दो दिन बाद 28 सितंबर को बॉलीवुड के हैंडसम हंक रणबीर कपूर का जन्मदिन है. बॉलीवुड की नई पीढ़ी के एक्टर्स में रणबीर काफी पॉपुलर हैं, लेकिन कपूर खानदान के लिए उनकी अहमियत इससे कहीं ज्यादा है. हो भी क्यों ना! वह कपूर खानदान के चश्मो-चिराग हैं. हालांकि करिश्मा और करीना ने भी कपूर खानदान की फिल्मी विरासत को आगे ले जाने का काम बखूबी किया है, मगर दादा राज कपूर का सबसे ज्यादा लगाव रणबीर से था. बताया जाता है कि जब रणबीर पैदा हुए थे, तो राज कपूर की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. इसका जिक्र रणबीर के पापा ऋषि कपूर की ऑटोबायोग्राफी 'खुल्लम खुल्ला' में भी मिलता है.
रणबीर का बेसब्री से था इंतजार
सन् 1982 में रणबीर का जन्म हुआ था. उनसे पहले उनकी बहन रिद्धिमा 1980 में पैदा हुई थीं. मगर कहा जाता है कि रणबीर के जन्म के समय परिवार में खुशी का माहौल कुछ अलग ही था. इसकी खास वजह भी थी. रणबीर से पहले राज कपूर को दादा कहने वाला उनका कोई पोता नहीं था. ऋषि कपूर की बहन के बच्चों के साथ सरनेम कपूर नहीं जुड़ा था. फिर ढब्बू जी यानी रणधीर कपूर की दो बेटियों करिश्मा और करीना का सरनेम भी शादी के बाद बदल जाने वाला था. ऐसे में शायद राज कपूर को अपने फैमिली ट्री के लिए एक पोते का बेसब्री से इंतजार था. रणबीर के जन्म पर ये इंतजार खत्म हुआ.
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ऋषि ने अपनी किताब खुल्लम-खुल्ला में राज कपूर के रणबीर से इस प्यार के बारे में कई बातें बताई हैं. इनमें से एक जुड़ी है उनकी वसीयत से. वैसे तो रणबीर के पास कपूर खानदान की वजह से सिनेमा की एक असीम विरासत है. मगर इसके अलावा भी राज कपूर ने अपनी वसीयत में कई बेशकीमती तोहफे रणबीर के नाम लिखे थे.
विरासत में मिले अनमोल तोहफे
इनमें से एक है कपूर खानदान का खानदानी सोने का सिक्का. इस पर अफगानी में कुछ अक्षर दर्ज हैं. बता दें कि कपूर परिवार का संबंध पेशावर से है. रणबीर कपूर के परदादा बाश्वेश्वरनाथ कपूर पेशावर में तहसीलदार थे. पेशावर नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविनेंस में स्थित है. इसकी सीमा अफगानिस्तान से लगी है. बताया जाता है कि सोने के उस सिक्के के अलावा सोने के सिक्कों का एक नेकलेस भी राज कपूर ने रणबीर को ही दिया था.
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जाहिर है पीढ़ी दर पीढ़ी ये विरासत आगे बढ़ती जाएगी, मगर वो अहसास जो रणबीर कपूर को मिला, वह सिर्फ उनके हिस्से में ही रहेगा और अनमोल रहेगा.