बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रीति जिंटा चर्चा में है. खबर आई कि न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक की तरफ से प्रीति के 18 करोड़ रुपये माफ कर दिए गए हैं. हालांकि, प्रीति ने इस दावों को सिरे से नकार दिया है और झूठ बताया है. अब मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने स्पष्ट किया कि प्रीति का मामला हमारी जांच का विषय नहीं है.
दरअसल, न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के 122 करोड़ रुपये के गबन मामले की जांच मुंबई पुलिस के ईओडब्ल्यू अधिकारी कर रहे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ दिन पहले ही न्यू इंडिया कॉर्पोरेटिव बैंक पर बैन लगा दिया था. ग्राहकों को कैश निकालने की अनुमति भी नहीं दी गई है. इसके बाद जांच में 122 करोड़ का स्कैम सामने आया था. अब इस बैंक से बॉलीवुड की फेमस एक्ट्रेस प्रीति जिंटा के 18 करोड़ रुपये लोन का नया विवाद जोड़ा जा रहा है.
एक दिन पहले मंगलवार को प्रीति ने इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़ी. उन्होंने कहा, एक रिकॉर्ड के लिए लोन लिया गया था और 10 साल पहले ही पूरी तरह से चुका दिया गया था. उम्मीद है कि अब आगे से किसी भी तरह की गलतफहमी नहीं होगी.
ईओडब्ल्यू अधिकारियों ने क्या कहा?
अब गबन मामले की जांच कर रहे मुंबई पुलिस के ईओडब्ल्यू अधिकारियों ने भी स्पष्ट किया है कि प्रीति जिंटा या उनके द्वारा लिया गया कोई लोन या उसे माफ करने जैसे दावे हमारी जांच का हिस्सा नहीं है. हमारी जांच 122 करोड़ रुपये के गबन से जुड़ी है. हमें इस संबंध में किसी से कोई शिकायत नहीं मिली है. अब तक किसी ने भी हमसे संपर्क नहीं किया है और ना ही हमें बैंक पर इसके प्रभाव के बारे में कुछ बताया है. जांच से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने इस बारे में पूछताछ नहीं की है और किसी व्हिसिल ब्लोअर ने उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं बताया है.
ईओडब्ल्यू अधिकारियों ने ऑडिटर संजय राणे एंड एसोसिएट्स, उनके पार्टनर अभिजीत देशमुख और संजय राणे को तलब किया है. बैंक में शामिल अन्य ऑडिटर मेसर्स यूजी देवी एंड कंपनी, मेसर्स गांधी एंड एसोसिएट्स एलएलपी, मेसर्स शिंदे नायक एंड एसोसिएट्स, मेसर्स जैन त्रिपाठी एंड कंपनी मेसर्स एसआई मोगुल एंड कंपनी को भी बुलाया है.
सूत्रों ने बताया कि ऑडिटर अभिजीत देशमुख के बयान रिकॉर्ड किए जा रहे हैं. जांचकर्ताओं ने बताया कि आरोपी और बैंक के महाप्रबंधक हितेश मेहता और अन्य आरोपियों का भी लाई डिटेक्टर टेस्ट किया जाएगा और इसके लिए आरोपी से नियमानुसार सहमति मांगी जाएगी.
जांच में पता चला कि पूर्व सीईओ और अब आरोपी अभिमन्यु भोआन ने ऑडिट रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए थे और बैंक में कितना था और इसीलिए वह साजिश का हिस्सा हैं. वह सभी ऑडिट रिपोर्टों में सिग्नेचर अथॉरिटी थे.
यह भी पढ़ें: 'शर्म आती है... मत फैलाओ फर्जी खबर', 18 करोड़ लोन माफी पर आया प्रीति जिंटा का जवाब
सूत्रों ने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि बैंक की प्रभादेवी शाखा मुख्य कार्यालय है. यहां तिजोरी में 500 रुपये के बंडलों में अधिकतम 10 करोड़ रुपये रखे जा सकते हैं, लेकिन 11 फरवरी को पता चला कि मुख्यालय की प्रभादेवी शाखा की तिजोरी में कुल 133.41 करोड़ रुपये नकद रखे गए थे.
यह मामला प्रभादेवी और गोरेगांव में तिजोरी में 122.28 करोड़ रुपये की कमी से जुड़ा है. बैंक की हेडक्वार्टर शाखा में किताबों से पता चला कि हेडक्वार्टर प्रभादेवी शाखा और गोरेगांव वॉल्ट में कुल मिलाकर 133.41 करोड़ रुपये दिखाए गए हैं.
11 फरवरी को आरबीआई अधिकारियों द्वारा जांच के दौरान तलाशी ली तो गोरेगांव शाखा के कैश वॉल्ट में 10.53 करोड़ रुपये पाए गए और आरबीआई अधिकारियों को प्रभादेवी हेडऑफिस में कैश वॉल्ट में केवल 60 लाख रुपये नकद मिले.
बैंक की ऑडिट और रिपोर्ट और बुक्स के अनुसार 122.28 करोड़ रुपये गायब थे, जिसकी अब तक जांच की जा रही है. तीसरा आरोपी उन्नति अरुणाचलम उर्फ अरुण भाई है, जिसने कथित तौर पर मेहता से 40 करोड़ रुपये हासिल किए थे, वो अभी भी फरार है और उसे पकड़ने के लिए छापेमारी शुरू कर दी गई है.