा गया है. यह सच्ची घटनाओं पर आधारित कहानी है जो कहीं न कहीं सोचने पर विवश करती है. फिल्म के संवाद हार्ड हिटिंग हैं.

एक्टिंग :

अभिनय की बात करें तो हर एक एक्टर ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है. ऋषि कपूर बिल्कुल अलग अंदाज में नजर आए हैं. वहीं आशुतोष राणा और प्रतीक बब्बर भी सहज अभिनय करते हुए दिखे हैं. तापसी पन्नू ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि क्यों उन्हें बेहतरीन अदाकाराओं में एक माना जाता है. मनोज पाहवा ने कमाल का काम किया है, वहीं पुलिस के रोल में  रजत कपूर और जज के रोल में कुमुद मिश्रा का भी काम बहुत बढ़िया है. नीना गुप्ता और बाकी कलाकारों ने भी सहज ही अभिनय किया है.

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फिल्म की सबसे अच्छी बात यह है कि इसकी कहानी में फ्लो है. बनारस को भी बड़े अच्छे तरीके से दर्शाया गया है जो कि इस कहानी का अहम हिस्सा है. बनारस जैसे शहर में रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाले क्रियाकलापों को भी अच्छा चेहरा मिला है. समय-समय पर ऐसे भी पल आते हैं जब दर्शक इमोशनल होने के साथ-साथ तालियां बजाते दिखते हैं.

कमज़ोर कड़ियां :

फिल्म की कमजोर कड़ी शायद इसकी लेंथ हो सकती है. इसे दुरुस्त किया जा सकता था. दूसरी बात- प्रतीक बब्बर को अपने लहजे पर काम करने की अच्छी खासी जरूरत थी. रिलीज से पहले फिल्म का कोई भी दमदार गाना बाहर नहीं आया, इस वजह से वर्ड ऑफ माउथ ही इस कहानी को ज्यादा से ज्यादा ऑडियंस तक पहुंचा पाएगा.

बॉक्स ऑफिस :

फिल्म का बजट लगभग 25 से 30 करोड़ रुपए बताया जा रहा है. मुल्क के साथ ही इरफान की 'कारवां' और अनिल कपूर की 'फन्ने खान' जैसी फिल्में भी रिलीज हो रही हैं. देखना बेहद खास होगा कि दर्शक किस तरह से मुद्दों पर आधारित एक संवेदनशील कहानी को पसंद करते हैं.

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