बॉलीवुड एक्ट्रेस और सीबीएफसी की पूर्व हेड शर्मिला टैगौर ने कहा है कि बॉलीवुड में बड़ी उम्र के हीरो के लिए तो स्क्रिप्ट लिखी जाती है, लेकिन हीरोइनों के केस में ऐसा नहीं है.
आईएनएस से बात करते हुए उन्होंने कहा- बड़े उम्र के हीरो के लिए बहुत सी स्क्रिप्ट्स लिखी जा रही हैं, लेकिन हीरोइनों के लिए नहीं लिखा जाता. लड़कियों को हमेशा यंग रहना होगा, जबकि पुरुषों को हमेशा रोल मिलता रहेगा.
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यह सबको मानना होगा कि जिंदगी जवानी में ही खत्म नहीं हो जाती. मेरे समय में जिंदगी 30 या 40 पर रुक गई थी, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि जिंदगी चलती रहती है और जीवन के अलग-अलग पहलू होते हैं, जिन्हें ऑडियंस को देखना चाहिए.
शर्मिला टैगोर ने 13 साल की उम्र में फिल्म अपुर संसार से डेब्यू किया था. उन्हें फिल्म मौसम के लिए नेशनल अवॉर्ड भी मिला है. 'अनुपमा', 'कश्मीर की कली', 'एन इवनिंग इन पेरिस' और 'अराधना' जैसी फिल्मों में उन्होंने दमदार एक्टिंग की थी. उन्हें पद्म भूषण भी मिल चुका है.
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शर्मिला टैगोर अभी भी कैमरा फेस करते हुए दिख जाती हैं. उन्होंने इस इंडस्ट्री में बहुत बदलाव देखा है.
उन्होंने कहा- जब हम काम कर रहे थे, तब एक्टिंग को अच्छा काम नहीं माना जाता था, लेकिन अब यह बदल गया है. अब हीरोइनों का रोल भी पावरफुल हो गया है. 'पीकू' और 'नीरजा' जैसी फिल्मों ने बहुत अच्छा काम किया है.
हमारे समय में हीरोइनें निगेटिव रोल नहीं कर सकती थीं, लेकिन अब कर सकती हैं और ऑडियंस उन्हें स्वीकार भी करती है. मुझे लगता है कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री अच्छी जगह पर है. आजकल हीरोइनों को अलग-अलग रोल भी मिलता है.