अमिताभ बच्चन से जनता की मुलाकात अब रोज होती है, सलमान खान को टीवी पर आसानी से देखा जा सकता है, तो अक्षय कुमार को देखने के लिए मल्टीप्लेक्स का रुख करने की जरूरत नहीं. रियलिटी टीवी शो हो या क्विज शो, प्राइमटाइम बड़े सितारों को छोटे परदे पर ले आया है और यहां स्टार पावर का जलवा बखूबी देखा जा सकता है.
शहंशाह बिग बी कौन बनेगा करोड़पति-4 (केबीसी-4) के साथ टीवी पर फिर छा गए हैं तो सलमान भी अपने बिंदास अंदाज से बिग बॉस-4 के जरिए दम दिखा रहे हैं. हालांकि खतरों के खिलाड़ी को नए अंदाज में देख दर्शक कुछ पसोपेश में हैं, लेकिन यह अक्षय फैक्टर ही है जिसके चलते अमूल मास्टर शेफ इंडिया दर्शकों में अपनी जगह बना रहा है. इस सारी दौड़ में राखी सावंत भी जोर आजमाइश करती नजर आ रही हैं. उन्होंने एनडीटीवी इमेजिन पर राखी का इंसाफ के साथ दस्तक दी है.
इसे हम टीवी की बढ़ती ताकत कहें या बुद्धू बक्से का फिल्मी परदे जितना ही ताकतवर और महत्वपूर्ण हो जाना कहें, प्राइम टाइम पर टीवी के आम कलाकारों की जगह पर फिल्मी सितारों ने कब्जा जमा लिया है. बिग बी ने दिखा दिया है कि बड़े परदे की तरह छोटे परदे के भी वही महानायक हैं.
यह उन्हीं का जादू है जो एक महिला दर्शक उन्हें लिखती हैं कि कई सालों बाद उनके परिवार की तीन पीढ़ियां-वह खुद, उनकी किशोर बेटी और सास-एक साथ बैठकर टेलीविजन देखने लगी हैं. यह अमिताभ का करिश्माई व्यक्तित्व ही है जो आम आदमी के ख्वाब पूरे करने के वादे को और दमदार बना देता है. बस, इन्हीं बातों ने शो को दर्शकों में खासा लोकप्रिय बना दिया है. शो की कामयाबी पर बिग बी का कहना है, ''इससे पता चलता है कि शो ने दर्शकों के दिलों के तारों को झनकृत करना शुरू कर दिया है.'' {mospagebreak}
11 अक्तूबर को बिग-बी के जन्मदिन पर केबीसी-4 को लॉन्च किया गया. उम्र को धता बताने वाले 68 वर्षीय बिग बी फैशन डिजाइनर रवि बजाज के बनाए काले सूट और नीली टाइ में अपने चिर-परिचित अंदाज में नजर आए. उनकी मौजूदगी ने ही इस क्विज शो को दर्शकों के लिए उनसे बतियाने का जरिया बना दिया है. तभी कोई प्रतिभागी उनसे जादू की झप्पी मांगता है तो कोई कहता है कि वह सारी उम्र उन्हें यूं ही निहार सकता है. बिग बी भी इसे दर्शकों से जुड़ने का माध्यम मानते हैं. उनका कहना है, ''मैं हमेशा ही अपने दर्शकों से संपर्क में रहता हूं और केबीसी उनसे जुड़ने का मौका देता है.''
वहीं, चुलबुली अदाओं वाले सलमान खान कलर्स चैनल पर खूब रंग जमा रहे हैं. हालांकि बिग बॉस-3 में शो की कमान अमिताभ के हाथों में हुआ करती थी. आंखों पर चश्मा, नाचते-गाते सलमान के बारे में चैनल की प्रोग्रामिंग हेड अश्विनी यार्डी कहती हैं, ''बतौर होस्ट सलमान और प्रतिभागियों का मजेदार कॉम्बिनेशन, घर के बाहर और अंदर मजे को दोगुना करता है.''
यार्डी का यह कहना सही भी है क्योंकि सलमान किसी भी पारंपरिक होस्ट से हट कर हैं, वे कभी मोटरसाइकिल पर प्रतिभागी को चक्कर लगवाते हैं तो कभी नाचते हैं. फिर घर के अंदर रहने वाली और बाहर आने वाली हस्तियों से भी अपने ही अंदाज में पेश आते हैं.
