प्रभास की मचअवेटेड फिल्म साहो खराब वर्ड ऑफ माउथ के बावजूद रिकॉर्डतोड़ कमाई कर रही है. साहो की कमजोर कहानी के बाद सबसे ज्यादा जिस बात की आलोचना हो रही है वो प्रभास के हिंदी डबिंग की है. साहो एक्टर की पहली बॉलीवुड फिल्म है. इस लिहाज से एक्टर ने हिंदी में अपने डायलॉग्स को बोलना बेहतर समझा.
फिल्म की रिलीज से पहले मार्केटिंग स्ट्रैटिजी में प्रभास की हिंदी डबिंग को काफी तरजीह दी गई. लेकिन लगता है ये रणनीति मेकर्स की सबसे बड़ी गलती साबित हुई. मेकर्स ने सोचा होगा कि प्रभास को हिंदी बोलते हुए देखना फैंस की एक्साइटमेंट को और बढ़ाएगा. इसलिए प्रभास की हिंदी डबिंग की प्रमोशनल इवेंट में भी खूब चर्चा रही. मगर फिल्म रिलीज होने के बाद मालूम पड़ा कि प्रभास को हिंदी पर काफी काम करना होगा.
साहो में कई बार हिंदी बोलते वक्त प्रभास के एक्सेंट में साउथ इंडियन टच आता है. इससे पहले बाहुबली फ्रेंचाइजी में टीवी एक्टर शरद केलकर प्रभास की आवाज बने थे. उनकी आवाज प्रभास की पर्सनैलिटी पर काफी सूट हुई थी. शरद की आवाज में बाहुबली जैसा दम खम था. शरद की डबिंग और प्रभास की एक्टिंग में इतना बेहतरीन तालमेल था कि लोगों को मालूम ही नहीं पड़ा कि ये प्रभास की रियल वॉइस नहीं है.
अगर साहो की रिलीज से पहले मेकर्स प्रभास के हिंदी डबिंग की बात को नहीं भुनाते तो शायद आज एक्टर की इतनी भारी आलोचना नहीं हो रही होती. ये भी माना जा रहा है कि दर्शको सिनेमाहॉल में बाहुबली की आवाज को मन में लेकर गए, ऐसे में जब उन्हें प्रभास की टूटी फूटी हिंदी को सुनना पड़ा तो वे निराश हो गए.
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इसमें दो राय नहीं है कि कमजोर डायलॉग डिलीवरी ने साहो में प्रभास की एक्टिंग को भी प्रभावित किया है. वैसे प्रभास मेहनती एक्टर हैं. उम्मीद है वे जल्द हिंदी बोलने में आई कमियों को दूर कर लेंगे. खैर, लोग चाहे साहो की जितनी भी आलोचना करें लेकिन मूवी के सफल बॉक्स ऑफिस आंकड़ों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.