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नायक भी बेअसर प्रतीत होते थे महमूद के आगे

29 सितंबर को महमूद के जन्मदिवस परहिंदी फिल्मों में महमूद ने हास्य कलाकार के तौर पर उस दौर में जगह बनाई थी जब हास्य को प्रमुखता नहीं दी जाती थी. कामेडी की नयी परिभाषा गढ़ कर हास्य को फिल्म के अहम तत्व के तौर पर स्थापित करने वाले महमूद के आगे नायक भी आगे बेअसर प्रतीत होते थे.

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29 सितंबर को महमूद के जन्मदिवस पर

हिंदी फिल्मों में महमूद ने हास्य कलाकार के तौर पर उस दौर में जगह बनाई थी जब हास्य को प्रमुखता नहीं दी जाती थी. कामेडी की नयी परिभाषा गढ़ कर हास्य को फिल्म के अहम तत्व के तौर पर स्थापित करने वाले महमूद के आगे नायक भी आगे बेअसर प्रतीत होते थे.

एक अभिनेता का पुत्र होने के बावजूद महमूद के लिए फिल्मी सफर आसान नहीं रहा. पैर जमाने के लिए छोटे मोटे काम, छोटी छोटी भूमिकाएं करने के बाद अंतत: महमूद को फिल्म ‘परवरिश’ से पहचान मिली. इसके पहले उन्होंने ‘दो बीघा जमीन, प्यासा, जागृति, सीआईडी’ जैसी फिल्मों में छोटी भूमिकाएं की.

‘परवरिश’ में उन्होंने उस समय के प्रमुख सितारे राजकपूर के भाई की भूमिका की थी. इस फिल्म ने उनकी हास्य प्रतिभा को उभारा और हिंदी फिल्मों को ऐसा कलाकार मिल गया जिससे बाद में नायक भी ‘खौफ’ खाने लगे. महमूद की लोकप्रियता का यह आलम था कि उनके चरित्र को ध्यान में रखकर कहानी लिखी जाती थी और वह चरित्र फिल्मों का अभिन्न हिस्सा होता था.

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महमूद के हास्य में स्वाभाविकता थी जिसके समय और पैनेपन को देखकर दर्शक रोमांचित हो जाते थे. एक समय उनका नायकों से ज्यादा रसूख था.

दर्शकों की नब्ज पर पकड़ रखने वाले महमूद ने एक से बढ़कर एक कामेडी फिल्में दीं. किशोर कुमार और सुनील दत्त के साथ ‘पड़ोसन’ हो या शोभा खोटे के साथ ससुराल, जिद्दी या लव इन टोक्यो हो, महमूद दर्शकों को हंसाते रहे.{mospagebreak}

महमूद की एक और हास्य अभिनेता आई एस जौहर के साथ जोड़ी कामयाब रही. दोनों ‘जौहर महमूद इन गोवा, जौहर महमूद इन हांगकांग’ जैसी कई फिल्मों में साथ दिखे जो पूर्णतया हास्य फिल्में थीं और दर्शकों ने उन्हें बार बार देखा. महमूद यारों के यार और संघर्ष करने वालों के मददगार थे. एक ओर उन्होंने राहुलदेव बर्मन को ‘छोटे नवाब’ में ब्रेक दिया वहीं बाद में महानायक बने अमिताम बच्चन को उस समय ‘बांबे टू गोवा’ में नायक की भूमिका दी जब बिग बी के सितारे गर्दिश में थे.

अपने चरित्र में एकरूपता से बचने के लिए उन्होंने लीक से हटकर भूमिकाएं की. इस क्रम में पड़ोसन, गुमनाम जैसी फिल्मों को शामिल किया जा सकता है. दर्शकों ने उनके बदले रूप को भी बेहद सराहा.

अपनी अदाओं और भाव भंगिमा से दर्शकों को हंसा हंसा कर लोटपोट करने वाले महमूद अभिनय के प्रति समर्पित थे. इस समर्पण ने उन्हें बुलंदियों पर पहुंचाया और फिल्मफेयर सहित कई पुरस्कारों से उन्हें नवाजा गया.

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उन्होंने कई फिल्मों का निर्माण और निर्देशन भी किया. बतौर फिल्मकार उनकी फिल्मों में छोटे नवाब, भूतबंगला, पड़ोसन, बांबे टू गोवा, दुश्मन दुनिया का, सबसे बड़ा रुपैया आदि शामिल है. उन्होंने कई फिल्मों में पार्श्‍वगायन भी किया.

अपने फ़न से दर्शकों के दिल में खास जगह बनाने वाले इस कलाकार ने 23 जुलाई 2004 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

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