बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान ने निचली अदालत में आरोप लगाए कि 2002 के हिट एंड रन मामले में उन्हें गलत रूप से फंसाने की कोशिश की है. उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास यह साबित करने के लिए सबूत मौजूद है कि वह कार नहीं चला रहे थे.
उस दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि चार लोग जख्मी हुए थे. सलमान के वकील श्रीकांत शिवादे ने न्यायाधीश डी. वी. देशपांडे से कहा कि उस वक्त खान नहीं बल्कि अशोक सिंह टोयोटा लैंड क्रूजर एसयूवी चला रहे थे और बचाव पक्ष के गवाहों से बहस में यह बात सामने आ चुकी है.
वकील श्रीकांत शिवादे ने अंतिम जिरह के दौरान आज कहा, सलमान खान ड्राइवर की तरफ के दरवाजे से गाड़ी से उतरे, इसका मतलब यह नहीं है कि वह गाड़ी चला रहे थे. खान के वकील ने कहा कि यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि सलमान कार चला रहे थे. गवाहों से जिरह में यह सामने आया है कि सलमान कार के दाहिनी तरफ से उतरे क्योंकि हादसे की वजह से कार का बायां दरवाजा जाम हो गया और खुला नहीं.
शिवाडे ने बताया कि कार के अगले हिस्से में बायीं तरफ बैठे हुए व्यक्ति के लिए दरवाजा जाम होने पर दाहिने तरफ से उतरना ही एकमात्र विकल्प है. इसलिए सलमान ने ऐसा किया. अभियोजन पक्ष के वकील ने आरोप लगाए थे कि खान 90 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चला रहे थे जिस पर उनके वकील ने कहा कि यह संभव नहीं है क्योंकि जे. डब्ल्यू. मैरियट होटल (जहां सलमान अपने एक दोस्त और भाई के साथ गए थे) और दुर्घटनास्थल के बीच की दूरी सात से आठ किलोमीटर है जबकि इस दूरी को उनकी कार ने रात सवा दो बजे से पौने तीन बजे के बीच कवर किया.
वकील ने कहा, चालक के लिए इतनी छोटी दूरी 30 मिनट में तय करना संभव नहीं है, खासकर रात के वक्त जब सड़कें खाली होती हैं. इस दूरी को तय करने में लगे समय से पता चलता है कि गाड़ी की रफ्तार 90 किलोमीटर प्रति घंटे नहीं रही होगी. न्यायाधीश डी. डब्ल्यू. देशपांडे के समक्ष तर्क देते हुए खान के वकील ने तीन गवाहों, रेन बार के प्रबंधक, खान के गार्ड रविन्द्र पाटिल और डेयरी मालिक रामाश्रय पांडेय के सबूतों का जिक्र किया. गवाहों ने बताया कि गाड़ी में चार लोग थे जबकि अभियोजन का दावा है कि केवल तीन व्यक्ति थे.
शिवादे ने कहा, सलमान उनका गार्ड रविन्द्र पाटिल और गायक मित्र कमाल खान के अलावा चौथे व्यक्ति अशोक सिंह थे जो खान के ड्राइवर हैं और उस वक्त गाड़ी चला रहे थे. बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि पुलिस ने इस सबूत को दबा दिया और एफआईआर में अशोक सिंह का जिक्र नहीं किया.