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'तुम्हें औरतों की इज्जत करनी नहीं आती नवाज, घिन आती है तुमसे'

अपनी किताब की वजह से नवाजुद्दीन सिद्दीकी लगातार विवादों में फंसते जा रहे हैं. अब उनके साथ काम कर चुकीं एक थियेटर आर्टिस्ट ने बतौर इंसान उन्हें झूठा करार दिया है. शुक्रवार को एक लंबी फेसबुक पोस्ट लिखकर थियेटर आर्टिस्ट ने कहा - नवाजुद्दीन तुम्हें आज भी औरतों की इज्जत करनी नहीं आती. तीखा पोस्ट लिखने वाली आर्टिस्ट कोई और नहीं सुनीता राजवार हैं. उन्होंने नवाज के साथ काम किया है.

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नवाजुद्दीन सिद्दीकी, सुनीता राजवार (Picture:Facebook/ Sunita Rajwar)
नवाजुद्दीन सिद्दीकी, सुनीता राजवार (Picture:Facebook/ Sunita Rajwar)

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अपनी किताब की वजह से नवाजुद्दीन सिद्दीकी लगातार विवादों में फंसते जा रहे हैं. अब उनके साथ काम कर चुकीं एक थियेटर आर्टिस्ट ने बतौर इंसान उन्हें झूठा करार दिया है. शुक्रवार को एक लंबी फेसबुक पोस्ट लिखकर थिएटर आर्टिस्ट ने कहा - नवाजुद्दीन तुम्हें आज भी औरतों की इज्जत करनी नहीं आती.  

ये आर्टिस्ट कोई और नहीं सुनीता राजवार हैं. उन्होंने नवाज के साथ काम किया है. अपनी किताब An Ordinary Life: A Memoir में नवाज ने सुनीता को पहला प्यार बताते हुए लिखा कि गरीबी की वजह से उन्होंने उन्हें छोड़ दिया था. खबरों की मानें तो किताब के कंटेंट से नाराज सुनीता नवाज के खिलाफ केस करने के बारे में सोच रही हैं.

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नवाज ने अपनी किताब में अपने कई अफेयर्स का खुलासा किया है. इसमें उनके साथ काम करने वाली को-एक्ट्रेस से होटल की वेट्रेस तक शामिल हैं. पहले प्यार का खुलासा करते हुए नवाज ने सुनीता राजवार का नाम लिया था. उन्होंने दावा किया कि बेरोजगारी की वजह से जब उनका ब्रेकअप हुआ, उस वक्त वो सुसाइड तक की सोचने लगे थे.

नवाज ने 'मिस लवली' की को-एक्ट्रेस निहारिका सिंह के साथ रिलेशनशिप से जुड़े सनसनीखेज खुलासे किए हैं. सुनीता की तरह निहारिका ने भी नवाज की बातों को अश्लील करार दिया और इसे किताब बेचने का सस्ता हथकंड़ा कहा.

सुनीता ने अपनी फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया कि उन्हें लेकर नवाज ने कई झूठ बोले हैं. नवाज की छोड़ने की असली वजह वह नहीं थी, जो उन्होंने बताई.ऐसा ब‍िल्कुल नहीं था.

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पढ़ें, पोस्ट में क्या लिखा-

कहते हैं नसीब वक्त बदल सकता है, इंसान की फितरत नहीं. नवाज की किताब पढ़कर कुछ एेसा ही लगा और यकायक ‘मेलाराम वफ़ा’ का एक शेर याद आ गया, “एक बार उसने मुझको देखा था मुस्कुराकर, इतनी सी हकीकत है बाकी कहानियां हैं”. क्योंकि इस बायोग्राफी में काफी हद तक सिर्फ छपाई है, सच्चाई नहीं, कई बातें नवाज़ ने अपने मन से, अपने हिसाब से और अपने हक में लिखी हैं, चित भी मेरी पट भी मेरी टाइप्स. उन्होंने बड़ी ही खूबसूरती से खुद को बुरा भी कह दिया है और उतनी ही खूबसूरती से अपनी बुराई का सारा ठींकरा औरतों पर फोड़ दिया है. खासकर मुझ पर, क्योंकि उनकी मानें तो मेरे बाद उनका प्यार से और औरतों से विश्वास ही उठ गया था और उनके सारे इमोशन्स RIP यानी रेस्ट इन पीस हो गये थे.

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बहरहाल, उनकी बायोग्राफी में जहां तक मेरा सवाल है तो उनके झूठ का फलसफा वहीं से शुरू हो जाता है, जहां से मेरा जिक्र, यानी शुरुआत की पहली दो लाइन से ही, जहां नवाज़ कह रहे हैं कि वो मुझे एनएसडी में कभी नही मिले. NSD में वो मेरे एक साल सीनियर थे तो ज़ाहिर है मुलाकात तो होती होगी. हां उस वक्त हमारे बीच कुछ था नहीं, लेकिन ये कहना कि कभी मिले ही नहीं, ये अटपटा सा ज़रूर लगता है.

