29 जून को राजकुमार हिरानी की फिल्म संजू रिलीज के लिए तैयार है. फिल्म के टीजर और ट्रेलर के जारी होने के बाद से ही ये फिल्म चर्चाओं में हैं. दर्शक संजय दत्त की जिंदगी के उतार-चढ़ाव को देखने के लिए उत्सुक हैं. संजय दत्त की बायोपिक बनाने का फैसला लेने वाले डायरेक्टर राजकुमार हिरानी ने खास बातचीत में एक्टर जिंदगी से जुड़ी कई बातों को शेयर किया.
संजय दत्त की जिंदगी पर बायोपिक बनाने की क्यों सोची?
संजय दत्त की कहानी लोगों को पता है, पर जब मैं उनके साथ बैठा तो एक अलग ही दुनिया दिखाई दी. संजय दत्त का उनके पिता के साथ रिश्ता और दोस्तों के साथ रिलेशनशिप की कहानी काफी दिलचस्प थी. इसलिए इस पर कहानी लिखने का मन बना लिया.
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पहली बार संजय दत्त से आपकी मुलाकात कब हुई?
हमने उन्हें मुन्नाभाई के जिम्मी शेरगिल वाले किरदार के लिए अप्रोच किया था. क्योंकि मुन्नाभाई के लीड रोल के लिए हम शाहरुख खान का नाम पहले ही फाइनल कर चुके थे. लेकिन जब मुन्ना के रोल के लिए शाहरुख को अप्रोच किया तो उनके पास डेट्स नहीं थीं, फिर हमने संजू को कहा की उन्हें मुन्नाभाई का मुख्य रोल करना है. ये सुनकर उन्हें जैसे झटका लगा और वो परेशान हो गए क्योंकि उनके पास डेट्स भी नहीं थीं. लेकिन फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद संजय दत्त ने इस फिल्म के लिए हां कर दी.
सुनील दत्त के किरदार के लिए परेश रावल का चयन करने का फैसला कैसे लिया?
संजू के लिए रणबीर की कास्टिंग तो तुरंत हो गयी. लेकिन दत्त साहब के किरदार के लिए हमें काफी समय लगा. हमें कोई वैसा नहीं मिल रहा था जो थोड़ा उनकी तरह नजर आए. क्योंकि उनकी कोई स्टाइल नहीं थी, वो हमेशा क्लीन शेव और बढ़े हुए बालों में नजर आते थे. कई लोगों के साथ हमने उनके लुक्स को ट्राइ भी किया था लेकिन बात नहीं बनी फिर तो ऐसा लग रहा तह की हम संजय दत्त को सुनील दत्त के किरदार में कास्ट कर लेते हैं. लेकिन वो बेवकूफी होती क्योंकि संजय के सामने संजय खड़े होते. फिर हमने परेश रावल साहब को बताया, उन्होंने हमारे साथ रीडिंग की और आखिरकार फिर हमें सुनील दत्त साहब मिल ही गए.
सुनील दत्त के साथ कभी आपकी खास मुलाकात हुई?
दत्त साहब से मैं मुन्नाभाई के दौरान मिला था. उनको जब स्क्रिप्ट भेजी थी तो उन्होंने उर्दू में स्क्रिप्ट मांगी थी, हमने वही स्क्रिप्ट भेज दी थी. 9 बजे के शिफ्ट में वो साढ़े आठ बजे आ जाते थे, उन्हें वैनिटी वैन, मॉनिटर जैसी बातें नई लगती थीं. काफी अनुशासित इंसान थे, 6 महीने के बाद डबिंग के दौरान वो खुद वही स्क्रिप्ट लेकर आए थे, जो हमने उन्हें दी थी, जबकि हम लोग डबिंग में नई स्क्रिप्ट देते हैं.
आमिर खान से भी सुनील दत्त के किरदार के बारे में आपने बातचीत की थी?
आमिर मेरे दोस्त हैं, मैं सभी स्क्रिप्ट उन्हें सुनाता हूं, जब मैंने उन्हें संजू की स्क्रिप्ट सुनाई तो उन्होंने कहा की यार मैं नहीं हूं तेरी फिल्म में. और ऐसा ही तब हुआ था जब मैं 3 इडियट्स कर रहा था, तब संजय दत्त ने ये बात कही थी कि यार मैं नहीं हूं तेरी फिल्म में. तो आमिर की बात पर लौटते हैं, मैंने उन्हें मजाक में कह दिया कि आमिर आप पिताजी का रोल कर लीजिये. उन्होंने पंचगनी में मुझे बुलाया और कहा, 'मैं अभी दंगल में बूढ़े इंसान का किरदार निभा रहा हूं, उसके बाद फिर अगर वैसा ही किरदार करूंगा तो मुझे यंग रोल नहीं मिलेंगे.' फिर उन्होंने मजाक में कहा कि अगर तुम मुझे संजू का रोल देते तो मैं वो जरूर करता.
आपको नहीं लगा की कई लोगों को इस बायोपिक से एतराज हो सकता है?
पहली बात ये है की किसी ने भी मुझे बायोपिक के लिए नाराज होकर अप्रोच नहीं किया है. दूसरी बात फिल्म बनाते हुए हमें ईमानदार होना भी जरूरी होता है. ढाई घंटे में कहानी बनाने के लिए आपको कई किरदारों को जीना पड़ता है. वैसे भी हमने ड्रग्स, गन रिश्तों पर ही फोकस किया है.
आपकी फिल्मों की एक खासियत है उनमें पिता-पुत्र और दोस्ती को बड़े अच्छे से दर्शाया जाता है?
हां मेरी जिंदगी में भी मेरे पिता के साथ और दोस्तों के साथ रिश्ते अहम रहे हैं. शायद वही बात परदे पर आ जाती है. जब पार्टीशन हुआ तो पापा सिंध (पाकिस्तान) से भारत आए, वो अक्सर वहां की कहानियां सुनाया करते थे. एक दिन मैं जरूर उस इलाके में जाना चाहूंगा, वहां के नवाब शाह नामक शहर से वो ताल्लुक रखते थे, घोड़ों पर जाया करते थे. मेरे पिता ने ये बताया कि पहली बार साइकिल उन्होंने भारत में देखी थी. लेकिन इन किस्सों को फिल्म में पिरोने के बारे में अभी नहीं सोचा है.
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मुन्नाभाई अमेरिका कब जाएंगे?
मुन्नाभाई अमेरिका तो नहीं जाएंगे, लेकिन मुन्नाभाई का अगला पार्ट जरूर बनेगा. हम लोग बस इस फिल्म की स्क्रप्टिंग में जुटे हुए हैं. संजू की रिलीज के बाद उस पर ध्यान दिया जाएगा. नई कहानी लिखी जा रही है, अमेरिका वाली कहानी नहीं बनेगी.
आपकी और अभिजात की जोड़ी बिल्कुल सलीम-जावेद जैस जोड़ी है?
नहीं ऐसा कहना गलत है, हमारा टैलेंट वैसा नहीं है. हम दोनों बस लगे रहते हैं, छोड़ते नहीं हैं. सलीम-जावेद के जैसा काम हम नहीं कर पाते.
क्या आप एक और बायोपिक बना रहे हैं?
नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है, ये सब अफवाह है.