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Shri Krishna 25 May Episode: दोस्तों संग गाय चराने वन में गए श्रीकृष्णा, किया बकासुर-अगासुर का उद्धार

कान्हा अपने मित्रों के साथ बांसुरी बजाते हुए गाय चराने जा रहे होते है. तभी उन्हें बहुत बड़ा बगुला नजर आता है. कृष्णा के मित्र मनसुखा कृष्णा से कहता है कि इतना बड़ा बगुला तो आजतक नहीं देखा ये कोई और नहीं बल्कि बकासुर राक्षस है जो कि पूतना राक्षसनी का बड़ा भाई है.

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सर्वदमन डी
सर्वदमन डी

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रामानंद सागर की रामायण जिस तरह पूरे विश्व में सबसे लोकप्रिय धारावाहिक बना उसी के तर्ज़ पर अब डी डी नेशनल पर रोजना रात 9 बजे से 10 बजे तक श्री कृष्णा का प्रसारण हो रहा है. लेकिन अगर आप से लेटेस्ट एपिसोड छूट गया हो तो कोई चिंता मत कीजिए. आइए हम आप को बताते हैं कि सोमवार के एपिसोड मैं क्या-क्या हुआ.

कृष्णा की एक और बाल लीला

यशोदा कृष्णा भगवान की आरती कर रही हैं. और तुलसी को पानी का अर्पण देने के बाद गाय को चारा देती हैं. पूरे घर में गंगा जल से छिड़काव कर घर का शुद्धिकरण कर रही हैं. कृष्णा अभी भी गहरी निंद्रा में हैं. यशोदा उन्हें उठाने का प्रयास के रही हैं. बड़े ही देर बाद कृष्णा उठते हैं. यशोदा कान्हा को बताती हैं कि बाहर उनके सखा इंतज़ार कर रहे हैं और कान्हा बिना स्नान किए प्रसाद खां लेते हैं और यशोदा से कहते है मैया मुझे सखा के साथ गाय चराने जाना है तो खाने के लिए कुछ दे देना. मैया कहती हैं कि तेरे सखा का पेट भर दिया है उन्होंने भोजन कर लिया है कान्हा खुशी से यशोदा को गले लगा लेते है.

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कृष्णा और राक्षस बकासुर की लड़ाई

कान्हा अपने मित्रों के साथ बांसुरी बजाते हुए गाय चराने जा रहे होते है. तभी उन्हें बहुत बड़ा बगुला नजर आता है. कृष्णा के मित्र मनसुखा कृष्णा से कहता है कि इतना बड़ा बगुला तो आजतक नहीं देखा ये कोई और नहीं बल्कि बकासुर राक्षस है जो कि पूतना राक्षसनी का बड़ा भाई है. मनसुखा कृष्णा से कहता है ये जरूर को राक्षस होगा भाग चलो कृष्णा नहीं तो ये बगुला हमें खा जाएगा.

कृष्णा कहते है कि अगर हम भाग जाएंगे तो ये हमारी गाय को खा जाएगा. मनसुखा कहता है कि गाय की रक्षा भगवान करेंगे लेकिन हमारी कौन करेगा.

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कृष्णा अपने दाऊ की बात मान कर बगुला के पास जाते हैं. उसके चारों तरफ चक्कर मारने के बाद अपने मित्र से कहते है कि देखो ये कुछ नहीं करता तभी बगुला कृष्णा पर अपने बड़ी-बड़ी चोंच से हमला करता है. बगुला और कृष्णा में बड़ी लम्बी लड़ाई चलती है एक बार की बगुला कृष्णा को अपने चोंच से निगलने कोशिश करता है लेकिन वो विफल हो जाता है और बाद में कृष्णा बगुला यानी राक्षस बकासुर का मार गिराते है.

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कृष्णा के सभी मित्र खुश हो जाते हैं और अपने सेनापति को गोद में उठाकर जय-जय कार करते है “ हाथी घोड़ा पाल की जय कन्हैया लाल की”.