उधर, अक्षय कुमार स्टार प्लस पर एकदम नए अंदाज में नजर आ रहे हैं. वैसे भी इस शो के लिए उनसे बढ़िया विकल्प हो भी नहीं सकता था क्योंकि बॉलीवुड में दस्तक देने से पहले अक्षय बैंकॉक में कुक का काम किया करते थे.{mospagebreak}
इस पर अक्षय कहते हैं, ''कई सालों बाद अपनी जड़ों की ओर लौटना अच्छा लगता है. मेरी पसंदीदा कुकिंग और कैमरा एक साथ, वाकई मजेदार है.'' शो को लेकर स्टार इंडिया के एक्जक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट (मार्केटिंग और कम्युनिकेशंस) अनुपम वासुदेव कहते हैं, ''सुपरस्टार अक्षय के साथ हम इस शो के जरिए देश के बेहतरीन टैलेंट को सामने ला सकेंगे.'' बेशक, अक्षय को अलग-अलग व्यंजनों के स्वाद की ही तरह विभिन्न मूड में देखने का भी यह एक बढ़िया मौका है.
अगर टैम इंडिया की साप्ताहिक टीआरपी रेटिंग देखें तो हिंदीभाषी क्षेत्रों के टॉप 10 प्रोग्राम में केबीसी-4 शीर्ष पर अपना वर्चस्व कायम कर चुका है जबकि बिग बॉस-4 ने भी इसमें जगह बना ली है. हालांकि लोकप्रियता के मामले में यह शो प्रतिज्ञा, पवित्र रिश्ता सरीखे धारावाहिकों के बाद आठवें स्थान पर है. अभी मास्टर शेफ अक्षय को टॉप 10 में आने के लिए मशक्कत करनी है. उधर, टीआरपी रेटिंग चार्ट में बेहतर जगह बनाने के लिए राखी को भी एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा.
जहां इन शो की इन बड़ी हस्तियों को प्रति एपिसोड 2.5 से 5 करोड़ रु. दिए जाने की चर्चाएं हैं, वहीं चैनल और निर्माता एक एपिसोड पर 55 लाख रु. से 1.25 करोड़ रु. तक खर्च कर रहे हैं. इस पर ब्रांड कम्युनिकेशन एजेंसी स्पाइस के प्रभात चौधरी कहते हैं, ''बेशक पैसे के लिए स्टार टीवी शो में आते हैं. लेकिन एक शो के लोकप्रिय होने से पूरा चैनल लोकप्रिय हो जाता है.
इसका उदाहरण 2000-01 में केबीसी के जरिये स्टार प्लस के शीर्ष पर पहुंचने के रूप में देखा जा सकता है.'' जहां तक भारी-भरकम बजट की बात है तो चैनल एक कार्यक्रम से नहीं बल्कि अपने कंप्लीट पैकेज के जरिये अपना खर्च पूरा कर लेता है. केबीसी-4 भी इसका एक उदाहरण है. सोनी के मुताबिक, प्राइमटाइम पर तीन में से एक भारतीय सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन को देख रहा है.
आंकड़ों को देखें तो टीवी की तरफ बड़े सितारों के रुख करने का कारण साफ हो जाता है.{mospagebreak} प्राइसवाटरहाउसकूपर्स की इंडियन एंटरटेनमेंट ऐंड मीडिया आउटलुक-2010 रिपोर्ट से पता चलता है कि कुछ साल पहले तक ऐशोआराम की वस्तु समझ जाने वाला टीवी जिसकी 2008 में 11.8 करोड़ भारतीय घरों में पहुंच थी, 2009 में 12.4 करोड़ घरों तक पहुंच गया. बस उसकी बढ़ती लोकप्रियता और मौजूदगी ही बड़े सितारों को खींच रही है और रुपहले परदे के ये सितारे बुद्धू बक्से को गुलजार करते नजर आ रहे हैं.
इन सितारों ने विभिन्न चैनलों में टीआरपी की जंग छेड़ दी हैं. यार्डी का कहना है, ''इन कार्यक्रमों की आपस में तुलना सही नहीं है क्योंकि इनके फॉर्मेट और कंटेंट एक दूसरे से काफी अलग हैं.'
मगर दर्शकों के नजरिए से देखें तो वे वही देखेंगे जिससे उनका मनोरंजन होता है. ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब बड़े और छोटे परदे का अंतर खत्म हो जाएगा. तकनीक के सस्ती और सुलभ होने से एलसीडी स्क्रीन्स के बड़े परदे घरों की शान ही नहीं, जिंदगी का हिस्सा बनते जा रहे हैं.