तमिल डायरेक्टर पा रंजीत हाल ही में तमिल सम्राट पर अपने बयानों के चलते सुर्खियों में हैं. रंजीत ने हाल ही में थंजावुर में राजा राजा चोला 1 के राज को दलितों के लिए भयानक दौर बताया था. कबाली और काला जैसी सोशल, पॉलिटिकल फिल्में बना चुके रंजीत ने अपने बयान में कहा था कि इस राजा के राज में दलितों की जमीन को जबरदस्ती छीन लिया गया था. उन्होंने ये भी आरोप लगाया था कि इस राजा के चलते देवदासी सिस्टम की शुरूआत हुई थी जिसके चलते महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न को सामान्य करने की कोशिश हुई थी.
रंजीत के इस बयान का टीएनसीसी प्रेसीडेंट के. एस अलागिरी ने समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि 'मुझे नहीं पता कि रंजीत ने चोला राजा पर पर्सनल कमेंट्स किए हैं या नहीं. अगर उन्होंने ऐसा किया है तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा.' अलागिरी ने ये भी कहा कि जो समाज आज से हजार साल पहले था, उसके भेदभावहीन समाज होने की संभावनाएं काफी कम है. उन्होंने कहा कि चोला साम्राज्य में समुद्री व्यापार, एग्रीकल्चर, टेंपल आर्किटेक्चर जैसी तकनीक में बेहतरी हुई और कई लोगों के लिए वो दौर गोल्डन दौर हो सकता है लेकिन किसी को ये नहीं भूलना चाहिए कि महान फिलोसॉफर लियो टॉलस्टाय ने कहा था कि किसी समाज का गोल्डन पीरियड पूरे समाज के लिए मान्य नहीं होता है. चोला साम्राज्य में कई लेयर्स है जिसमें शासन करने वालों और शासित लोगों में काफी फर्क था.'
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दलित इंटेलेक्चुअल कलेक्टिव ने डायरेक्टर रंजीत को अपना समर्थन दिया है. उन्होंने ये भी कहा कि रंजीत के खिलाफ दर्ज हुई शिकायत फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के खिलाफ है. इस स्टेटमेंट को सी. लक्ष्मणन ने साइन किया है. वे मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलेपमेंट स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर हैं. उन्होंने कहा कि रंजीत के बयान को प्रोग्रेसिव और उदारवादी मानना चाहिए और फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन पर हमला करने के बजाए उनके उठाए गए मुद्दों पर डिबेट होनी चाहिए.
रंजीत के इन बयानों के बाद हिंदू मक्कल काची नाम के एक हिंदुत्व ग्रुप ने ने उनकी स्पीच के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. गौरतलब है कि ये शासक कई हिंदुत्व ग्रुप्स के भी बड़े आयकॉन रहे हैं.