आज 'श्री कृष्ण जन्माष्टमी' के दिन हमने रील लाइफ के श्री कृष्ण 'नितीश भारद्वाज' से बातचीत की है. उन्होंने हाल ही में फिल्म 'मोहेनजो दारो' में किरदार निभाया था. पेश है उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
जब भी भगवन कृष्ण का जिक्र होता है तो आपका ही चेहरा लोगों के सामने आता है?
भगवान की दया है, मां भगवती की कृपा है कि हमें उस टीम के साथ काम करने का एक ऐसा अवसर मिला जो अपने अपने क्षेत्र के दिग्गज थे. मैं 'महाभारत' के सक्सेस का श्रेय इन सबको देता हूं. 25 साल के बाद भी लोग इसे भूल नहीं पाए हैं.
जब 'महाभारत' के दौरान आपको कहा गया कि पर्दे पर 'श्री कृष्ण' का किरदार निभाना है, तो उस समय आपके जहन में क्या चल रहा था?
मैंने 'श्री कृष्ण' से रिलेटेड कोई भी फिल्म नहीं देखी. उस जमाने में महाराष्ट्र में 'साहू मोदक' साहब को लोग 'श्री कृष्ण' के नाम से जानते थे क्योंकि वो कई बार उनका रोल निभाया करते थे. मैंने इनकी फिल्में नहीं देखी.
फिर मराठी साहित्य की पढ़ाई करके, बहुत सारी किताबें पढ़-पढ़ कर, महाभारत के 18 खंडो को पढ़कर, शूटिंग करने चला जाता था. मेरी साहित्य की रुचि इसके लिए काम आई. 'युगांत' और 'ध्यासपर्व' जैसी किताबें भी पढ़ी. बहुत तैयारी करता था. मराठी साहित्य ने मेरे भीतर का 'श्री कृष्ण ' खड़ा किया.
'मोहेनजो दारो' में भी आपने काम किया?
हां, मेरा काम 'दुर्जन' के रूप में था जो रितिक रोशन के किरदार को पाल पोस के बड़ा करता है. काम करना अच्छा लगा.
आजकल आप कम फिल्में कर रहे हैं?
मैं थोड़ा सा अलग-अलग कामों में व्यस्त हो गया था. मध्य प्रदेश में पर्यटन के विकास का काम कर रहा था. फोटोग्राफी, किताब लिखना, नाटक करने जैसे कामों में व्यस्त था. साथ ही पिछले 3-4 महीने मेरे मराठी फिल्म बनाने में निकल गए थे जसका नाम था 'पित्र ऋण'. तो यही सब कारण थे और प्रोजेक्ट्स न करने के. हमने एक और फिल्म 'यक्ष' की है और पिछले कुछ महीनों से अपने अगले प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूं जो एक बायोपिक होगी.
तो भगवान वाले रोल अब नहीं करेंगे?
प्रोजेक्ट आएगा तो करूंगा, लेकिन अभी तो भगवान वाले इमोशंस की जगह ह्यूमन इमोशन को पर्दे पर निभाने का समय आ गया है. और इसीलिए कुछ अलग तरह के प्रोजेक्ट कर रहा हूं. अब मैं फिल्में बहुत ज्यादा करूंगा.
आप आज भी इतने यंग कैसे लगते हैं?
मैंने अपनी जीवन शैली बहुत ही सरल और सहज रखी है. सिगरेट, शराब और नॉनवेज का सेवन नहीं करता हूं. स्विमिंग, टेनिस और वॉक करता हूं. एक समय खाता हूं, उसमें भी फ्रूट ज्यादा खाता हूं. लेकिन मेरी एक ही कमजोरी है नमकीन और पकोड़े. इतना ही नहीं, आयुर्वेदिक औषधियां ही लेता हूं.
अब कैसी स्क्रिप्ट्स आप करना चाहेंगे?
हर स्क्रिप्ट जो मुझे एक्टर के रूप में चैलेंज करे. हाल ही में 'आलिया भट्ट' के फादर का किरदार आया था, लेकिन वो चैलेंजिंग नहीं था, तो मैंने करना उचित नहीं समझा. परफॉर्मेन्स बहुत जरूरी है. लोगों ने मुझे कॉमेडी करते हुए पर्दे पर नहीं देखा है लेकिन आपको पता है कि कृष्ण के रोल में भी नटखटपन था. इसीलिए मुझे वो रोल मिला था. मैं कॉमेडी फिल्म करना चाहता हूं.
आप खुद को धार्मिक मुद्दों पर बयानबाजी से बचा कर रखते हैं?
मेरा मानना है कि हर चीज में हर किसी का बोलना आवश्यक नहीं होता. कुछ मुद्दे मीडिया में बोलने से हल नहीं होते, बस थोड़ी पब्लिसिटी मिल जाती है. मुझे किसी धार्मिक मुद्दे पर बोलना होता है तो मैं उससे संबंधित व्यक्ति को चिट्ठी लिख दिया करता हूं. मैं थोड़ा संयमित तरह का व्यक्ति हूं.
फिल्में देखते हैं?
मुझे कई सारी फिल्में अच्छी लगीं. 'दम लगाके हईशा', 'मदारी', 'कपूर एन्ड संस' और सलमान खान की दोनों फिल्में 'बजरंगी भाईजान' और 'सुल्तान' अच्छी लगी. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि सलमान अब बहुत अच्छी स्क्रिप्ट्स चुन रहे हैं. मैं इंडस्ट्री का इंसान हूं और खबर रखना जरूरी है.
बायोपिक का जमाना है?
अभिनेता के तौर पर बायोपिक जरूर करना चाहूंगा. लेकिन फिलहाल मैं पीरियड फिल्म पर काम कर रहा हूं.
दोबारा पॉलिटिक्स में आना चाहेंगे?
अगले पचास वर्ष तो नहीं क्योंकि मैंने ये जाना कि जो मैं पॉलिटिक्स के माध्यम से करना चाह रहा था, वो तो मैं फिल्मों के माध्यम से भी कर सकता हूं. और फिल्मों की पॉपुलैरिटी के साथ समाज के हित में काम करना चाहूंगा. हर इंसान मुझे यही कहता है कि आप पॉलिटिक्स में मत जाइए. अब मैं सिनेमा में ही रहूंगा.