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फिर उन्होने कहा कि मैं उनके घर की दीवारों में आर्ट-वर्क करती थी, हमारे नाम उकेरा करती थी, दिल बनाया करती थी, जिनके बीच से होकर कभी-कभी तीर भी गुज़रा करता था. ये पढ़कर एेसा लगा मानो मैं उनसे मिलने नहीं, बल्कि उनकी आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स क्लास लेने जाती थी. हद तो तब हो गई जब उन्होंने रोमांटिक बॉलीवुड मूवी स्टाइल में लिख दिया कि हमारे ब्रेक-अप के बाद उन्होंने वाइट पेंट की बाल्टी ली और ब्रश से मेरे आर्ट-वर्क को दीवार से और मुझे दिल से मिटाते गए. अब सवाल ये उठता है कि जब मैंने कभी कोई आर्ट-वर्क बनाया ही नहीं था तो वो किसके आर्ट वर्क को मिटाने की बात कर रहे हैं?

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चलो इन छोटी-छोटी बातों को नज़र अंदाज़ भी किया जा सकता है, लेकिन असली खेल तो उन्होने वहां खेला जहां हमारे ब्रेक-अप की बात आई. नवाज़ हमेशा से Sympathy seeker रहे हैं, वो कोई एसी चीज़ नही छोड़ते जहां से सहानुभूती बटोरी जा सकती हो, कभी अपने रंग रूप को लेकर, कभी गरीबी को लेकर, कभी ये कहकर की वो वॉचमैन की नौकरी कर चुके हैं, जब की सच तो ये है कि उस वक्त उनका फैमली बैकग्राउंड मेरे फैमली बैकग्राउंड से अच्छा था. एक कामयाब आदमी को इतना इनसि‍क्योर देखकर कामयाबी से डर सा लगने लगता है कभी-कभी.

ख़ैर, नवाज़ का कहना है कि वो गरीब थे और स्ट्रगलर थे इसलिये मैने उन्हें छोड़ दिया. तो नवाज़ मैं क्या थी, तुम से गरीब तो मैं थी, तुम तो कम से कम अपने घर मैं रह रहे थे मैं तो दोस्त के घर में रहकर स्ट्रगल कर रही थी.

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ये सिर्फ तुम अच्छी तरह जानते हो कि हमारा रिश्ता एक प्ले से शुरु होकर उस प्ले के मात्र तीन शो से पहले खत्म हो चुका था, क्योंकि तुम्हारी सच्चाई मेरे सामने आ चुकी थी। मैंने तुम्हारा फोन लेना छोड़ दिया था, क्योंकि घिन आती थी तुम्हारे बारे में सोचकर, बात क्या करती तुमसे. मैंने ये कभी नहीं कहा कि तुम अपने करियर पर फोकस करो और मैं अपने.

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अब जब तुम सब हदें पार कर ही चुके हो तो ये भी जान लो कि मैंने तुम्हें क्यों छोड़ा था, मैंने तुम्हें इसलिए छोड़ा था क्योंकि तुम हमारे संबंध का मज़ाक बनाते हुए सब व्यक्तिगत बातें हमारे कॉमन फ्रेंड्स के साथ शेयर किया करते थे. तब मुझे पता चला कि तुम औरत और प्यार के बारे में क्या सोच रखते हो.

दूसरा बड़ा झूठ जिसने मुझे ये पोस्ट लिखने के लिए मजबूर किया वो ये कि तुम्हारे सफल होने पर मैंने लोगों को ये बताना शुरु कर दिया कि कभी तुम्हारे और मेरे गहरे संबंध थे. ना मैंने तब किसी को कुछ बोला था और ना आज तक किसी को कुछ बताया. फिर इतना बड़ा झूठ क्यों नवाज़, अगर बहुत सच्चे बनते हो तो उन लोंगो का नाम भी छाप देते अपनी बायोग्राफी में जिनके साथ मैं तुम्हारे हिसाब से तुम्हारे सफल होने के बाद हमारे संबंधों का बखान किया करती थी.

तुमने लिखा है कि मैं तुम्हारा पहला प्यार थी, सूखे में पहली बारिश की तरह, अगर ये पहला प्यार था तो भगवान करे किसी को एेसा पहला प्यार न मिले. आज नाम है तुम्हारा, अच्छा काम कर रहे हो, इसलिए तब तो नहीं कहा था, पर अब जरूर कहूंगी कि अपने करियर पर फोकस करो.

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मैंने तुम्हें तुम्हारी गरीबी की वजह से नहीं तुम्हारी गरीब सोच की वजह से छोड़ा था. तुमने अपनी बायोग्राफी से साबित कर दिया कि मैं जिस नवाज़ को जानती थी तुम आज उससे ज्यादा ग़रीब हो. ना तुम्हें तब औरतों की इज़्जत करनी आती थी और ना ही अब सीख पाए हो.

तुम्हारे हालात पर बस इतना ही कहूंगी, “ जा, तू शिकायत के काबिल होकर आ, अभी तो मेरी हर शिकायत से तेरा क़द बहुत छोटा है”।।

और हाँ, मैं पहाड़न नहीं, पहाड़ हूं...

आपको बता दें कि सुनीता 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' में धनिया के रोल में दिख चुकी हैं. इसके साथ उन्होंने 'शगुन', 'रामायण', 'हिटलर दीदी', 'संतोषी माता' जैसे सीरियल्स भी किए हैं.

सुनीता सिर्फ सीरियलों में ही नहीं ब्लकि फिल्मों में भी नजर आती हैं. उन्होंने 'मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं', 'एक चालिस की लास्ट लोकल', 'संकट सिटी' जैसी फिल्मों में काम किया है.

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