बॉलीवुड फिल्मों में निगेटिव रोल्स में नजर आने वाले दक्षिण भारत के स्टार प्रकाश राज ने एक बार फिर बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने अपने ट्वीट में यूपी की योगी सरकार पर सीधा कटाक्ष किया है. प्रकाश राज ने रविवार को ट्वीट कर लिखा, 'क्या दीवार का रंग बदलना ही विकास है? उन किसानों का क्या जो सामने आलू फेंक रहे हैं?'
उन्होंने आगे लिखा, 'किसानों ने अपनी पीड़ा आपके आवास के सामने आलू फेंककर जाहिर की है. और आपके कृषि मंत्री कहते हैं, आलू अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं, ये विरोध की राजनीति से प्रेरित है. किसानों की पीड़ा को समझने का ये तरीका है. यदि दीवार का बदलता रंग विकास है तो क्या मि. विकास पेंटर हैं?'
Is changing colour of a wall VIKAS....?? What about the farmers dumping potatoes in your front yard...#justasking pic.twitter.com/v1OOJfYPRd
— Prakash Raj (@prakashraaj) January 7, 2018
बता दें कि शनिवार को लखनऊ में आलू किसानों ने कम कीमतों को लेकर यूपी राजभवन, विधानसभा और मुख्यमंत्री आवास के सामने कई कुंतल आलू सड़कों पर फेंके थे. इसके बाद से विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है. रविवार को समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी यूपी सरकार पर निशाना साधा.
प्रकाश राज इससे पहले भी बीजेपी सरकार पर विभिन्न मुद्दे उठाकर निशाना साध चुके हैं. उन्होंने पिछले साल नवंबर में #justasking के जरिए लिखा था, 'यदि मेरे देश की सड़कों पर युवा जोड़ों को गाली देना और मारपीट करना आतंक नहीं है, यदि कानून अपने हाथ में लेना और गौ-हत्या के शक की बिनाह पर भीड़ का किसी को मारना आतंक नहीं है, यदि गालियों के साथ ट्रोल करना, धमकाना, मतभेद की छोटी सी भी आवाज को दबाना आतंक नहीं है तो फिर आतंक और क्या है?
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बता दें कि इससे पहले कमल हासन हिन्दू आतंकवाद पर आवाज उठा चुके हैं. उन्होंने अपने एक लेख में कहा था 'हिंदू आतंकवाद अब वास्तविकता बन चुका है और हिंदू संगठन अपने अंदर इस अतिवाद की मौजूदगी से इनकार नहीं कर सकते हैं. इसके चलते कमल हासन के खिलाफ आईपीसी की धारा 500, 511, 298, 295(अ) और 505 (स) के तहत मामला दर्ज किया गया है. '
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हासन ने 'आनंद विकतन' नाम के वीकली न्यूज पेपर में अपने कॉलम में लिखा है, बीते समय में हिंदू दक्षिणपंथी अन्य धार्मिक समूहों के साथ अपने विवादों पर सिर्फ बौद्धिक बहस करते थे, लेकिन जैसे ही उनका यह तरीका असफल रहा वे बाहुबल का सहारा लेने लगे और अब उन्होंने हिंसा का रास्ता अपना लिया है. अब हिंदू दक्षिणपंथी दूसरे समूहों के अतिवाद पर उंगली नहीं उठा सकते हैं, क्योंकि उनके अंदर भी इसी तरह के तत्व मौजूद हैं.'