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हिट एंड रन केस में सलमान दोषी, पिछले 13 सालों में कब-कब क्या-क्या हुआ?

सलमान खान के खिलाफ 2002 से जुड़े ‘हिट एंड रन’ मामले में बुधवार को 13 साल बाद सजा का ऐलान किया गया. इसमें सलमान खान को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या के मामले में पांच साल की सजा सुनाई. घटना के दिन से लेकर मुंबई की अदालत द्वारा बुधवार को सुनाए गए फैसले तक के घटनाक्रम इस प्रकार हैं.

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फाइल फोटोः सलमान खान
फाइल फोटोः सलमान खान

सलमान खान के खिलाफ 2002 से जुड़े ‘हिट एंड रन’ मामले में बुधवार को 13 साल बाद सजा का ऐलान किया गया. इसमें सलमान खान को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या के मामले में पांच साल की सजा सुनाई. घटना के दिन से लेकर मुंबई की अदालत द्वारा बुधवार को सुनाए गए फैसले तक के घटनाक्रम इस प्रकार हैं.

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28 सितंबर 2002: सलमान खान की सफेद रंग की टोयोटा लैंड क्रूजर गाड़ी ने ब्रांदा में हिल रोड पर अमेरिकन एक्सप्रेस बेकरी में टक्कर मारी, हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए.

28 सितंबर: सलमान के खून का नमूना लिया गया.

28 सितंबर: बांद्रा पुलिस ने सलमान को गिरफ्तार किया, जमानत मिली.

01 अक्टूबर: सलमान के खिलाफ आईपीसी के प्रावधानों, मोटर वाहन अधिनियम 1988 और बॉम्बे प्रोहिबिशन एक्ट 1949 के तहत मामला दर्ज किया गया.

अक्टूबर 2002: मुंबई पुलिस ने IPC की धारा 304 (2) लगाई जिसके तहत गैर इरादतन हत्या के लिए 10 साल जेल की सजा का प्रावधन.

07 अक्टूबर 2002: सलमान ने बांद्रा पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया, गिरफ्तार किए गए.

21 अक्टूबर 2002 : मुंबई पुलिस ने बांद्रा मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया.

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24 अक्टूबर 2002: सलमान को जमानत मिली.

मार्च 2003: सलमान ने मुंबई सेशन कोर्ट में IPC की धारा 304 (2) के आवेदन को चुनौती दी.

मई 2003: सेशन कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया, मजिस्ट्रेट कोर्ट को आरोप तय करने को कहा.

जून 2003: सलमान बम्बई हाई कोर्ट गए, जिसने IPC की धारा 304 (2) के मामले में लागू नहीं होने की राय दी.

अक्टूबर 2003: महाराष्ट्र सरकार ने बम्बई हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

दिसंबर 2003: सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि मजिस्ट्रेट अदालत IPC की धारा 304 (2) लागू करने के बारे निर्णय ले सकती है.

अक्टूबर 2006: सलमान खान के खिलाफ मजिस्ट्रेट ने आरोप तय किए.

03 अक्टूबर 2007: पहली प्राथमिकी दर्ज कराने वाले पुलिस अंगरक्षक रविन्द्र पाटिल की टीबी से मौत.

अक्टूबर 2011: सलमान खान पर कठोर धाराएं लगाए जाने की अभियोजन पक्ष ने मांग की.

23 दिसंबर 2013: 17 गवाहों की गवाही के बाद अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट वी एस पाटिल ने अभिनेता पर गैर इरादतन हत्या का आरोप तय किया और मामले को सुनवाई के लिए सेशन जज के पास भेज दिया.

24 जून 2013: सेशन जज ने मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ सलमान की याचिका को खारिज कर दिया और गैर कहा कि इरादतन हत्या का आरोप लागू है.

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27 अप्रैल 2014: सेशन कोर्ट में नए सिरे से मुकदमा शुरू, पहले गवाह ने गवाही दी.

24 जुलाई 2014: सेशन कोर्ट ने सलमान के खिलाफ आरोप तय किए.

जुलाई 2014: बांद्रा थाने से मामले की फाइल गायब. 63 गवाहों का वास्तविक बयान गुम. अदालत ने जांच का आदेश दिया.

12 सितंबर 2014: फाइलें मिलीं और अदालत में पेश की गईं.

सितंबर 2014: इस मामले में प्रदीप घराट को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया.

25 मार्च 2015: 24 गवाहों की गवाही के बाद अभियोजन की गवाही समाप्त.

27 मार्च 2015: एडिशनल सेशन जज डी डब्ल्यू देशपांडे ने सीआरपीसी की धारा 313 के तहत सलमान खान का बयान दर्ज किया.

31 मार्च 2015: सलमान खान के चालक अशोक सिंह ने बचाव पक्ष के गवाह के रूप में बयान दिया, कहा कार वह चला रहा था, सलमान नहीं.

01 अप्रैल 2015: अभियोजन ने जिरह शुरू की.

10 अप्रैल 2015: सलमान के वकील ने जिरह शुरू की.

20 अप्रैल 2015: जिरह समाप्त.

21 अप्रैल 2015: अदालत ने कहा कि वह छह मई को फैसला सुनाएगी.

06 मई 2015: अदालत ने फैसला सुनाया, सलमान दोषी. सलमान खान को गैर इरादतन हत्या IPC की धारा 304 (2) के तहत सेशन कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाई.

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शाम तक बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें दो दिन की अंतरिम राहत देते हुए 8 मई तक जमानत दे दी. हाई कोर्ट से जमानत लेने का जिम्मा सलमान की ओर से जाने माने वकील हरीश साल्वे को सौंपा गया था. साल्वे ने कोर्ट के सामने दलील दी कि अब तक सेशंस कोर्ट के आदेश का ऑपरेटिव पार्ट ही उन्हें मिला है और पूरा ऑर्डर उन्हें मिलने से पहले सलमान को जेल में नहीं डाला जा सकता. साल्वे ने कहा कि आदेश की पूरी कॉपी मिलने के बाद सलमान खुद सरेंडर कर देंगे. कोर्ट ने यह दलील स्वीकार करते हुए सलमान की जमानत दो दिन के लिए बढ़ा दी.

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