देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में जहां एक ओर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कई साहित्यकार और फिल्मी हस्तियां अपने सरकारी पुरस्कार व सम्मान लौटा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शाहरुख खान का कहना है कि वह अपने पद्मश्री और अन्य पुरस्कार नहीं लौटाएंगे.
'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' और 'देवदास' जैसी अतिसफल फिल्में देने वाले शाहरुख को साल 2005 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
अपना 50वां जन्मदिन मना रहे शाहरुख ने सोमवार को 'इंडिया टुडे' को दिए एक इंटरव्यू में कहा, 'देश तेजी से असहिष्णुता की ओर बढ़ रहा है. मैं सरकार द्वारा दिए गए पुरस्कार लौटाने वालों का सम्मान करता हूं, लेकिन मैं अपने पुरस्कार नहीं लौटाऊंगा.'
असहिष्णुता को लेकर विरोध जताते हुए अब तक फिल्म जगत से दिबाकर बनर्जी, आनंद पटवर्धन, परेश कामधर और हरीशचंद्र थोराट जैसे लोग अपने पुरस्कार लौटा चुके हैं.
इन सभी ने भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के अध्यक्ष के तौर पर गजेंद्र चौहान की नियुक्ति का विरोध कर रहे
संस्थान के छात्रों का समर्थन भी किया.