भारतीय सिनेमा में संगीत काएक पूरा दौर राहुल देव बर्मन के नाम है. इसे सुनहरा दौर कहा जाता है. संगीत के दीवाने इस अनूठे फनकार ने कभी पंखे की आवाज से ही धुन तैयार कर ली तो कभी ट्रैफिक जाम उनके लिए धुन रचने की प्रेरणा बन गया.
राहुल देव बर्मन के कई साक्षात्कार ले चुके फिल्म पत्रकार तारोजी देवधर ने कहा ‘उनके अंदर संगीत इस कदर रचाबसा था कि धुन तैयार करने के लिए उन्हें किसी खास माहौल की जरूरत नहीं पड़ती थी. किसी आवाज में उन्हें संगीत का अहसास हुआ और उन्होंने उस पर ही एक धुन बना ली. उन्होंने चलते हुए पंखे से निकलती आवाज पर भी धुन तैयार की थी. इसका उपयोग उन्होंने फिल्म ‘आपकी कसम’ के गीत ‘सुनो कहो, कहा सुना’ गीत में किया था.’
देवधर ने बताया ‘पहली पत्नी से अलग होने के बाद एक बार राहुल देव बर्मन एक होटल में रूके थे. उनके साथ उनके गिटार वादक भानु गुप्ता भी थे. वह बैठे बैठे यूं की गिटार बजा रहे थे कि अचानक पंचम के दिमाग में एक धुन आ गई. उन्होंने वह धुन भानु को बताई. यह धुन ‘परिचय’ फिल्म के गीत ‘मुसाफिर हूं यारो’ की दूसरी पंक्ति की थी. इसके बाद दोनों रात भर काम करते रहे और सुबह तक पूरा गाना तैयार हो चुका था.’
बर्मन पर ‘पंचम के सात सुर’ लिखने वाली वीरा चतुर्वेदी ने कहा ‘इस बात पर बहुत ही कम लोगों का ध्यान गया होगा कि ‘पाथेर पंचाली’ का टाइटल म्यूजिक और ‘मुसाफिर हूं यारो’ गीत बहुत मिलते जुलते हैं. इसका कारण यह है कि पंचम अली अकबर खान साहब के शिष्य रहे हैं इसलिए उन पर खान साहब के संगीत का गहरा प्रभाव था.’
देवधर के अनुसार, पंचम और फिल्म निर्माता रमेश बहल के बीच गहरी दोस्ती थी. एक बार दोनों रात को खाना खाने के बाद आइसक्रीम खाने चले गए और जाम में फंस गए. गाड़ी रमेश चला रहे थे और बर्मन बैठे थे. जाम में गाड़ी कभी रूकती और कभी बेहद धीरे धीरे आगे बढ़ती थी. बर्मन सब देख रहे थे तथा कुछ गुनगुना रहे थे और वहीं उन्होंने एक धुन तैयार कर ली.
यह धुन बाद में ‘घर’ फिल्म के गीत ‘तेरे बिना जिया जाए ना’ में उपयोग की गई. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने इस गीत के अंतरे में ‘फंटूश’ फिल्म के गीत ‘दुखी मन मेरे’ की ट्यून का उपयोग बहुत ही चतुराई के साथ किया. ‘फंटूश’ के लिए संगीत पंचम के पिता एस डी बर्मन का था. इसी फिल्म के गीत ‘ऐ मेरी टोपी पलट के आ’ की धुन पंचम ने तैयार की थी लेकिन न यह बात किसी को पता चल पाई और न ही पंचम ने कभी इसका श्रेय लेना चाहा. लेकिन इस गीत की लोकप्रियता के लिए पंचम और उनके पिता ने एक दूसरे को बधाई दी थी.
वीरा ने कहा कि एस डी बर्मन का झुकाव जहां विशुद्ध भारतीय शास्त्रीय संगीत की ओर था वहीं पंचम अपने संगीत में पश्चिम का प्रभाव जरूर डालते थे.
फिल्म ‘अराधना’ के लिए कई बार कहा गया कि इसका संगीत राहुल देव बर्मन ने तैयार किया था. लेकिन वास्तव में इस फिल्म की संगीत रचना उनके पिता एस डी बर्मन ने की थी. उन दिनों पंचम अपने पिता के सहायक थे.
23 जून 1939 को जन्मे राहुल देव बर्मन ने चार जनवरी 1994 को आखिरी सांस ली.
(चार जनवरी को पुण्यतिथि पर विशेष प्रस्तुति)