उर्दू के ख्यात कहानीकार सआदत हसन मंटो को अब रैप से भी जोड़ दिया गया है. रैप के जरिए उनके विचार को बताया जा रहा है. "मंटोइयत" नाम का ये रैप सआदत हसन मंटो के जीवन पर आधारित फिल्म मंटो का पहला गाना है, जिसे रिलीज किया गया है. मंटो के विषयों को रैप के जरिए हल्के अंदाज में पेश करने पर साहित्य जगत में विवाद खड़ा हो सकता है.
नवाजु्द्दीन सिद्दीकी स्टारर फिल्म के इस गाने को सिंगर रफ्तार ने गाया है. रैप के बोल सामाजिक मुद्दों से जुड़े हैं. इसके बोल हैं, "जात में ये बांटते हैं, बांटते ये काटते हैं, इनकी मौज रात में है, लाल बत्ती वाले गिलास इनके हाथ में है, राजनीति में है चोर-पुलिस, मेरी बात तुमको सच नहीं लगती, सच्ची बात तुमको पच नहीं सकती. मुझसे नासमझ हैं दोगुनी मेरी एज के, एक पैर कब्र में है भूखे हैं ये दहेज के."
मंटो की कहानियों का एक बड़ा पाठक वर्ग है. मंटो ने समाज की उन बुराइयों पर बात की, जिन पर कोई खुलकर सामने नहीं आना चाहता. ऐसे में मंटो को रैप के जरिए पेश करना आपत्तिजनक हो सकता है. इस फिल्म का निर्देशन नंदिता दास कर रही हैं.
हांलाकि, फिल्म के ट्रेलर में मंटो का रोल निभा रहे नवाज के संवाद बेहद असरकारी और अपने समय के सच को बयां करने वाले दिख रहे हैं. मंटो एक जगह कहते हैं कि जब हम गुलाम थे, तो आजादी का ख्वाब देखते थे, अब आजाद हो गए तो कौन सा ख्वाब देखें. एक जगह मंटोे कहते हैं, कुछ औरतें खुद को बेच तो नहीं रहीं, लेकिन लोग उन्हें बेचते जा रहे हैं.
मंटो अपने समय के सर्वाधिक विवादित लेखक थे. उनकी कहानियों के खिलाफ मकदमे तक दायर किए गए. मंटो में ऋषि कपूर, जावेद अख्तर भी नजर आए हैं. इसके अलावा आजादी के पहले और बाद दोनों दौरों को दिखाया गया है. ये अपने आप में बेहद प्रभावकारी पीरियड फिल्म नजर आती है.