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'पद्मावत' पर खुला खत लिखने के बाद स्वरा ने कहा- मुझे लाइमलाइट में रहना पसंद

फिल्म पद्मावत के कंटेंट पर एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने आपत्त‍ि जताते हुए एक ओपन लेटर लिखकर भंसाली को जमकर लताड़ा है. वहीं ट्विटर पर स्वरा को काफी ट्रोल किया गया है‍. जिसके बाद स्वरा ने कहा कि उन्हें लाइमलाइट में रहना अच्छा लगता है.

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स्वरा भास्कर
स्वरा भास्कर

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संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' के कंटेंट पर एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने आपत्त‍ि जताते हुए एक ओपन लेटर लिखकर भंसाली को जमकर लताड़ा. इसके बाद ट्विटर पर स्वरा को काफी ट्रोल किया गया, हालांकि इससे बेपरवाह स्वरा ने कहा कि उन्हें लाइमलाइट में रहना अच्छा लगता है.

स्वरा को लगातार ट्रोल करने वाले लोगों को एक्ट्रेस ने करारा जवाब देते हुए लिखा है, हां मुझे लाइमलाइट में रहना पसंद है. मुझे ट्रोल करने वाले खुद ट्रोल हो रहे हैं.

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स्वरा के इस लेटर पर शाहिद कपूर ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने आईबी टाइम्स से बात करते हुए कहा, स्वरा के लेटर की मुझे जानकारी है, लेकिन ईमानदारी से कहूं तो मैंने इसे अभी तक पढ़ा नहीं है. ये काफी लंबा है. मैं इन दिनों काफी बिजी हूं. मुझे नहीं पता उन्हें क्या समस्या है. शायद संजय सर से जुड़ा कोई मसला है.

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बता दें कि स्वरा ने अपने ओपन लेटर की शुरुआत ‘At The End of Your Magnum Opus… I Felt Reduced to a V***** – Only’ हेडिंग से करते हुए की है. स्वरा ने लिखा है कि इस फिल्म के जरिए भंसाली ने सती और जौहर प्रथा का महिमामंडन किया है. स्वरा फिल्म के जरिए स्त्रियों की पेश हुई छवि से बहुत नाराज हैं.

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ओपन लेटर की शुरूआत में तो स्वरा भास्कर ने भंसाली की फिल्म में काम करने वाले स्टार्स की तारीफ की. आगे उन्होंने लिखा कि महिलाओं को ‘वजाइना’ के तौर पर सीमित कर दिया है. फिल्म के आखिर में रानी पद्मावती द्वारा इज्जत की रक्षा के लिए खुद को जला देने के दृश्य पर वह लिखती हैं, ‘सर, महिलाओं को रेप का शिकार होने के अलावा जिंदा रहने का भी हक है.'

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पुरुष का मतलब आप जो भी समझते हो-पति, रक्षक, मालिक, महिलाओं की सेक्सुएलिटी तय करने वाले, उनकी मौत के बावजूद महिलाओं को जीवित रहने का हक है. स्वरा आगे और भी तल्ख रुख अपनाते हुए कहती हैं, ‘महिलाएं चलती-फिरती वजाइना नहीं हैं. हां महिलाओं के पास यह अंग होता है लेकिन उनके पास और भी बहुत कुछ है. इसलिए लोगों की पूरी जिंदगी वजाइना पर केंद्रित, इस पर नियंत्रण करते हुए, इसकी हिफाजत करते हुए, इसकी पवित्रता बरकरार रखते हुए नहीं बीतनी चाहिए.’

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