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Ramayan 13th May Episode Update: मंथरा से चली अपनी चाल, राम को 14 वर्ष का वनवास

रामानंद सागर की रामायण में आया बड़ा ट्विस्ट. श्रीराम के राजा बनने पर मंथरा ने रानी कैकेयी को भड़काया. जानिए 13 मई के एपिसोड में क्या-क्या हुआ हमारे लेटेस्ट अपडेट में.

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राम के रोल में अरुण गोविल
राम के रोल में अरुण गोविल

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रामायण के नए एपिसोड में दिखाया गया कि श्रीराम के राज्याभिषेक की बात सुनकर मंथरा को क्रोध आता है और वो सीधा रानी कैकेयी के भवन जाती है. वहां रानी कैकई श्रीराम के राजा बनने की खुशी में अपनी दासियों को उपहार दे रही हैं. मंथरा, कैकेयी को भड़कती है और कहती है कि अब तुम्हारे बुरे दिन शुरू हो गए है. अब तू दासी और तेरा पुत्र भरत दास बनकर रह जाएंगे. मंथरा कहती है कि राम सबसे मीठा बोलकर सारा राज्य हड़प कर लेगा.

मंथरा ने चली चाल, भड़क गई कैकई

मंथरा की ये बातें सुन कैकई का मन विचलित हो उठता है और ऐसे में मंथरा कैकेयी को भड़काने में सफल हो जाती है. इतना ही नही मंथरा, रानी कैकई को कहती है कि राजा दशरथ से अपने वो दो वचन मांगने का वक्त आ गया है, जो तुम्हें राजा दशरथ ने एक युद्ध में उनके प्राण बचने के बदले दिए थे. मंथरा, रानी कैकेयी को त्रियाचरित्र का इस्तेमाल करने को कहती है और मंथरा की ये बात रानी कैकेयी मान जाती हैं.

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दूसरी ओर राजा दशरथ अपने पुत्र राम को राजा होने और उसकी जिम्मेदारियां उठाने का ज्ञान देते है. रानी कैकेयी, राजा दशरथ को संदेश भिजवाती है कि वे शीघ्र उनसे मिलने आए लेकिन देर तक प्रतीक्षा करने पर महाराज नहीं आते और ऐसे में रानी कैकेयी, मंथरा के कहने पर अपना पूरा श्रृंगार उतार फेंकती हैं और दासी के भेस में कोप भवन पहुंचती हैं. इसके बाद वे महाराज से नाराज होकर जमीन पर लेट जाती है.

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कैकई ने मांगे दो वचन

तभी वहां महाराज दशरथ पहुंचते हैं और रानी कैकेयी से उनके क्रोध की वजह जानने की कोशिश करते है. उसी क्षण रानी कैकेयी, राजा दशरथ से उनके दो वरदान मांगती है और कहती है उन्हें राम की कसम खानी होगी और अपने वचन पूरे करने होंगे. महाराज मान जाते हैं और रानी से कहते है कि वो अपने रानी वाले रूप में आएं, फिर वो जो मांगेगी उन्हें मिल जाएगा.

रानी कैकेयी अपने दो वचन मांगती है. पहला ये कि राम की जगह भरत का राज्याभिषेक हो और दूसरा ये कि राम को 14 वर्ष के लिए वनवास भेज दिया जाए. ये सुनकर राजा दशरथ सन्न रह जाते है. उन्हें उम्मीद नहीं थी कि कैकई ये वरदान मांगेगी. राजा दशरथ, कैकेयी के आगे मिन्नते करते हैं कि पहला वचन वे मान लेंगे लेकिन राम को वनवास के वचन कैकई वापस ले लें. लेकिन कैकेयी राजा की एक नहीं सुनती और उन्हें खूब खरी खोटी सुनाती हैं.

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संकट में फंसे राजा दशरथ

राजा दशरथ अब धर्म संकट में पड़ जाते हैं कि एक राजा होने के नाते वचन पूरा करें या पिता धर्म निभाएं और इस स्थिति में राजा बेहोश हो जाते हैं. उधर पूरे अयोध्या में राम के राज्याभिषेक की तैयारियां हो रही हैं. रानी कौशल्या अपने पुत्र राम के लिए विष्णु भगवान का जाप कर रही है कि सब ठीक हो.

आगे के भाग में दिखाया जाएगा कि कैसे रानी कैकेयी, राम को अपने वचनों के बारे में बताती हैं और फिर राम, सीता और लक्ष्मण तीनों महल से वनवास की ओर प्रस्थान करते है.

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