सैकड़ों फिल्मों को अपनी अदाकारी और लेखनी से सजाने वाले कादर खान को भारत सरकार ने पद्म श्री पुरस्कार से नवाजे जाने की घोषणा की है. कादर खान का निधन एक महीने पहले ही 31 दिसंबर को हुआ है. कादर खान अपने जीते-जी कभी पद्म पुरस्कार से नहीं नवाजे गए, जबकि उनका करियर बेमिसाल रहा है. उन्होंने 200 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया और संवाद लिखे.
कादर खान अफगानिस्तान के काबुल में जन्मे थे. एक इंटरव्यू में कादर खान बताया था- ''मुझसे पहले मां के तीन बेटे हुए, लेकिन तीनों की मौत तकरीबन 8 साल की उम्र तक आते आते हो गई. उसके बाद चौथे नंबर पर मेरी पैदाइश हुई. मेरे जन्म के बाद मेरी मां ने मेरे वालिद से कहा कि ये सरजमीं मेरे बच्चों को रास नहीं आ रही है. मां ने मेरे वालिद को फोर्स किया और हमारा परिवार हिंदुस्तान, मुंबई आ गया."
#KaderKhan Saab was one of the finest actors of our country. It was a joy and a learning experience to be on the sets with him. His improvisational skills were phenomenal. His humour was eternal and original. He was a wonderful writer. We will miss him & his brilliance.🙏🙏 pic.twitter.com/m9z1yix9HB
— Anupam Kher (@AnupamPKher) January 1, 2019
END OF AN ERA! The legend walks away.
REST IN PEACE! #KaderKhan Shaab 🙏 pic.twitter.com/3xDc1fVjYx
— Captain ²•⁰ 🔱 (@CaptainTMK) January 1, 2019
R I P. Kadar bhai Khan sahab! Bahut lamba rishta tha aapka hum sab Kapoors ke saath. Bahut kaam kiya bahut seekha aapse. Jannat Naseeb ho aapko. Ameen.
— Rishi Kapoor (@chintskap) January 1, 2019
जल्द ही कादर के माता-पिता का तलाक हो गया और सौतेले पिता के साथ बचपन गरीबी में निकला. इतनी परेशानियों का सामना करते हुए उन्होंने मुंबई में सीविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इसके बाद वो बच्चों को पढ़ाने लगे.
इन फिल्मों ने जमाया रंग
कादर खान हरफनमौला कलाकार थे. उनकी और गोविंदा की जोड़ी को परदे पर काफी पसंद किया गया. इनमें दरिया दिल, राजा बाबू, कुली नंबर 1, छोटे सरकार, आंखें, तेरी पायल मेरे गीत, आंटी नंबर 1, हीरो नंबर 1, राजाजी, नसीब, दीवाना मैं दीवाना, दूल्हे राजा, अखियों से गोली मारे आदि फिल्में कीं.
कादर खान ने खलनायक और तमाम चरित्र भूमिकाएं भी कीं. उन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन भी किया. उन्होंने कई फिल्मों के मशहूर संवाद भी लिखे. पिछले कुछ समय से अस्वस्थता के चलते उन्होंने फिल्मों से पूरी तरह दूरी बना ली थी.
1500 रुपये मिलती थी सैलेरी
कॉलेज में एक बार नाटक प्रतियोगिता में उन्हें बेस्ट एक्टर और राइटर का खिताब मिला. साथ ही एक फिल्म के लिए संवाद लिखने का मौका भी मिल गया. नरेंद्र बेदी कामिनी कौशल ने उस नाटक को जज किया. उस वक्त उन्हें 1500 रुपये सैलेरी मिलती थी. इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया.