बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान अपनी एनर्जी और वर्क एथिक्स के लिए जाने जाते हैं. ये उनके प्रोफेशनलिज्म और मेहनत का ही नतीजा है कि वे इंडस्ट्री में कई साल बिताने के बाद भी किंग खान कहलाए जाते हैं. शाहरुख खान खुद कह चुके हैं कि उन्हें काम करना बेहद पसंद है और जब वे अपने किरदार में होते हैं तो सब कुछ भूल जाते हैं. हालांकि उनके स्टारडम की यात्रा में कई ऐसे लोग रहे जिन्होंने उन्हें सीख दी है.
शाहरुख ने एक इंटरव्यू में कहा था- मुझे सरोज खान जी ने एक बार कहा था कि बेटा काम जब मिले तो कभी ना मत कहना. क्योंकि जब नहीं मिलता है तो बहुत दुख होता है. जब सरोज खान जैसी शख्सियत आपको ये बात कहती हैं तो इस बात के मायने काफी बढ़ जाते हैं. मैंने लोगों को काम के लिए संघर्ष करते देखा है, फिर उन्हें काम मिलता है, वो सफलता के शिखर पर पहुंचते हैं और फिर समय ऐसा भी आता है जब उन्हें फिर से काम मिलना बंद हो जाता है.
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स्टारडम से बढ़ जाती है जिम्मेदारी: शाहरुख
शाहरुख ने आगे कहा कि सरोज जी ने मुझे ये भी कहा था कि ऐसा कभी मत बोलना कि अरे यार कितना काम है, काम सिर्फ करते जाना, कोई पैसा दे तो खुशी से ले लेना क्योंकि काफी चांस है कि जिंदगी भर नहीं रहेगा. शाहरुख ने ये भी बताया था कि सुपर स्टारडम की ये परेशानी भी है कि आपको काफी ज्यादा काम करना पड़ता है क्योंकि कहीं ना कहीं कई सारे लोगों की आय आप पर निर्भर होती है तो इससे आपकी जिम्मेदारी भी कहीं ना कहीं बढ़ जाती है.