बॉलीवुड प्लेबैक सिंगर रेखा भारद्वाज ने रियलिटी सिंगिंग शोज में ड्रामा डाले जाने पर जमकर भड़ास निकाली है. रियलिटी शोज को लेकर हर किसी की अपनी धारणा है. वैसे तमाम को लगता है कि ये (रियलिटी शोज) लोगों के डांस, सिंगिंग और बाकी तरह के टैलेंट को मौका दे रहे हैं और कुछ को लगता कि ये शोज बच्चों का शोषण करते हैं. रेखा भारद्वाज ने रियलिटी सिंगिंग शोज के बारे में अपने विचार सोशल मीडिया पर रखे हैं.
रेखा भारद्वाज ने कहा, "मुझे समझ में नहीं आता है कि म्यूजिक रियलिटी शोज में इतना ड्रामा क्यों डाला जाता है?" रेखा को लगता है कि इस तरह के शोज बच्चों का बचपन और उनकी मासूमियत उनसे छीन रहे हैं.
रेखा ने कहा, "मुझे जो चीज निराश और दुखी करती है वो ये है कि इन बच्चों को संगीत के बारे में इबादत की तरह सिखाने की बजाए हम उन्हें संगीत की प्रतियोगिता करना/वोट मांगना और ग्लैमरस दिखना सिखा रहे हैं."
रेखा ने कहा, "गुरु-शिष्य परंपरा के नाम पर हम उनके बचपन और मासूमियत को तबाह करने का काम कर रहे हैं." रेखा ने कहा कि वह कभी भी इस तरह के वाहियात रियलिटी म्यूजिक शोज का हिस्सा नहीं बनेंगी. रेखा की बात से सहमत होते हुए कुछ यूजर्स ने उनकी हां में हां मिलाई है.
एक यूजर ने लिखा, "बच्चों के बारे में परवाह कौन करता है मैडम? ये सिर्फ बिजनेस है और इसकी जड़ों में है टीआरपी."
What disappoints me and saddens me is that rather than guiding these kids to treat music as Ibaadat/Prayer we are teaching them to compete /ask for votes/ learn to look glamorous ... in the name of Guru Shishya Parampara we are using their age and spoiling their innocence !!
— rekha bhardwaj (@rekha_bhardwaj) September 1, 2019
Today i felt very sad !
And i pray Khuda na kare main kabhi is tarah ke mediocre show ki hissa banun.
Coz in the name of music its just noise and every song has to make you dance !
— rekha bhardwaj (@rekha_bhardwaj) September 1, 2019
Who cares about kids ? It’s all business & deeply driven by TRPs. Those sad dramatic stories, on screen crying parents, solace granted by anchors, judges... all fake.
— अक्षय (@SunoBawal) September 2, 2019
एक और यूजर ने लिखा, "वो भावुक कर देने वाली कहानियां, पर्दे पर रोते माता-पिता, एंकर्स के द्वारा दी जाने वाली सहानुभूति और जज... सब फर्जी होते हैं."
एक अन्य ट्विटर पर लिखा, "एक वास्तविक ऑब्जर्वेशन ये है कि पिछले 3-4 सालों से लोगों ने इस तरह के शोज देखना बंद कर दिया है. वे न सिर्फ अपने शो बेचने के लिए इमोशन्स का इस्तेमाल कर रहे हैं बल्कि इन शोज में हिस्सा ले रहे बच्चों का बचपन भी नष्ट कर रहे हैं."