इंडिया टुडे के संपादक प्रभु चावला ने आजतक के सीधी बात कार्यक्रम में फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार से बात की. उसके अंशः
बीस साल के कॅरिअर में कोई खट्टा अनुभव याद है?
मेरे पास मीठे अनुभव ज्यादा रहे हैं. जब यहां आया तो मेरे पास करीब सवा सौ रु. थे. आज भगवान ने बहुत कुछ दिया है.
आपकी फिल्म खट्टा-मीठा में क्या सचाई के साथ किसी तरह का समझैता किया गया है?
इसमें कॉमेडी के जरिए सचाई दिखाई गई है. एक गंभीर बात कॉमेडी के माध्यम से बताई गई है, जिसमें भरपूर मनोरंजन है, भ्रष्टाचार पर चोट की गई है. इसमें एक भ्रष्ट ठेकेदार को दिखाया गया है.
यानी इसमें छोटे स्तर पर भ्रष्टाचार दिखाया गया है, न कि बड़े स्तर का.
हां, इसमें छोटे स्तर पर भ्रष्टाचार दिखाया गया है. इसमें आम इंसान की परेशानी है.
इसमें आपकी पहले की फिल्मों से हटकर क्या है?
खट्टा-मीठा में मैं एक भ्रष्ट ठेकेदार की भूमिका में हूं. लेकिन साथ ही यह भी दिखाया गया है कि वह भ्रष्ट क्यों है.
आप पंजाबी पुत्तर होकर इस फिल्म में एक मराठी पात्र की भी भूमिका कर रहे हैं. क्या शिवसेना को खुश करना चाहते हैं?
किसी को खुश नहीं कर रहा हूं. सिर्फ फिल्म बना रहा हूं. मैंने तरह-तरह की भूमिकाएं की हैं. एक में मराठी पात्र बन गया तो क्या हो गया.
आपके बारे में कहा जाता है कि आपको न शबाब का शौक है, न शराब का.
मैं तो चाय तक नहीं पीता. हर खराब आदत से दूर हूं. रोज जिम जाता हूं. पर मैं योग नहीं करता.
अब तक सबसे मुश्किल रोल किस फिल्म में रहा है?
गरम मसाला में सबसे मुश्किल रोल था. उसमें रंगमंच की तरह एक ही बार में लंबे-लंबे संवाद बोलने पड़ते थे.
जिंदगी का सबसे अहम फैसला क्या था?
फिल्म इंडस्ट्री में आने का फैसला सबसे अहम था.
ऐसी कोई भूल जिसका मलाल हो आपको?
मेरे पिता की मृत्यु प्रोस्ट्रेट कैंसर से हुई थी. मेरी सलाह है कि 40 साल के ऊपर के आदमियों को अपने प्रोस्टेट की जांच जरूर करानी चाहिए ताकि समय रहते कैंसर का पता चल सके.
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