कंस को एक बार फिर मिली निराशा

ये सभी दृश्य कंस के सैनिक झाड़ी के पीछे छिप कर देख रहे होते हैं और बाद मैं कंस को सारी बातें कंस को बताते हैं. कंस इस बात का यकीन नहीं होता कि बकासुर मारा गया. सैनिक कंस को बकासुर और कृष्णा के लड़ाई के बारे में बताते है कि बकासुर ने कृष्णा को अपने चोंच से मुंह में फंसा लिया था लेकिन वो निगल नहीं पाया.

कंस कहता ही कि बकासुर मूर्ख था, जब उसने चोंच से फंसा लिया था तो उसे हमारे पास ले आता हम ही उसे मार देते अच्छा हुआ वो मूर्ख अपनी मूर्खता पर मारा गया. कंस अपने मंत्री चांड्डर से कहते है कि इतने बड़े-बड़े मायावीर राक्षस मारे गए लेकिन एक छोटे से बालक को नहीं मार पाए.

कंस चांड्डर से कहते है कि हमारे पास ऐसा कोई बलवान राक्षस नहीं है जो हमारे एक छोटे से शत्रु को मार सके. तभी चांड्डर कहते है महाराज पूतना और बकासुर का बड़ा भाई अगासुर. अगासुर कंस से कहता है कि मेरे जबड़े में जो फंस जाता है भगवान भी उसे नहीं छुड़ा सकता तभी कंस कहता है कि तुम अपना इतना बड़ा शरीर ले कर गोकुल कैसे जाओगे क्योंकी बकासुर के मरने के बाद वो लोग अधिक सावधान हो गए होंगे.

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कृष्णा ने अगासुर का किया उद्धार

अगासुर कहता है कि वो मेरे ऊपर छोड़ दीजिए तभी अगासुर गोकुल में चोरी से प्रवेश करता है. अपना मुंह खोल के बैठ जाता है. अगासुर को देख गाय के बछड़े भाग ने लगते है और बछड़े को देख कृष्णा के मित्र डर के मारे अपने सेनापति को गिरा कर भाग जाते है.

कृष्णा कहते है क्या सेना है हमारी जो बछड़े के डर से अपने सेनापति को गिरा कर भाग गए. कृष्णा अपने मित्र से कहते है कि अपने सेनापति को तो फेंक के भाग गए लेकिन भूखा तो मत मारो चलो खोलो अपनी-अपनी गठरी. तभी उनमें से एक कहता है कि अरे ये इतनी बड़ी गुफा कहा से आई कल तक तो नहीं थी. सभी उस गुफा में जाते हैं और कृष्णा को बताते है की कितनी लंबी सुरंग है अंदर आओ. मनसुखा कृष्णा से कहता है कि कितनी ठंड है यहां पर. आज से हम यहीं खाना खाया करेगे और तभी अगासुर अपना मुंह बंद कर देता है, जिसकी वजह से कृष्णा के सभी मित्र धीरे-धीरे बेहोश हो जाते हैं.

कृष्णा को बड़ा गुस्सा आता है वो अपने आप को बड़ा कर बकासुर के जबड़े को ही तोड़ देते हैं और तभी बकासुर से एक देव आत्मा निकलती है और कृष्णा को प्रणाम करती है और कहते है की मैं महर्षि अष्टवक्र के श्राप से आज युगों बाद मुक्त हो हुआ हूं. कामदेव की तरह अपने शरीर पर मुझे बहुत घमंड हो गया था.

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एक दिन जंगल में मैंने महर्षि अष्टवक्र को देखा और उनके टेड़े-मेड़े शरीर को देख कर में अपनी हंसी रोक नहीं पाया. मैंने उनके शरीर का मजाक उड़ाया, जिसके बाद उन्होंने मुझे अपनी शरीर पर घमंड होने का श्राप दिया और मुझे सांप बना दिया. आज आप ने मेरा उद्धार किया है उसके लिए कोटि कोटि प्रणाम .

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