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आजतक की मुहिम से रहा है आदेश श्रीवास्तव का गहरा नाता

मशहूर संगीतकार आदेश श्रीवास्तव भले की कैंसर से जंग हार गए और दुनिया को अलविदा कह दिया. लेकिन अपनी आवाज और धुन से जिस तरह उन्होंने आजतक के कई मुहिम का साथ दिया, उसने लोगों को उनकी जिंदगी की जंग में जूझने का हौसला दिया. चाहे गीत के जरिए उत्तराखंड की तबाही को बयां करना हो, या फिर 'गुड़िया' की टीस से देशभर को झकझोरना हो, आदेश श्रीवास्तव ने आजतक का साथ निभाया.

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आदेश श्रीवास्तव ने अपनी आवाज से आजतक के कई मुहिम में साथ दिया
आदेश श्रीवास्तव ने अपनी आवाज से आजतक के कई मुहिम में साथ दिया

मशहूर संगीतकार आदेश श्रीवास्तव भले की कैंसर से जंग हार गए और दुनिया को अलविदा कह दिया. लेकिन अपनी आवाज और धुन से जिस तरह उन्होंने आजतक के कई मुहिम का साथ दिया, उसने लोगों को उनकी जिंदगी की जंग में जूझने का हौसला दिया. चाहे गीत के जरिए उत्तराखंड की तबाही को बयां करना हो, या फिर 'गुड़िया' की टीस से देशभर को झकझोरना हो, आदेश श्रीवास्तव ने आजतक का साथ निभाया.

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'नजर आता है डर ही डर तेरे घर-बार में अम्मा,
नहीं आना मुझे इतने बुरे संसार में अम्मा...'

दिल्ली में निर्भया के बाद पांच साल की 'गुड़िया' के रेप ने पूरे देश को तोड़कर रख दिया. घटना से आहत आदेश श्रीवास्तव ने आजतक की मुहिम के लिए एक खास गीत बनाया जिसके बोल आलोक श्रीवास्तव ने लिखे.

'ना जीवन बचा, ना घरों की निशानी
पहाड़ों पे टूटा, पहाड़ों का पानी...'

29 जून 2013 को रिलीज यह गाना उत्तराखंड के पीड़ितों को समर्पित है. आलोक श्रीवास्तव के लिखे बोल को सोनू निगम के साथ मिलकर आदेश श्रीवास्तव ने गाया और लोगों के दर्द को बयां किया.

'आओ सोचें जरा, आओ देखें जरा,
हमने क्या क्या किया, हमने क्या क्या किया...'

भारत के 67वें स्वतंत्रता दिवस के जश्न पर आदेश श्रीवास्तव ने इस गाने का तोहफा देश को दिया. जरिया आजतक था. बोल आजतक से जुड़े पत्रकार और कवि आलोक श्रीवास्तव ने लिखे थे. महानायक अमिताभ बच्चन की आवाज ने गाने में चार चांद लगा दिए.

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