संजय दत्त अपनी बायोपिक संजू की रिलीज के बाद पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए. उन्होंने आजतक के विशेष प्रोग्राम "सीधी बात" में शिरकत की.
संजय दत्त ने तमाम सवालों के जवाब दिए. उन्होंने कहा कि अब उन्हें अपना बर्थडे मनाना पसंद नहीं है. वे कुछ काम करना चाहते हैं. संजय ने कहा कि शायद 1993 के केस और जेल में रहने के बाद उनके जीवन में काफी बदलाव आया है. वे आध्यात्मिक हो गए हैं. जेल में उन्होंने हिन्दू शास्त्र ऋगवेद, यजुर्वेद, महाभारत, रामायण, शिवपुराण आदि पढ़े.
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संजय दत्त ने अपनी फिल्म की अलग-अलग तरह से हो रही आलोचनाओं पर भी बात की. संजू में दिखाए मीडिया के रोल और उससे नाराजगी पर बात करते हुए संजय ने कहा- मुझे मीडिया से एक पैसे की नाराजगी नहीं है. संजू में मीडिया विलेन नहीं है. मैंने कोई मीडिया हैमरिंग नहीं की. मीडिया में कई ऐसे लोग हैं जो मेरे दोस्त हैं, मैं कई लोगों की बहुत इज्जत करता हूं. लेकिन एक हेडलाइन जिसे आपने कंफर्म भी नहीं किया है, उससे छापने से एक परिवार के ऊपर बड़ा असर होता है. ऐसे में यदि मैं मीडिया से नाराज होता हूं तो मेरा हक बन जाता है.
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संजय ने बताया कि उनकी जिंदगी में दो महिलाओं की बड़ी भूमिका है. एक उनकी मां और दूसरी उनकी पत्नी मान्यता दत्त. संजय ने कहा कि जब वे जेल में थे, तब उनकी पत्नी ने काफी जिम्मेदारी से बच्चों को संभाला और उन्हें भी भरोसा दिया कि सब कुछ ठीक होगा.
संजू ने कहा कि संजय दत्त एक अच्छा इंसान है, जिसने कुछ गलतियां भी कीं. उन्होंने कहा कि मैं अब सोच समझकर फिल्में कर रहा हूं. एक समय मेरी जिंदगी में ऐसा आया जब मैंने खुदकुशी का सोच लिया था. उनकी जिंदगी में काफी कुछ गड़बड़ चल रहा था.