बॉलीवुड एक्ट्रेस रवीना टंडन ने आज तक के कार्यक्रम "मुंबई मंथन 2018 में 90 के दशक और आज के बॉलीवुड में फर्क महिलाओं की स्थिति को लेकर बातें कीं. उन्होंने माना कि उस जमाने में भी उत्पीड़न जैसी शिकायतें होती थीं, लेकिन तब आज की तरह माहौल नहीं था. उन्होंने यह भी कहा कि इस वक्त कई लोग ऐसे भी हैं जो मीटू कैम्पेन का गलत इस्तेमाल करना चाहते हैं.
बॉलीवुड को लेकर उन्होंने कहा "90 के दशक में चीजें मेल डॉमिनेटिंग नहीं बल्कि हीरो डॉमिनेटिंग हुआ करती थी. तब निर्माता निर्देशक भी ये बात सोचता था कि हीरो ही मेरी फिल्म का बेड़ा पार लगाएगा. इसलिए हीरो के खिलाफ कोई दुश्मनी मोल नहीं लेता था. एक्ट्रेस को बिलकुल साइडलाइन कर दिया जाता था. उसकी सुनने वाला कोई नहीं था. "
रवीना ने कहा, "तब यदि किसी बात को लेकर शिकायत की भी जाती थी तो कोई इतनी आसानी से कोई नहीं सुनता था. मैग्जीन के एटिडर भी एक्ट्रेस का वर्जन तो ले लेते थे, लेकिन हीरो के खिलाफ कुछ लिखते नहीं थे. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके कवर पेज पर हीरो ही चलेगा और वही उन्हें बिजनेस देने वाला होता था."
#. बोलते पहले भी थे, पर सपोर्ट नहीं था
उन्होंने कहा, "उस समय भी लोग बोलते थे. लेकिन इतना सपोर्ट नहीं था. यह उस वक्त के कैम्प यानी हीरो की वजह से था. यह जाहिर तथ्य है बिलकुल खुला हुआ. आप शिकायत लेकर जाते थे तो सिनेमा की तमाम संस्थाओं में जिसका पलड़ा भारी होता था उसकी चलती थी. तब ऐसे हालात थे जिसमें महिलाओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. अब चीजें बदल रही हैं. लोग भी बदल रहे हैं."
#. अब मीटू के बाद हो जाएगी सफाई
रवीना ने कहा, "पहले इस बात की दिक्कत थी कि महिलाएं अपनी शिकायत लेकर कहां जाएं. जो शोषण झेलती हैं वो कहां जाए. मैं आज काफी खुश हूं कि आज महिलाओं के पास अपनी बात रखने के लिए जमीन है. सोशल मीडिया का इसमें बहुत बड़ा रोल है. बहुत से लोग समर्थन कर रहे हैं. तमाम अभिनेता और निर्देशक भी समर्थन कर रहे हैं. पूरा परिदृश्य बदल रहा है. मुझे इसका गर्व है."
#. इंडस्ट्री में सबकी सुरक्षा सबसे जरूरी सवाल
रवीना ने कहा, "स्थिति तो बेहतर हुई है. मीटू कैम्पेन के बाद थोड़ी सफाई भी हो जाएगी. इसकी बहुत जरूरत थी. हमारी इंडस्ट्री को हेल्दी सेफर माहौल देने के लिए ये जरूरी था. सबकी सुरक्षा सबसे जरूरी सवाल है."
#. सोशल मीडिया से बदली स्टार्स की लाइफ
उन्होंने कहा कि तब किसी अखबार को यदि खबर मिल भी जाती थी तो वो इसे एक्सक्लूसिव करके चला लेते थे. अब सोशल मीडिया के चलते किसी चीज को रोक नहीं सकते. यह वरदान और श्राप दोनों है. इस्तेमाल अच्छा और बुरा दोनों हो सकता है."
"90 के दशक में ये नहीं था. अब हमको एक मीडियम (सोशल मीडिया) मिल गया है. जहां आप अपने फैक्ट आगे रख सकते हो जो पहले नहीं था. पहले संपादकों से रिक्वेस्ट करना पड़ता था. जो छप गई वो छप गई. स्टे ले आओ, केस भी दर्ज करो. कुछ नहीं होता था. सालों लग जाते थे. पर आज सोशल मीडिया की वजह से लोग फैक्ट और प्रूव रख सकते हैं."
#. हमेशा गलत नहीं होते हैं इरादे
रवीना ने कहा, "आपको समझना होगा कि हर वक्त सामने वाले की इच्छा गलत नहीं होती है. कभी यदि कोई आपकी तारीफ कर रहा है या कभी कोई आपको प्रेज कर रहा है. कुछ लोग ऐसे हैं जो मीटू का फायदा उठाना चाहते हैं." बताते चलें कि तनुश्री दत्ता के आरोपों के बाद तमाम महिलाओं की शिकायतें सामने आने के बाद मीटू को लेकर बनाई गई CINTAA की कमेटी में रवीना टंडन को भी शामिल किया है.