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इंदु सरकार फ्लॉप फिल्म थी, मर्सल से तुलना कैसी: नगमा

अभिनेता विजय की फिल्म 'मर्सल' को लेकर उठे विवाद और 'इंदु सरकार' पर मधुर भंडारकर द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर कांग्रेस की नेता और अभिनेत्री नगमा ने आज तक से बातचीत की.

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नगमा
नगमा

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दक्षिण भारत की फिल्म 'मर्सल' में सरकार के खिलाफ आलोचनात्मक डायलॉग को हटाने की मांग को लेकर उठे विवाद ने काफी तूल पकड़ लिया है. तमिलनाडु बीजेपी यूनिट द्वारा फिल्म से इस डायलॉग को हटाए जाने की मांग की बात कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां बीजेपी की निंदा कर रही है.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर बीजेपी सरकार की जमकर खिंचाई की. वहीं मधुर भंडारकर ने 'इंदु सरकार' को लेकर राहुल गांधी की चुप्पी पर भी सवाल उठा दिया. अभिनेता विजय की फिल्म 'मर्सल' को लेकर उठे विवाद और 'इंदु सरकार' पर मधुर भंडारकर द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर कांग्रेस की नेता और अभिनेत्री नगमा ने आज तक से बातचीत की.

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उन्होंने कहा- सवाल यह है कि 'मर्सल' में काट-छांट की मांग कौन कर रहा है? मांग कर रहे हैं कुछ खुदगर्ज लोग जिन्हें ऐसा लगता है कि उस फिल्म में कुछ गलत कहा गया है. हालांकि कुछ भी गलत नहीं कहा गया.

उसके डायलॉग्स को खुद बीजेपी की सेंसर बोर्ड ने पास किया है. जब सेंसर बोर्ड ने पास कर दिया तो विवाद उठने की बात ही नहीं आती. कानून के हिसाब से यह लोग निर्माताओं को फिल्म से सीन काटने की जबरदस्ती नहीं कर सकते.

'मर्सल' फिल्म में अभिनेता विजय का एक डायलॉग है, जिसमें वह नाम लिए बिना एक पल का जिक्र करते हैं और कहते हैं कि कैसे एक अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत हो गई और अस्पताल के पास सालों तक ऑक्सीजन के लिए सप्लायर को देने के लिए पैसे नहीं थे. इस डायलॉग पर भी आपत्ति उठाई जा रही है.

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इस पर नगमा ने कहा- जब गोरखपुर में बच्चे मर रहे थे, तब योगी अमेठी जाकर भाषण दे रहे थे. हिंदी में एक कहावत है- बिल्ली आंख बंद करके दूध पीती है तो उसे ऐसा लगता है कि दुनिया उसे देख नहीं रही है.  योगी भी वही कर रहे हैं. रोज उनके इलाके में कितने बच्चे मर रहे हैं और आज तक ऐसा हो रहा है.

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फिल्म एक माध्यम होता है. जो जनता बोलना चाहती है, उसे फिल्म के द्वारा बोला जाता है. जब स्वास्थ्य सेवाएं इतना महत्वपूर्ण है तो उसे तवज्जो क्यों नहीं दिया जाता?

'मर्सल' फिल्म पर विवाद उठने के बाद निर्माता-निर्देशक मधुर भंडारकर भी इसमें कूद पड़े और सीधे-सीधे राहुल गांधी से सवाल कर दिया कि 'इंदु सरकार' के खिलाफ से प्रदर्शन हो रहे थे तब उन्होंने आवाज क्यों नहीं उठाई? नगमा ने मधुर भंडारकर पर हमला बोलते हुए कहा कि उनकी फिल्म 'इंदु सरकार' फ्लॉप फिल्म थी और जिसमें कांट-छांट बीजेपी के सेंसर बोर्ड ने की.

मैंने खुद 'इंदु सरकार' देखी है. फिल्म के शुरू में लिखा था कि यह सब काल्पनिक है. उस फिल्म में कोई अच्छी बात तो थी ही नहीं, ना तो समाज को अच्छा कार्य कर करने के लिए प्रेरित करती है. उनके बोलने की आजादी पर किसने रोक लगाई. 'इंदु सरकार' में कांट छांट बीजेपी के सेंसर बोर्ड ने किया.

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नगमा ने आगे कहा, यह विवाद क्यों हो रहा है मुझे नहीं समझ में आ रहा है. अगर कांग्रेस की सरकार होती और सेंसर बोर्ड कांग्रेस का होता तो समझ में आता कि उसको काटने की कोशिश की गई.

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फिल्म को बैन नहीं किया गया. अगर कहीं किसी ने तोड़फोड़ की और बीजेपी, कांग्रेस को उसमें डालना चाहती है तो बता दूं कि राहुल गांधी ने उस वक्त ट्वीट कर कहा था कि मैं कहीं किसी तरह की तोड़फोड़ को समर्थन नहीं करता.

बात तो 'मार्सल' और 'इंदु सरकार' को तुलना करने की है ही नहीं. यह तो एक अच्छे हीरो की फिल्म है जो कि बहुत अच्छी कर रही है और बहुत माल मसाला है.

दक्षिण में रजनीकांत के बाद विजय सबसे बड़े हीरो हैं. जो फिल्म मधुर भंडारकर ने बनाई थी उसमें कोई स्टार कास्ट नहीं थी. अपने हिसाब से सोच विचार से जो उसमें डाला, पता नहीं इतना बड़ा क्यों बनाया जा रहा? ऐसा था तो बीजेपी के कार्यकर्ता जाकर फिल्म देखते और उसको हिट करते.

फिल्मों के तरीके, राजनीति और फिल्मों पर हो रही राजनीति के सवाल पर नगमा ने कहा कि दोनों के बीच दशकों पुराना रिश्ता है जो कभी अलग नहीं हो सकता.

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फिल्म और राजनीति का सालों से संबंध रहा है और ये आज का और कल का विषय नहीं है. देव आनंद, दिलीप कुमार साहब को ले लीजिए. एम जी रामचंद्रन और एन टी रामा राव को ले लीजिए. उस काल से इस काल तक यह सब फिल्मों का और राजनीति का बहुत राजनीतिक रिश्ता रहा है. नर्गिस- सुनील दत्त का रिश्ता ले लीजिए.

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फिल्म के विवाद के सवाल पर लगे हाथ नगमा ने बीजेपी नेताओं और साथ ही केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पर जमकर निशाना साधा.

मुझे एक बात बताइए कि जितने साल कांग्रेस ने जो भी किया आज बीजेपी उसका शो केस ही तो कर रही है. नया क्या कर के दिखाया जिसके इतना फुदक रहे हैं? स्मृति इरानी भी बहुत कुछ बोलती हैं लेकिन क्या किया जनता के लिए? एक चांदनी चौक से लड़ी थी वह तो हार गई वहां से वहां पलट के भी पीछे नहीं गई. अमेठी अमेठी की बात करते हैं क्योंकि राहुल गांधी वहां पर हैं. राज्यवर्धन राठौर कहते हैं कि राहुल गांधी डोपिंग करते हैं, मैदान में भागते हैं. क्या यह शोभा देता है? क्या उनको काम काज नहीं है? अपने मंत्रालय में उनको काम दिया गया है उसको छोड़ कर यह सब बातें कर रहे हैं.

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